Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम - जानकर हैरान रह जाओगे!
Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम – जानकर हैरान रह जाओगे!

Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम?

क्या आपने कभी सोचा है कि नबी Prophet Mohammad(ﷺ) की तारीफ सिर्फ मुसलमानों ने ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के बड़े गैर-मुस्लिम विचारकों और रहनुमाओं ने भी की है? आखिर ऐसा क्या खास था उनके किरदार (शख्सियत) में जिसने हर मज़हब के लोगों को मुतासिर (प्रभावित) किया? आज हम आपको पांच ऐसी मशहूर हस्तियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने नबी की शान में दिल खोलकर तारीफ की है और ये बातें उनकी किताबों और तवारीख (इतिहास) में दर्ज हैं। इस वीडियो को आख़िर तक देखिए ताकि आपको असलियत का इल्म हो सके।

1. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)

Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम

महात्मा गांधी, जो खुद एक अहिंसा और अमन (शांति) के पैरोकार थे, ने नबी मुहम्मद (PBUH) की सादगी और इंसाफ़पसंदी (न्यायप्रियता) की दिल से तारीफ की। गांधी जी ने 1938 में “यंग इंडिया” अखबार में लिखा: Prophet Mohammad(ﷺ)
“मैं यह जानना चाहता था कि वह कौन-सी ताकत थी जिसने इतनी बड़ी संख्या में लोगों के दिलों पर कब्ज़ा किया। मैंने पाया कि यह मुहम्मद (PBUH) की सादगी, इंसाफ़, और उनके उसूल (सिद्धांत) की पाबंदी थी।”
गांधी जी के लिए नबी का अमल (कर्म) और अज़मत (महानता) ही असली रहस्य था। यह बयान महात्मा गांधी की किताब ‘The Collected Works of Mahatma Gandhi’ में मिलता है।

2. सर जॉर्ज बर्नार्ड शॉ (George Bernard Shaw)

अंग्रेजी अदब (साहित्य) के मशहूर मुसन्निफ (लेखक) और फलसफी (दार्शनिक) जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने Prophet Mohammad(ﷺ) की समाजी इस्लाहात (सुधारों) को खूब सराहा। अपनी किताब The Genuine Islam में उन्होंने लिखा:
“अगर आज की दुनिया के पास मुहम्मद (PBUH) जैसा क़ायद (नेता) होता, तो यह अपने मसाइल (समस्याओं) को हल कर सकती थी। उनका मज़हब ज़मीनी हकीकत और अमल-पसंद (व्यावहारिक) है।”
शॉ ने नबी के उसूलों (सिद्धांतों) को आज के दौर में भी काबिल-ए-अमल (प्रासंगिक) बताया। ये बातें ‘The Genuine Islam’ (1936) में दर्ज हैं। Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम

3. थॉमस कार्लाइल (Thomas Carlyle)

स्कॉटलैंड के तारीख़नवीस (इतिहासकार) और दानिश्वर (विद्वान) थॉमस कार्लाइल ने नबी मुहम्मद (PBUH) की सच्चाई और हिम्मत को ‘सच्चा हीरो’ कहा। अपनी किताब ‘Heroes and Hero Worship’ में कार्लाइल लिखते हैं:
“इस दुनिया में झूठ से कोई बड़ा नहीं हो सकता, और मुहम्मद (PBUH) का पूरा हयात (زندگی) इसका सबूत है। वह एक सच्चे और अज़ीम रहनुमा थे।” Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम
कार्लाइल ने मुहम्मद (PBUH) के ईमानदार किरदार को इंसानियत के लिए एक बेमिसाल मिसाल (अद्वितीय उदाहरण) माना। यह जानकारी उनकी किताब ‘Heroes and Hero Worship’ (1841) से प्रमाणित है।

4. माइकल एच. हार्ट (Michael H. Hart)

Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम

माइकल एच. हार्ट ने अपनी मशहूर किताब ‘The 100: A Ranking of the Most Influential Persons in History’ में पैगंबर मुहम्मद (PBUH) को सबसे असरदार (प्रभावशाली) शख्सियत माना। हार्ट लिखते हैं:
“मुहम्मद (PBUH) ने न केवल एक मज़हबी (धार्मिक) रहनुमा के तौर पर, बल्कि सियासी (राजनीतिक) और समाजी (सामाजिक) मैदानों में भी कामयाबी हासिल की। वो इंसान थे जिन्होंने दोनों मयादीन (क्षेत्रों) में गहरी छाप छोड़ी।”
हार्ट ने नबी की सरगर्मियों (कार्यक्रमों) और तालीमात (शिक्षाओं) की वजह से उन्हें दुनिया के सबसे बड़े रहनुमाओं में शुमार किया। उनकी किताब ‘The 100’ से ये बात साबित होती है। इसे भी पढ़ें… दुनिया के 5 मशहूर मुस्लिम लीडर

5. अल्फोंस डे लामार्टिन (Alphonse de Lamartine)

फ्रांस के मशहूर तारीख़नवीस अल्फोंस डे लामार्टिन ने पैगंबर मुहम्मद (PBUH) को इंसानियत का सबसे बड़ा क़ायद (नेता) कहा। अपनी किताब ‘Histoire de la Turquie’ में उन्होंने लिखा:
“अगर इंसान की अज़मत (महानता) के तीन पैमाने हैं: मक़सद की बुलंदी, साधनों की सादगी, और कामयाबी की वुसअत (विस्तार), तो मुहम्मद (PBUH) से बड़ा कोई नहीं हो सकता।”
लामार्टिन का ये बयान बताता है कि नबी (PBUH) ने किस तरह पूरी दुनिया को एक नई राह दिखाई। उनकी तारीख़ी किताब ‘Histoire de la Turquie’ (1854) से यह बात प्रमाणित होती है।

गहरा और प्रेरणादायक नतीजा]: Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम

तो आपने देखा, पैगंबर मुहम्मद (PBUH) की अज़मत (महानता) को न सिर्फ मुसलमानों ने बल्कि बड़े-बड़े गैर-मुस्लिम दानिशवरों और रहनुमाओं ने भी तस्लीम (स्वीकार) किया है। यह उनके किरदार, इंसाफ़, और अमल की ताकत थी जिसने हर दिल को मुतासिर किया। इन बातों का वजन इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि यह सब उनकी किताबों और दस्तावेज़ों में दर्ज है। अगर आपको ये वीडियो पसंद आई हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें और कमेंट में बताएं कि आपको कौन-सी बात सबसे ज़्यादा छू गई। फिर मिलेंगे एक और प्रेरणादायक वीडियो के साथ। तब तक के लिए अल्लाह हाफिज़!

(ब्लॉग का समापन): Prophet Mohammadﷺ की तारीफ करने वाले 5 बड़े गैर-मुस्लिम

तो दोस्तों, आपने देखा कि कैसे दुनिया के पांच बड़े गैर-मुस्लिम विचारकों ने नबी मुहम्मद (PBUH) की शख्सियत और उनके किरदार की दिल से तारीफ की। ये तारीफें सिर्फ तारीख़ का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वो सबक हैं जो हमें इंसानियत, इंसाफ़, और अमन (शांति) की ओर ले जाती हैं। ये बातें साबित करती हैं कि नबी (PBUH) की शख्सियत का असर मज़हब और सरहदों से परे था। नबी की शान में गुस्ताखी करने वाले लोग

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FAQs (Frequently Asked Questions)

क्या ये गैर-मुस्लिम सच में नबी मुहम्मद (PBUH) की तारीफ कर चुके हैं?

जी हां, ये तारीफें इतिहास के दस्तावेजों और उनकी खुद की किताबों में दर्ज हैं, जो इनके द्वारा कही गईं हैं।

नबी (PBUH) की सबसे बड़ी खूबी जो इन गैर-मुस्लिमों ने सराही, वो क्या थी?

नबी की इंसाफ़पसंदी (न्यायप्रियता), सादगी, और उनके उसूल (सिद्धांत) को सबसे ज्यादा सराहा गया है।

क्या इन गैर-मुस्लिम हस्तियों के बयान आज भी मान्य हैं?

बिल्कुल! इनके बयान आज भी प्रासंगिक हैं और नबी मुहम्मद (PBUH) के किरदार की वैश्विक मान्यता को दर्शाते हैं।

क्या इनके बयान किसी किताब में दर्ज हैं?

हां, जैसे महात्मा गांधी ने *’यंग इंडिया’* में लिखा, और जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने अपनी किताब *’The Genuine Islam’* में नबी (PBUH) की तारीफ की है।

नबी (PBUH) की तारीफ करने वाले अन्य कौन-कौन से गैर-मुस्लिम हैं?

इनके अलावा भी कई विचारक और दार्शनिक, जैसे लेव टॉल्सटॉय और अर्नेस्ट रेनन, ने नबी मुहम्मद (PBUH) की तारीफ की है।


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  • Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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Sher Mohammad Shamsi

Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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