Qurbani ki dua (क़ुरबानी की दुआ) जानिए हिंदी में उर्दू अल्फ़ाज़ के साथ। क़ुरबानी से पहले पढ़ी जाने वाली दुआ, नियत, मसाइल और इस्लामी रहनुमाई सिर्फ इस ब्लॉग में।


📌 मुक़द्दिमा – तआरुफ़ (Introduction)

ईद-उल-अज़्हा इस्लामी तारीख़ का एक अहम दिन है, जिसे हम ईद क़ुरबाँ भी कहते हैं। ये दिन हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की उस अज़ीम क़ुरबानी की याद में मनाया जाता है जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम को क़ुरबान करने का इरादा किया। इस दिन मुसलमान दुनिया भर में जानवरों की क़ुरबानी देते हैं और अल्लाह की रज़ा चाहते हैं।

लेकिन क्या आपको मालूम है कि क़ुरबानी करने से पहले एक ख़ास दुआ पढ़ना सुन्नत है? इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे क़ुरबानी की दुआ, उसका तर्जुमा, नियत और कुछ ज़रूरी मसाइल।


🕋 क़ुरबानी की नियत कैसे करें?

क़ुरबानी से पहले नियत करना ज़रूरी होता है। दिल में यह इरादा कर लें:

“मैं इस जानवर की क़ुरबानी करता हूँ अल्लाह की रज़ा के लिए।”
(“Main is janwar ki qurbani karta hoon Allah ki raza ke liye.”)


🤲 क़ुरबानी की दुआ (Qurbani Ki Dua in Hindi Text)

Qurbani Ki Dua – क़ुरबानी की दुआ
Qurbani Ki Dua – क़ुरबानी की दुआ

जब आप जानवर को ज़बह़ (क़ुरबानी) करें, तो ये दुआ पढ़ें:

بِسْمِ اللّٰہِ اَللّٰہُ أَكْبَرُ، اللّٰهُمَّ هَذَا مِنْكَ وَلَكَ

📝 हिंदी में तर्जुमा:

“अल्लाह के नाम से, अल्लाह सबसे बड़ा है। ऐ अल्लाह! यह (क़ुरबानी) तेरी ही तरफ़ से है और तेरे ही लिए है।”

अगर आप अपनी या किसी और की तरफ़ से क़ुरबानी कर रहे हैं, तो दुआ में उनका नाम शामिल करें:

اللّٰهُمَّ تَقَبَّلْ مِنِّي أَوْ مِنْ فُلाँٍ
“Allahumma taqabbal minni aw min fulaan.”
(या अल्लाह! मेरी या फलाँ की तरफ़ से ये क़ुबूल फ़रमा।)


🐐 कौन से कलमा कहना सुन्नत हैं?

  1. “बिस्मिल्लाह, अल्लाहु अकबर” कहना फर्ज़ है।
  2. “اللّٰهُمَّ هَذَا مِنْكَ وَلَكَ” पढ़ना मुस्तहब (अच्छा) है।
  3. जानवर को क़िबला रुख लिटाना चाहिए।
  4. तेज़ छुरी से ज़बह करना चाहिए ताकि जानवर को कम तकलीफ़ हो।

📖 हदीस से रौशनी – Hadees Mein Qurbani Ki Ahmiyat

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“क़ुरबानी के दिन इंसान का सबसे पसंदीदा अमल अल्लाह के नज़दीक क़ुरबानी करना है।”
(तिर्मिज़ी)

“हर बाल के बदले एक नेकी लिखी जाती है।”
(इब्न माजा)


⚖️ कौन-कौन क़ुरबानी कर सकता है?

  • जो बालीग़ (बड़ा) और आक़िल (अक़्लमंद) हो।
  • जिसके पास निसाब के बराबर माल हो (जैसे ज़कात के लिए शर्त होती है)।
  • सफ़र में न हो (यानी मुक़ीम हो)।

जौन एलिया की शायरी


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❓ क़ुरबानी से जुड़े कुछ सवाल (FAQs)

क्या कोई और मेरी तरफ़ से क़ुरबानी कर सकता है?
हाँ, आप किसी को वक़ील बना सकते हैं जो आपकी तरफ़ से क़ुरबानी करे।

क्या बकरा, ऊँट, गाय – सब की दुआ अलग होती है?
नहीं, दुआ एक ही रहती है, बस नियत में जानवर का नाम ले सकते हैं।


सवाल: क़ुरबानी की दुआ क्यों पढ़ी जाती है?
जवाब: क़ुरबानी की दुआ पढ़ना अल्लाह की रज़ा हासिल करने और अपनी नीयत साफ़ करने का तरीका है। इससे यह साबित होता है कि हम अपनी जान-माल अल्लाह के हुक्म पर कुर्बान करने को तैयार हैं।


सवाल: क़ुरबानी करते वक़्त कौन-सी दुआ पढ़नी चाहिए?
जवाब: क़ुरबानी के समय यह दुआ पढ़ी जाती है:
“बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर, अल्लाहुम्मा मिंका व लका।”
(अर्थ: अल्लाह के नाम से, जो सबसे बड़ा है। ऐ अल्लाह! यह तेरी ही तरफ़ से है और तेरे ही लिए है।)


सवाल: क्या क़ुरबानी की दुआ हर शख़्स को खुद पढ़नी चाहिए?
जवाब: अगर आप खुद जानवर की क़ुरबानी कर रहे हैं तो दुआ पढ़ना सुन्नत है। लेकिन अगर कोई और आपकी तरफ़ से कर रहा है, तो आप नीयत कर लें और वो शख़्स दुआ पढ़ेगा।


सवाल: क्या दुआ हिंदी या अपनी ज़बान में पढ़ सकते हैं?
जवाब: दुआ का असल लफ़्ज़ अरबी में है, लेकिन अगर आप इसका मतलब जानते हैं तो अपनी ज़बान में भी नीयत और दुआ का भाव दिल से कह सकते हैं।




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  • Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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Sher Mohammad Shamsi

Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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