Namaz Ka Tarika: Namaz में रुकू और सजदा Ka Sahih, easy Tarika

Namaz Ka Tarika: नमाज़ के रुक्न रुकू और सजदा का सही तरीका हदीस के अनुसार जानिए। सही विधि और प्रमुख गलतियाँ जो लोग करते हैं, ताकि आपकी नमाज़ मक़बूल और खूबसूरत बने।


Namaz Ka Tarika: अल्लाह से करीब होने का ज़रिया

नमाज़ एक ऐसी इबादत है जो हमें सीधे अल्लाह से जोड़ती है, हर रुक्न में उसकी याद दिलाती है, और उसकी बंदगी का एहसास कराती है। नमाज़ में हर हरकत, हर कदम एक मक़सद के साथ है। आज हम नमाज़ के दो बेहद अहम हिस्सों—रुकू और सजदा—का सही तरीका समझेंगे, ताकि आपकी इबादत का हर लम्हा अल्लाह को मक़बूल हो और आपकी नमाज़ की खूबसूरती बढ़े। Namaz Ka Tarika

रुकू का सही तरीका: हदीस की रोशनी में

रुकू वह खास लम्हा है जब हम अल्लाह के सामने झुककर उसकी तारीफ और उसकी ताकत का इकरार करते हैं। रुकू करने का तरीका इस्लाम में बहुत खास अंदाज से बताया गया है। Namaz Ka Tarika आइए इसे एक-एक कदम में समझते हैं: Full Namaz Ka Tarika

  1. कमर सीधी रखें – रुकू करते समय सबसे पहले ख्याल रखें कि आपकी कमर और सिर एक लाइन में हों। न बहुत झुकें और न ही बहुत ऊपर उठें।
  2. हाथों का सही पोज़िशन – अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें और उंगलियां फैलाकर अच्छी तरह पकड़ें। इसमें झुकाव और फोकस का भाव हो।
  3. दुआ पढ़ें – रुकू की स्थिति में पहुँचने के बाद, निम्न दुआ पढ़ें: “सुब्हाना रब्बियाल अज़ीम”
    अर्थ: “महान है मेरा रब, जो सबसे ऊंचा है।” यह दुआ अल्लाह की महानता का इज़हार करती है और हमें उसके प्रति विनम्रता से झुकने का एहसास दिलाती है।
  4. निगाहों का फोकस – रुकू के दौरान निगाहें पैरों के बीच में होनी चाहिए ताकि ध्यान केंद्रित रहे और हम अल्लाह की याद में मग्न रहें। Namaz Ka Tarika translation in hindi
  5. तीन बार दोहराएं – रुकू में यह दुआ तीन बार पढ़ें। यह एहसास हमें गहराई से समझाता है कि हम अल्लाह के सामने हैं और उसकी महानता का इकरार कर रहे हैं।

रुकू में की जाने वाली आम गलतियाँ

रुकू करते समय कई बार कुछ गलतियाँ हो जाती हैं जिनसे बचना जरूरी है: Namaz Ka Tarika

  • सिर और कमर का असंतुलन – कुछ लोग सिर को ज्यादा झुका लेते हैं या सीधा कर लेते हैं, जो सही तरीका नहीं है।
  • हाथों की स्थिति – हाथों को घुटनों पर सही तरह से न रखना एक आम गलती है। हाथों को अच्छे से फैलाकर रखें।
  • दुआ में कमी – कई लोग जल्दी में दुआ पूरी तरह नहीं पढ़ते। यह नमाज़ के मकसद से हटकर है, इसलिए इसे तीन बार जरूर पढ़ें।

सजदा: अल्लाह के सबसे करीब का लम्हा

सजदा वो लम्हा है जब बंदा अल्लाह के सबसे करीब होता है। यह नमाज़ का एक सबसे गहरा और खुबसूरत हिस्सा है। आइए जानते हैं सजदा करने का सही तरीका ताकि हमारी इबादत मुकम्मल हो सके। Namaz Ka Tarika

1 Video में पूरी नमाज़ सीखें! Namaz Ka Tarika

सजदा का सही तरीका: हदीस के अनुसार

  1. पहले घुटने रखें – जब सजदा में जाएं तो सबसे पहले अपने घुटनों को जमीन पर रखें।
  2. फिर हाथ और माथा – घुटनों के बाद हाथों को जमीन पर रखें और फिर अपना माथा जमीन से मिलाएं।
  3. नाक को जमीन पर टिकाना – अपने नाक को भी जमीन पर टिकाएं ताकि अल्लाह के सामने पूरी विनम्रता और सबमिशन का भाव प्रकट हो। Namaz Ka Tarika
  4. दुआ पढ़ें – सजदा की स्थिति में पहुँचने के बाद यह दुआ पढ़ें: “सुब्हाना रब्बियाल आ’ला”
    अर्थ: “महान है मेरा रब, जो सबसे ऊंचा है।” इस दुआ में हमें अल्लाह के प्रति सबसे ज्यादा अदब का एहसास होता है और विनम्रता का भाव आता है।
  5. तीन बार दोहराएं – इस दुआ को भी तीन बार पढ़ना चाहिए। यह सजदे में हमारी गहराई और हमारे खशूअ और खज़ूअ का एहसास दिलाता है।
  6. हाथों की स्थिति – अपने हाथों को चेहरे के दोनों ओर इस तरह रखें कि उंगलियां एक दूसरे की ओर हों और अंगूठे कानों के बराबर हों।
  7. निगाहों का फोकस – सजदा में निगाहें नाक पर होनी चाहिए ताकि ध्यान एक जगह पर बना रहे और आपकी इबादत में खलल न पड़े।

सजदा में की जाने वाली आम गलतियाँ

  • जल्दी में सजदा करना – यह सबसे आम गलती है। सजदा एक ऐसा लम्हा है जब आप अल्लाह के सबसे करीब होते हैं, इसे इत्मिनान से करना चाहिए।
  • दुआ भूल जाना – कई बार लोग दुआ पढ़ना भूल जाते हैं या जल्दी में पूरी तरह नहीं पढ़ते। ऐसा करने से सजदे का मक़सद अधूरा रह जाता है।
  • हाथों की गलत स्थिति – कुछ लोग हाथों को गलत तरीके से रख देते हैं। इसे चेहरे के दोनों ओर सही पोजीशन में रखें।

नमाज़ का आखिर क़’अदा (Qa’da Akhira): नमाज़ का समापन

जब हम नमाज़ के आखिर में क़’अदा अख़ीरा में बैठते हैं, तो इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण दुआएं पढ़नी होती हैं। आइए इसे समझते हैं: Namaz Ka Tarika

  1. दायां पैर खड़ा रखें – आखिर क़’अदा में बैठते समय अपने दाएं पैर को खड़ा रखें और बाएं पैर को मोड़कर उस पर बैठें।
  2. तशह्हुद पढ़ें – इसमें ये दुआ पढ़ें: “अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु, अस्सलामु अलैक अय्युहन्नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुह, अस्सलामु अलैन व अला इबादिल्लाहिस-सालिहीन। अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुह।” अर्थ: “तमाम तारीफें, नमाज़ और पाक चीज़ें अल्लाह के लिए हैं। ऐ नबी, आप पर सलामती हो और अल्लाह की रहमत और बरकत हो। हम पर भी और अल्लाह के नेक बंदों पर भी सलाम हो। मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, और मुहम्मद (ﷺ) अल्लाह के बंदे और रसूल हैं।”
  3. दुरूद शरीफ पढ़ें – तशह्हुद के बाद दुरूद शरीफ पढ़ना चाहिए। इसमें यह दुआ पढ़ें: “अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व अला आले मुहम्मद, कमा सल्लैत अला इब्राहीम व अला आले इब्राहीम, इन्नक हमीदुम मजीद। अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मद व अला आले मुहम्मद, कमा बारकत अला इब्राहीम व अला आले इब्राहीम, इन्नक हमीदुम मजीद।” अर्थ: “ऐ अल्लाह, मुहम्मद (ﷺ) और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर, जैसे तूने इब्राहीम और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल की। बेशक तू बहुत तारीफ के काबिल और बुलंद है।”
  4. अंतिम सलाम – नमाज़ खत्म करने के लिए पहले दाएं कंधे की तरफ और फिर बाएं कंधे की तरफ सलाम फेरें।
  • Right कंधे की ओर “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह” कहें।
  • फिर Left कंधे की ओर “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह” कहें।

निचोड़

नमाज़ का हर रुक्न हमें अल्लाह के और करीब ले जाने के लिए है। सही तरीके से रुकू और सजदा करना और आखिर क़’अदा में बैठकर ध्यान से दुआएं पढ़ना, हमारी इबादत को मुकम्मल बनाता है। उम्मीद है कि यह मार्गदर्शन आपको अपनी नमाज़ में और भी

खशूअ और खज़ूअ लाने में मदद करेगा।

8 FAQs: Namaz Ka Tarika: Namaz में रुकू और सजदा का सही और आसान तरीका

रुकू क्या है और यह नमाज़ का कौन सा हिस्सा है?

रुकू नमाज़ का वह हिस्सा है जिसमें नमाज़ी कमर झुकाकर अल्लाह की तस्बीह (सुभान रब्बियाल अज़ीम) पढ़ता है। यह हर रकअत में सूरत-अल-फ़ातिहा और दूसरी सूरत की तिलावत के बाद किया जाता है।

रुकू में क्या पढ़ना चाहिए?

रुकू में यह तस्बीह पढ़ी जाती है:
“सुभान रब्बियाल अज़ीम” (कम से कम तीन बार)।

रुकू का सही तरीका क्या है?

कमर और पीठ को सीधा रखें।
दोनों हाथ घुटनों पर रखें और उंगलियों को फैला लें।
सिर और पीठ एक सीध में हो।

सजदा का मतलब क्या है?

सजदा का मतलब है अल्लाह के सामने झुककर इबादत करना। इसमें माथा, नाक, दोनों हथेलियां, घुटने और पैर की उंगलियां जमीन पर टिकती हैं।

सजदा में क्या पढ़ा जाता है?

सजदा में यह तस्बीह पढ़ी जाती है:
“सुभान रब्बियाल आ’ला” (कम से कम तीन बार)।

सजदा करने का सही तरीका क्या है?

माथा और नाक दोनों को जमीन पर टिकाएं।
दोनों हाथ जमीन पर रखें और उंगलियां क़िबला की तरफ हों।
घुटने और पैर की उंगलियां जमीन पर सही ढंग से रखें।

रुकू और सजदा में गलतियां होने पर क्या करना चाहिए?

अगर रुकू या सजदा में कोई गलती हो जाए, तो सज्दा-सहव (भूल-सज्दा) करके नमाज़ को सही किया जा सकता है।

क्या रुकू और सजदा में ज्यादा तस्बीह पढ़ सकते हैं?

हाँ, सुन्नत के मुताबिक तस्बीह तीन बार पढ़ना जरूरी है, लेकिन इसे 5 या 7 बार भी पढ़ सकते हैं। यह अल्लाह के और करीब होने का जरिया है।



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  • Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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Sher Mohammad Shamsi

Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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