Namaz ke baad ki dua: हममें से ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी में शांति और सुकून की ख्वाहिश रखते हैं, है ना? नमाज़ के बाद पढ़ी जाने वाली ये दुआ हमें इस बात की याद दिलाती है कि असली सलामती और सुकून अल्लाह की तरफ से आता है। ये दुआ अल्लाह से सीधे जुड़ने और उसकी असीम शांति को महसूस करने का एक ज़रिया है।

सोचिए, कितनी प्यारी बात है कि हर नमाज़ के बाद हम अल्लाह से सलामती मांगते हैं, वो सलामती जो दुनिया की किसी भी परेशानी को हल्का कर देती है। namaz ke baad ki dua in urdu”

Namaz ke baad ki dua: Dua After Namaz

Namaz ke baad ki dua full : “اللَّهُمَّ أَنْتَ السَّلَامُ وَمِنْكَ السَّلَامُ تَبَارَكْتَ يَا ذَا الْجَلَالِ وَالإِكْرَامِ

Transliteration:
Allahumma antassalamu wa minkassalam, tabaarakta yaa zal-jalaali wal-ikraam.

Translation: farz namaz namaz ke baad ki dua
“O Allah, “You are the Source of Peace, and all peace flows from You.”. Exalted are You, O Sovereign of majesty and splendor”

“जब हम ये दुआ पढ़ते हैं ‘اللَّهُمَّ أَنْتَ السَّلَامُ —-✅—-وَمِنْكَ السَّلَامُ‘ तो इसका मतलब होता है, ‘ऐ अल्लाह! तू ही सलामती है और सलामती तेरे ही पास से आती है।’ इसके बाद जब हम कहते हैं, ‘तबारकता या ज़ल-जलाली वल-इकराम’, तो हम अल्लाह की बरकत और उसकी शान का इज़हार करते हैं।

ये अल्फाज़ हमें याद दिलाते हैं कि हमारा रब हर तरह से पाक और बरकत वाला है। ये दुआ हमें अल्लाह की रहमत के करीब ले जाती है।”

Namaz ke baad ki dua Dua After Namaz in HindiNamaz ke baad ki dua Dua After Namaz in Hindi

Namaz ke baad ki dua: Dua after Namaz in Hindi

namaz ke baad ki dua in hindi:
अल्लाहुम्मा अंन्तस्सलामु व मिंक्कस्सलामु तबारकता या ज़ल जलाालि वल इकराम

Transliteration (Roman English): namaz ke baad ki dua in hindi
Allahumma antassalamu wa minkassalam, tabaarakta yaa zal-jalaali wal-ikraam.

Translation (Hindi): namaz ke baad ki dua in hindi
“ऐ अल्लाह! तू ही सलामती है और सलामती तुझी से आती है। तू बरकत वाला है, ऐ जलाल और इकराम (शान और इज़्ज़त) वाले।”

3. Namaz ke baad is Duaa ko Padhne ka Fawaid:

“इस “…اللَّهُمَّ أَنْتَ” का एक और खास ताक़त ये है कि ये हमारे दिल ❤️ और दिमाग को सुकून देती है। हर रोज़ के तनाव और चिंताओं के बाद, ये दुआ हमें एक पल के लिए अल्लाह की सलामती में खो जाने का एहसास दिलाती है। आप खुद महसूस करेंगे कि जब भी आप नमाज़ के बाद ये दुआ पढ़ते हैं, दिल में एक अजीब सा सुकून उतर आता है। ये दुआ सिर्फ अल्फाज़ नहीं हैं, बल्कि अल्लाह से एक खास रिश्ता जोड़ने का तरीका है।”

4. Duaa ke Baare mein Hadees ka Zikr:

हदीसो की किताब में है कि Prophet Mohammad ﷺ हर नमाज़ (salat) के बाद इस (Dua) “اللَّهُمَّ أَنْتَ” को पढ़ा करते थे। ये हमें सिखाता है कि अल्लाह से सलामती और बरकत मांगना एक मुसलमान की जिंदगी का अहम हिस्सा होना चाहिए। तो आइए, इस दुआ को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएँ और हर नमाज़ के बाद अल्लाह से वो सलामती और सुकून मांगे जो सिर्फ उसी से मिलती है।”

नमाज़ के बाद की दुआ: एक मार्गदर्शिका

प्रस्तावना:
नमाज़ इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, 1 Video में पूरी नमाज़ सीखें! और इसके बाद की दुआ विशेष महत्व रखती है। नमाज़ पूरी होने के बाद कुछ खास दुआएं पढ़ने की परंपरा है, जो अल्लाह से हमारी जरूरतों को पूरा करने, रहमतों की दरख्वास्त और गुनाहों की माफी के लिए की जाती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि नमाज़ के बाद कौन-कौन सी दुआएं पढ़ी जाती हैं और उनका महत्व क्या है।


1. नमाज़ के बाद की दुआ का महत्व

नमाज़ के बाद की दुआएं अल्लाह से जुड़ने का एक और माध्यम हैं। नमाज़ के बाद की दुआ से इंसान की आत्मा को शांति मिलती है और अल्लाह के प्रति उसकी बंदगी का एहसास होता है। इसके ज़रिए इंसान अपनी कमियों की माफी मांगता है और अल्लाह की रहमत के लिए प्रार्थना करता है।


2. नमाज़ के बाद की मस्नून दुआएं

इस्लामिक शिक्षाओं के अनुसार, नमाज़ के बाद कुछ खास दुआएं पढ़ी जाती हैं जिन्हें “मस्नून दुआ” कहते हैं। ये दुआएं पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने सिखाई हैं, जो अल्लाह के नज़दीक और क़ुबूलियत के करीब मानी जाती हैं। यहाँ पर कुछ मस्नून दुआएं हैं जो नमाज़ के बाद पढ़ी जाती हैं:

2.1 अस्तग़फार

अस्तग़फार – “अस्तग़फिरुल्लाह, अस्तग़फिरुल्लाह, अस्तग़फिरुल्लाह।”

इसका मतलब है “मैं अल्लाह से माफी मांगता हूँ।” नमाज़ के बाद यह दुआ पढ़कर अपनी गलतियों की माफी मांगना चाहिए।

2.2 आयतुल कुर्सी

आयतुल कुर्सी – यह दुआ अल्लाह की सुरक्षा और रहमत की मांग के लिए पढ़ी जाती है। इसे नमाज़ के बाद पढ़ने से अल्लाह का विशेष करम बरसता है और इंसान को हिफाजत मिलती है।

आयतुल कुर्सी: “…..اللَّهُ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ
(Surah Al-Baqarah, Ayah 255)

2.3 तस्बीह

तस्बीह-ए-फातिमा – पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपनी बेटी फातिमा (रज़ि.) को यह तस्बीह सिखाई थी, जिसे हर नमाज़ के बाद पढ़ा जाता है:

  • 33 बार – “सुभान अल्लाह” (पवित्र है अल्लाह )
  • 33 बार – “अल्हम्दुलिल्लाह” (सभी तारीफ अल्लाह के लिए है)
  • 34 बार – “अल्लाहु अकबर” meaning अकबर लफ्ज़ का इस्तिमाल होता है जिसका मतलब ‘ बड़ा’ (अल्लाह सबसे बड़ा है)

2.4 दरूद शरीफ

दरूद शरीफ पढ़ने से अल्लाह से रहमतों की दरख्वास्त की जाती है। इसे पढ़ने से पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शफाअत का भी लाभ मिलता है।


3. नमाज़ के बाद की अन्य महत्वपूर्ण दुआएं

3.1 रब्बना अतिना फि दुनिया

रब्बना अतिना फि الدنيا
“रब्बना आतिना फ़िद्दुन्या ……….आगे इमेज से पढ़ें 👇 “
इसका अर्थ है – “ये हमारे परवरदिगार हमें (World) दुनिया और (The End)आखिरत में भलाई दे और हमें उस दहकती जहन्नम की आग से बचा।”
(Surah Al-Baqarah, Ayah 201)

Witr Namaz Ki Niyat
Witr Namaz Ki Niyat

3.2 सूरत-इखलास, फलक और नास

तीनों सूरतें (सूरत-इखलास, फलक, और नास) को पढ़ने से इंसान को अल्लाह की हिफाजत और रहमत मिलती है। इन्हें नमाज़ के बाद पढ़कर अल्लाह से अपनी सुरक्षा और भलाई की दुआ मांगी जाती है।


4. नमाज़ के बाद की दुआ पढ़ने का तरीका

  1. दुआ में दिल की हाज़री: दुआ करते समय मन को एकाग्र रखना चाहिए।
  2. अल्लाह की शान की तारीफ: शुरू में अल्लाह की तारीफ और उसकी महानता को बयान करना चाहिए।
  3. अपने लिए और दूसरों के लिए दुआ: अपनी जरूरतों के अलावा दूसरों की भलाई के लिए भी दुआ करनी चाहिए।

5. दुआएं कबूल होने के लिए कुछ खास बातें

  • ईमान और यकीन के साथ दुआ करना: अल्लाह से पूरी ईमानदारी और यकीन के साथ दुआ की जाए।
  • गुनाहों से तौबा करना: अपनी गलतियों की माफी मांगना और सच्चे दिल से तौबा करना जरूरी है।

6. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का तरीका

पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपने साथियों को सिखाया कि नमाज़ के बाद कैसे दुआ करें और अल्लाह से क्या मांगे। उनकी हर दुआ में अल्लाह की रहमत और माफी की दरख्वास्त शामिल रहती थी, साथ ही दुनियावी और आखिरवी भलाइयों की मांग होती थी।


निष्कर्ष

नमाज़ के बाद की दुआ इस्लामिक इबादत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके जरिए हम अल्लाह से रहमत, माफी और अपने हिफाजत के लिए प्रार्थना करते हैं। दुआ एक ऐसा साधन है जिससे इंसान अपने अल्लाह से नजदीकी बना सकता है और अपनी कमियों को पूरा कर सकता है।

आपके लिए सुझाव: नियमित रूप से नमाज़ के बाद इन दुआओं को पढ़ें और अल्लाह की बरकत हासिल करें।

5 FAQs: Namaz Ke Baad Ki Dua: Dua After Namaz in Hindi

क्या नमाज़ के बाद दुआ करना जरूरी है?

नमाज़ के बाद दुआ करना जरूरी तो नहीं, लेकिन यह एक बहुत ही अच्छी सुन्नत है। यह अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी और हर तरह की भलाई मांगने का समय है।

नमाज़ के बाद कौन सी दुआ सबसे पहले पढ़नी चाहिए?

नमाज़ के बाद यह दुआ पढ़ना सुन्नत है:
अल्लाहुम्मा अंता अस-सलाम——– वल-इकराम।
(अर्थ: हे अल्लाह, तू ही सलामती देने वाला है और सलामती तुझी से आती है। तू बड़ा बरकत वाला और महान है।)

क्या नमाज़ के बाद हाथ उठाकर दुआ करना सही है?

हाँ, नमाज़ के बाद हाथ उठाकर दुआ करना जायज़ है। यह अल्लाह से अपनी बातों को पेश करने का एक तरीका है और इस्लाम में इसकी इजाज़त दी गई है।

नमाज़ के बाद ज़िक्र करना क्यों महत्वपूर्ण है?

नमाज़ के बाद ज़िक्र करना दिल को सुकून देता है और अल्लाह की याद को ताजा करता है। सुन्नत के मुताबिक यह ज़िक्र पढ़ा जा सकता है:
“अस्तग़फिरुल्लाह” (तीन बार
“सुभानअल्लाह”, “अल्हम्दुलिल्लाह”, “अल्लाहु अकबर”

नमाज़ के बाद दुआ में क्या मांगा जा सकता है?

आप अपनी जरूरत की हर चीज नमाज़ के बाद मांगा सकते हैं, जैसे:
अपनी और अपने परिवार की भलाई।
गुनाहों की माफी।
रिज़्क़ (रोज़ी) में बरकत।
दीन और दुनिया की कामयाबी।


आप और कौन सी दुआएं जानना चाहेंगे? 😊

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  • Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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Sher Mohammad Shamsi

Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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