Tahajjud ki namaz ki niyat: तहज्जुद की नमाज़ की नियत का सही तरीका और इसकी फ़ज़ीलत जानिए। क़ुरआन और हदीस के हवाले के साथ तहज्जुद के वक्त, नियत और फायदे की पूरी मालूमात।

तहज्जुद की नमाज़ क्या है?

तहज्जुद की नमाज़ इस्लाम में एक बेहद खास इबादत है, जिसे रात के वक्त अल्लाह की रज़ामंदी हासिल करने के लिए पढ़ा जाता है। यह एक नफ्ल नमाज़ है, जो थोड़ी देर सोने के बाद नींद से उठकर पढ़ी जाती है।

तहज्जुद का ज़िक्र क़ुरआन और हदीस में कई जगह हुआ है, जो इसकी एहमियत को बताता है। क़ुरआन मजीद में अल्लाह तआला ने फरमाया:

Tahajjud ki namaz In Hadees aur Quran

तहज्जुद की नमाज़ बंदे और अल्लाह के दरमियान एक गहरी रूहानी कड़ी बनाती है। यह वक्त ऐसा है जब अल्लाह तआला अपने बंदों की दुआएं कुबूल फरमाता है और उनकी जरूरतें पूरी करता है।


तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त

तहज्जुद की नमाज़ का सबसे बेहतरीन वक़्त रात के आख़िरी हिस्से में होता है, जिसे आख़िरी तहाई (last third of the night) कहा जाता है। इस वक़्त को इबादत के लिए खास तौर पर मुबारक माना गया है, क्योंकि यह वह घड़ी है जब अल्लाह तआला आसमान-ए-दुनिया पर नज़ूल फरमाते हैं और अपने बंदों की दुआओं को कुबूल करते हैं।

रात को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है: Tahajjud ki namaz ki niyat

  1. पहला हिस्सा: ईशा के बाद का वक़्त।
  2. दूसरा हिस्सा: रात का मध्य भाग।
  3. तीसरा हिस्सा: रात का आख़िरी हिस्सा।

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने के लिए सोने के बाद उठना सुन्नत है। आख़िरी तहाई का वक़्त सबसे अफ़ज़ल है, लेकिन अगर इस वक़्त उठना मुश्किल हो, तो रात के किसी भी हिस्से में तहज्जुद पढ़ा जा सकता है।


Tahajjud ki namaz ki niyat: तहज्जुद की नमाज़ की नियत कैसे करें?

इस्लाम में नियत (इरादा) हर इबादत की बुनियाद है। किसी भी नमाज़ या इबादत को कबूल होने के लिए सही नियत करना बेहद जरूरी है। तहज्जुद की नमाज़ की नियत दिल से की जाती है और इसे जुबान से कहना जरूरी नहीं है। नियत का मकसद यह है कि बंदा अपनी इबादत को सिर्फ अल्लाह तआला की रज़ामंदी के लिए अदा करे।

तहज्जुद की नमाज़ के लिए नियत कुछ इस तरह की जाती है: Tahajjud ki namaz ki niyat

Urdu में नियत: Tahajjud ki namaz ki niyat

Tahajjud ki namaz ki niyat,Tahajjud ka waqt.Tahajjud kya hai
Tahajjud ki namaz ki niyat

इस नियत को दिल में करना ही काफी है। नियत करने के बाद अल्लाह की रज़ा के लिए नमाज़ शुरू करें और पूरी तवज्जोह के साथ इबादत अदा करें। नमाज़ सीखें


तहज्जुद की नमाज़ का तरीका

तहज्जुद की नमाज़ एक नफ्ल इबादत है, जिसे अल्लाह की रज़ामंदी के लिए रात के सुकून भरे वक्त में अदा किया जाता है। इसे पढ़ने का तरीका आसान है, लेकिन इसमें दिल की पूरी तवज्जोह और अल्लाह से गहरी मुहब्बत होना जरूरी है।

तहज्जुद में कितनी रक़अतें पढ़ी जाती हैं?

  • तहज्जुद की नमाज़ में कम से कम 2 रक़अत पढ़ी जाती हैं।
  • आप अपनी सहूलत और ताकत के मुताबिक 4, 6, 8 या 12 रक़अतें भी अदा कर सकते हैं।
  • रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर 8 रक़अत तहज्जुद और 3 रक़अत वित्र नमाज़ पढ़ते थे।

तहज्जुद की नमाज़ का तरीका:

  1. तैयारी करें:
    • सोने के बाद उठें और वुज़ू करें।
    • अगर मुमकिन हो, तो मिस्वाक (दांत साफ करना) का इस्तेमाल करें।
  2. नियत करें:
    • नियत करें कि आप तहज्जुद की नमाज़ अदा कर रहे हैं।
    • नियत का मकसद अल्लाह की रज़ामंदी हो।
  3. नमाज़ शुरू करें:
    • पहले “सना” (सब्हानक अल्लाहुम्मा…) पढ़ें।
    • हर रक़अत में सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ें।
    • लंबी सूरहें या ज्यादा आयतें पढ़ना अफज़ल है।
  4. खुशू (तवज्जोह) के साथ अदा करें:
    • नमाज़ में दिल को अल्लाह की तरफ लगाएं।
    • हर हरकत (रुकू और सजदा) में सुस्ती और इत्मीनान के साथ दुआएं करें।

तहज्जुद में खास दुआएं और तिलावत:

  • तहज्जुद में सजदे के दौरान अपनी मुश्किलात और ख्वाहिशों को अल्लाह के सामने रखें।
  • रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: “सजदे के दौरान बंदा अपने रब के सबसे करीब होता है, इसलिए उस वक्त ज्यादा दुआ करो।” (मुस्लिम: 482)
  • तिलावत के लिए ये आयतें पढ़ना अफज़ल है:
    • सूरह अल-इख़लास
    • सूरह अल-फलक
    • सूरह अन-नास

तहज्जुद की नमाज़ में खास बातें:

  • यह वक्त दुआओं की कबूलियत का वक्त है।
  • दिल से तौबा करें और अपनी ख्वाहिशें अल्लाह से मांगें।
  • लंबी नमाज़ पढ़ने की कोशिश करें और इबादत में तवज्जोह रखें।

तहज्जुद की फ़ज़ीलत और अहमियत

तहज्जुद की नमाज़ इस्लाम में एक ऐसी इबादत है, जो बंदे को अल्लाह के सबसे करीब ले जाती है। यह सिर्फ एक नफ्ल नमाज़ नहीं, बल्कि रूहानी सुकून और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है। इस नमाज़ की खासियत यह है कि इसे रात के सुकून भरे वक्त में अदा किया जाता है, जब अल्लाह अपने बंदों की दुआएं कबूल फरमाते हैं।

तहज्जुद के रूहानी फायदे

  1. अल्लाह से मजबूत रिश्ता बनता है:
    • रात के अंधेरे में जब हर कोई सो रहा होता है, उस वक्त उठकर अल्लाह से बात करना बंदे के और अल्लाह के रिश्ते को गहरा कर देता है।
    • यह इबादत दिल को सुकून और यकीन देती है कि अल्लाह हर मुश्किल में मदद करेगा।
  2. गुनाहों की माफी:
    • तहज्जुद तौबा और इस्तिग़फार का बेहतरीन वक्त है।
    • रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: “रात का आख़िरी हिस्सा वह वक्त है, जब अल्लाह तआला अपने बंदों की दुआओं को सबसे ज्यादा सुनते और कुबूल करते हैं।” (मुस्लिम: 758)
  3. दुआओं की कुबूलियत:
    • यह टाइम दुआओं की कुबूलियत का वक्त हुआ करता है।
    • अपनी हर जरूरत और ख्वाहिश को अल्लाह से मांगने का यह सबसे बेहतरीन मौका है।

तहज्जुद की फ़ज़ीलत पर हदीस

  1. रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: “तहज्जुद की नमाज़ नेक लोगों की पहचान है।” (तिरमिज़ी: 3549)

तहज्जुद की अहमियत

तहज्जुद एक ऐसी इबादत है, जो दिल को सुकून देती है और रूह को ताकतवर बनाती है। यह नमाज़ न सिर्फ दुनिया की मुश्किलों को हल करने का जरिया है, बल्कि आखिरत में भी बड़ा इनाम दिलाने का वादा करती है।

तहज्जुद की नमाज़ के मसाइल

1. क्या तहज्जुद वित्र के बाद पढ़ी जा सकती है?
जी हां, तहज्जुद की नमाज़ वित्र के बाद भी पढ़ी जा सकती है, लेकिन बेहतर यह है कि वित्र को सबसे आखिर में पढ़ा जाए, क्योंकि वित्र दिन-रात की नमाज़ों का “ख़ातिमा” है।

2. अगर रात में उठना मुमकिन न हो तो क्या करें?
अगर किसी वजह से रात में उठना मुमकिन न हो, तो दिन में तहज्जुद के वक्त से पहले या सोने से पहले तहज्जुद की नफ्ल नमाज़ पढ़ी जा सकती है। यह भी सवाब का काम है।

3. क्या तहज्जुद की कोई खास संख्या है?
तहज्जुद की रक़अतों की कोई तय संख्या नहीं है। कम से कम 2 रक़अतें और ज्यादा से ज्यादा जितनी हो सके, उतनी रक़अतें पढ़ी जा सकती हैं।


तहज्जुद से जुड़े कुछ सवाल और जवाब

1. क्या तहज्जुद की नमाज़ फ़र्ज़ है?
तहज्जुद की नमाज़ फ़र्ज़ नहीं बल्कि नफ्ल (स्वेच्छा) है। यह उन लोगों के लिए एक खास इबादत है, जो अल्लाह तआला का और ज्यादा करीब होना चाहते हैं।

2. क्या तहज्जुद के लिए वुज़ू ज़रूरी है?
जी हां, तहज्जुद की नमाज़ अदा करने के लिए वुज़ू करना ज़रूरी है, क्योंकि बिना वुज़ू के किसी भी नमाज़ को अदा नहीं किया जा सकता।

3. कितनी देर तक तहज्जुद की नमाज़ पढ़ी जा सकती है?
तहज्जुद की नमाज़ का वक्त ईशा के बाद से फज्र से पहले तक रहता है। लेकिन इसका सबसे अफज़ल वक्त रात का आखिरी तिहाई हिस्सा है।


अगर आप इन सवालों के अलावा और कोई जानकारी चाहते हैं, तो बताएं!


Author

  • Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

    View all posts
Categories: Islam

Sher Mohammad Shamsi

Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights