Namaz Janaza Ka Tarika जब कोई मुसलमान इस दुनिया से रुखसत हो जाता है, तो उसे दफनाने से पहले नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ी जाती है। यह एक फ़र्ज़-ए-किफ़ाया है, यानी अगर कुछ लोग अदा कर लें तो सबकी तरफ़ से अदा हो जाएगी, लेकिन अगर कोई भी न पढ़े तो सभी गुनहगार होंगे। Namaz Janaza Ka Tarika
यह नमाज़ बग़ैर रुकू और सज्दा के होती है और सिर्फ तकबीर, दरूद और दुआ पर मबनी होती है। इस आर्टिकल में हम आपको बहुत आसान और तफ्सीली अंदाज़ में नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ने का सही तरीका और इससे जुड़े अहम् मसाइल बताएंगे।
जनाज़े की नमाज़ पढ़ना हक़ (फर्ज़-ए-किफ़ाया) है: Namaz Janaza Ka Tarika
📜 हदीस:
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
मुसलमान के मुसलमान पर पाँच हक़ (हक़ूक़) हैं – Namaz Janaza Ka Tarika
1️⃣ सलाम का जवाब देना 🤝
2️⃣ बीमार की अयादत करना 🤲
3️⃣ जनाज़े के साथ जाना ⚰️
4️⃣ दावत कबूल करना 🍽️
5️⃣ छींकने वाले को ‘यर्हमुकल्लाह’ कहना 🤧
(📖 सहीह बुखारी, हदीस 1240)
✅ सीख:
किसी मुसलमान भाई या बहन के इंतिक़ाल पर जनाज़े की नमाज़ पढ़ना उसकी तरफ से हक़ अदा करना है। हमें इस अमल में सुस्ती नहीं करनी चाहिए। Namaz Janaza Ka Tarika
1. जनाज़े की नमाज़ पढ़ने से पहले ज़रूरी तैयारी
नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ने से पहले कुछ बातों का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है: Namaz Janaza Ka Tarika
✅ मय्यत (मरहूम) को ग़ुस्ल देकर कफन पहनाया गया हो।
✅ मय्यत को क़िब्ले की तरफ़ रखते हुए रखा जाए।
✅ तमाम लोग पाक-साफ़ (वुज़ू या ग़ुस्ल) करके शरीक हों।
✅ सफ़ें (लाइनें) बनाकर सीधा खड़े हो जाएं।
✅ इमाम आगे खड़ा होगा, अगर मरहूम मर्द है तो उसके सर की तरफ़ और औरत है तो उसकी कमर की तरफ़।
📌 याद रखें:
अगर ज्यादा लोग हों तो तीन या पाँच सफ़ें बनाना बेहतर है, क्योंकि हदीस में आया है कि जिस जनाज़े की नमाज़ में तीन सफ़ें बन जाएं, उसके लिए मग़फिरत की दुआ क़बूल होती है। Namaz Janaza Ka Tarika
जनाज़े की नमाज़ में शामिल होना अल्लाह की रहमत का ज़रिया है
📜 रिवायत:
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो जनाज़े की नमाज़ में शिरकत करता है, वह अल्लाह की रहमत और बरकत में शामिल हो जाता है।”
✅ सीख:
अल्लाह तआला ऐसे लोगों पर अपनी रहमत नाज़िल फरमाते हैं जो जनाज़े की नमाज़ में शरीक होकर मय्यत की मग़फिरत के लिए दुआ करते हैं।
जनाज़े की नमाज़ में शरीक होने से गुनाह माफ़ होते हैं
📖 हदीस:
“जो शख़्स जनाज़े में शरीक हुआ और इख़लास के साथ मग़फिरत की दुआ की, उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।”
✅ सीख: Namaz Janaza Ka Tarika
अगर कोई शख़्स दिल से मय्यत के लिए मग़फिरत की दुआ करता है, तो अल्लाह तआला उसकी भी मग़फिरत कर सकते हैं।
जनाज़े की नमाज़ पढ़ने से अल्लाह तआला मग़फिरत फरमाते हैं
📖 हदीस:
“अगर किसी मुसलमान के जनाज़े में चालीस ऐसे लोग शरीक हो जाएं जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक (शिर्क) न ठहराते हों, तो अल्लाह उस मय्यत की मग़फिरत फरमा देता है।” (सहीह मुस्लिम)
✅ सीख:
अगर ज्यादा से ज्यादा लोग जनाज़े की नमाज़ में शरीक होकर मग़फिरत की दुआ करें, तो अल्लाह तआला उसकी मग़फिरत कर सकते हैं। इसलिए हमें जनाज़े की नमाज़ को अहमियत देनी चाहिए।
जनाज़े की नमाज़ पढ़ने पर बड़े सवाब की खुशीखबरी
📖 हदीस:
“जो शख़्स जनाज़े की नमाज़ पढ़े, उसे एक क़ीरात सवाब मिलता है और जो जनाज़े के साथ क़ब्र तक जाए, उसे दो क़ीरात सवाब मिलता है।”
(📌 1 क़ीरात = उहुद पहाड़ के बराबर सवाब)
📜 रिवायत:
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.) फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो जनाज़े के साथ जाए और नमाज़ अदा करे, फिर दफ़न तक रहे, उसे दो क़ीरात सवाब मिलेगा, जिनमें से हर क़ीरात उहुद पहाड़ जितना होगा।” (सहीह बुखारी, सहीह मुस्लिम) Namaz Janaza Ka Tarika
✅ सीख: जनाज़े की नमाज़ पढ़ना और जनाज़े को दफ़नाने तक साथ रहना बहुत बड़ा सवाब का काम है।
2. नमाज़-ए-जनाज़ा की निय्यत (Intention)
नमाज़-ए-जनाज़ा की निय्यत (इरादा) दिल में करनी होती है, ज़ुबान से बोलना ज़रूरी नहीं। Namaz Janaza Kaise Padhen
📢 नियत करने का तरीका:
“मैं निय्यत करता हूँ कि इस मय्यत की जनाज़े की नमाज़ पढ़ रहा हूँ, चार तकबीरों के साथ, अल्लाह के लिए, दुआ करने वाले के पीछे, मुंह मेरा क़िब्ले की तरफ़।”
3. नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ने का सही तरीका (Step-by-Step)
🔹 पहली तकबीर:
- इमाम “अल्लाहु अकबर” कहेगा और हम भी “अल्लाहु अकबर” कहकर हाथ बांध लेंगे।
- फिर सना (सुभानक अल्लाहुम्मा) पढ़ेंगे:

📖 سُبْحَانَكَ اللّٰهُمَّ وَبِحَمْدِكَ وَتَبَارَكَ اسْمُكَ وَتَعَالٰى جَدُّكَ وَلاَ إِلٰهَ غَيْرُكَ
📝 अर्थ: “ऐ अल्लाह! तू पाक है, तेरी हम्द के साथ, तेरा नाम बाबरकत है, तेरी शान अज़ीम है और तेरे अलावा कोई माबूद नहीं।”
🔹 दूसरी तकबीर:
- इमाम फिर “अल्लाहु अकबर” कहेगा और हम भी “अल्लाहु अकबर” कहकर दरूद-ए-इब्राहीमी पढ़ेंगे।
📖 اللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّعَلٰى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلٰى إِبْرَاهِيْمَ وَعَلٰى آلِ إِبْرَاهِيْمَ إِنَّكَ حَمِيْدٌ مَجِيْدٌ…
📝 अर्थ: “ऐ अल्लाह! हमारे नबी हज़रत मुहम्मद (ﷺ) और उनकी आल पर रहमत नाज़िल फ़रमा, जैसे तूने हज़रत इब्राहीम (अ) और उनकी आल पर रहमत नाज़िल फ़रमाई।”
🔹 तीसरी तकबीर:
- इमाम तीसरी बार “अल्लाहु अकबर” कहेगा और हम भी “अल्लाहु अकबर” कहकर मय्यत के लिए मग़फिरत की दुआ पढ़ेंगे।
📖 اللّٰهُمَّ اغْفِرْ لِحَيِّنَا وَمَيِّتِنَا وَشَاهِدِنَا وَغَائِبِنَا… Full Dua
📝 अर्थ: “ऐ अल्लाह! हमारे ज़िन्दा और मुर्दों को, हाज़िर और ग़ैरहाज़िर को बख्श दे।”
🔹 चौथी तकबीर:
- इमाम चौथी बार “अल्लाहु अकबर” कहेगा, फिर हम सिर झुका लेंगे और दोनों तरफ सलाम फेर देंगे।
📢 सलाम देने का तरीका:
“अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल्लाह” (पहले दाहिनी तरफ, फिर बाईं तरफ़)
4. जनाज़े की नमाज़ के बाद क्या करें?
🔹 जनाज़े की मग़फिरत और बुलंदी-ए-दराजात की दुआ करें।
🔹 दफनाने के दौरान “बिस्मिल्लाहि व बिल्लाहि” पढ़कर मिट्टी डालें।
🔹 क़ब्र पर खड़े होकर सूरह फ़ातिहा, सूरह मुल्क और सूरह इख़लास पढ़ सकते हैं।
🔹 मरहूम के लिए इस्तेग़फ़ार और सब्र की दुआ करें।
📖 हदीस:
“जो शख़्स किसी मुसलमान के जनाज़े में शरीक होता है और नमाज़ अदा करता है, उसे एक क़ीरात सवाब मिलता है और जो जनाज़े के साथ क़ब्र तक जाता है, उसे दो क़ीरात सवाब मिलता है।” (सहीह मुस्लिम)
(📌 1 क़ीरात = उहुद पहाड़ के बराबर सवाब)
5. जनाज़े से जुड़े कुछ अहम् सवाल-जवाब
❓ क्या जनाज़े की नमाज़ के लिए वुज़ू ज़रूरी है?
✅ जी हाँ, जनाज़े की नमाज़ के लिए वुज़ू या तहममम ज़रूरी है।
❓ क्या औरतें जनाज़े की नमाज़ पढ़ सकती हैं?
✅ हाँ, औरतें भी जनाज़े की नमाज़ पढ़ सकती हैं, मगर घर में रहकर दुआ करना बेहतर माना जाता है।
❓ अगर जनाज़े की नमाज़ छूट जाए तो क्या करें?
✅ जनाज़े की नमाज़ क़ज़ा नहीं होती, मगर क़ब्र पर जाकर दुआ कर सकते हैं।
❓ क्या जनाज़े की नमाज़ मस्जिद में पढ़ सकते हैं?
✅ बेहतर है कि जनाज़े की नमाज़ खुली जगह (ईदगाह या मस्जिद के बाहर) पढ़ी जाए।
नतीजा (Conclusion)
नमाज़-ए-जनाज़ा मुसलमान के हक़ में सबसे बड़ी दुआ है। हमें चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा जनाज़े की नमाज़ में शरीक होकर अपने भाई-बहनों की मग़फिरत के लिए दुआ करें। अल्लाह हम सबको नेक आमाल की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन! 🤲
📌 अगर यह जानकारी फायदेमंद लगी हो तो दूसरों के साथ भी शेयर करें, ताकि सबको सवाब मिले।
0 Comments