गुरु की सीख — अज्ञानता से ज्ञान की ओर
(Guru Ki seekh Zaruri hain): “ग़ालिब ने कहा था कि इल्म वह नूर है जो इंसान की ज़िंदगी को चमका देता है। सोचिए अगर यह नूर न हो तो ज़िंदगी कैसी होगी? बिल्कुल उसी तरह जैसे अंधेरे कमरे में बैठे इंसान को कोई राह नज़र न आए।”
परिचय
गुरु की अहमियत इंसान की ज़िंदगी में वैसी ही है जैसे सूरज की रोशनी धरती के लिए। गुरु का ज्ञान दीपक की तरह है, जो अज्ञानता के अंधेरे को दूर करता है। जब इंसान तन्हाई, उलझनों और नादानी के साए में फँस जाता है, तब गुरु ही उसे सही राह दिखाता है।
गुरु की सीख — Guru Ki seekh Zaruri hain
गुरु की सीख सिर्फ़ किताबों के अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि वह रूहानी रौशनी है जो दिल को सुकून देती है और दिमाग़ को सलीक़ा। जब इंसान हक़ीक़त और वहम के बीच उलझ जाता है, तब गुरु का एक छोटा सा इशारा पूरी ज़िंदगी का रुख़ बदल देता है।
इल्म की अहमियत — रूह को रोशन करने वाला नूर
कभी सोचा है, अगर इंसान के पास इल्म न हो तो ज़िंदगी कैसी हो?
बिल्कुल ऐसे जैसे अंधेरे कमरे में बंद कोई शख़्स, जिसे न रास्ता नज़र आए, न मंज़िल। इल्म वही रौशनी है जो अंधेरे को मिटाती है और इंसान को मंज़िल की तरफ़ ले जाती है। Guru Ki seekh
हज़रत अली (रज़ि.अ.) का नसीहत भरा अंदाज़
हज़रत अली ने इल्म की क़ीमत को माल से भी ज़्यादा बताया। वो कहते हैं:
“इल्म तुम्हारी हिफ़ाज़त करता है और माल से तुम्हें उसकी हिफ़ाज़त करनी पड़ती है।”
सोचिए, कितना सादा लेकिन गहरा सच है। माल चोर ले सकता है, वक्त छीन सकता है, लेकिन इल्म? वो हमेशा तुम्हारे साथ रहता है, तुम्हें गिरने से बचाता है।
इमाम ग़ज़ाली — अमल में झलकता इल्म
इमाम ग़ज़ाली कहते थे कि इल्म सिर्फ़ किताबों का बोझ नहीं, बल्कि इंसान के किरदार में झलकना चाहिए।
मतलब, अगर हम ढेरों किताबें पढ़ लें लेकिन अमल में कुछ न दिखे, तो वो इल्म अधूरा है। इल्म का मतलब है इंसान का बेहतर इंसान बनना।
रूमी — दिल को रोशन करने वाला इल्म
रूमी ने तो इल्म को और भी हसीन तरीके से समझाया। उनका कहना था:
“इल्म वो नहीं जो काग़ज़ पर लिखा है, इल्म वो है जो इंसान के दिल को रौशन कर दे।”
यानि सच्चा इल्म वही है जो अंदर की तन्हाई, डर और अंधेरे को मिटाकर रूह को सुकून दे।
अल्लामा इक़बाल — जोश और जागरूकता का पैग़ाम
इक़बाल का अंदाज़ जज़्बाती और जागरूक करने वाला था। उनका मानना था कि इल्म का मक़सद सिर्फ़ नौकरियाँ या शोहरत पाना नहीं, बल्कि इंसानियत को बुलंदी देना है।
उनकी आवाज़ एक पुकार थी — उठो, इल्म को अपनाओ और अपने हालात बदल डालो।
कबीर दास — सादगी भरा सच
कबीर दास ने इल्म की अस्ल सूरत को दो पंक्तियों में बयान कर दिया:
“पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
मतलब, ढेर सारी किताबें पढ़ने से कोई बड़ा नहीं बनता। अगर इंसान ने मोहब्बत और इंसानियत को समझ लिया, वही असली इल्म है।
स्वामी विवेकानंद — आत्मविश्वास की चिंगारी
विवेकानंद का कहना था कि इल्म इंसान को उसकी खुद की ताक़त से वाक़िफ़ कराता है।
उनका अंदाज़ प्रेरणादायी था — “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंज़िल न मिल जाए।”
इल्म क्यों ज़रूरी है?
इन सबकी बातें हमें एक ही सच्चाई तक ले जाती हैं:
इल्म सिर्फ़ किताबों, इम्तिहानों या डिग्रियों का नाम नहीं। इल्म वह नूर है जो:
- हमें अंधेरे से निकालकर रोशनी की तरफ़ ले जाए।
- हमारे किरदार को मज़बूत बनाए।
- हमें इंसानियत, मोहब्बत और हक़ का रास्ता दिखाए।
इसलिए कहा गया है:
“गुरु का ज्ञान दीपक की तरह है, जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है।”
दीपक और अंधेरा
जैसे दीपक की लौ अंधेरे को चीर कर रौशनी फैलाती है, वैसे ही गुरु का ज्ञान इंसान के अंदर के अज्ञान को मिटा देता है।
- अज्ञानता इंसान को गुमराह कर देती है।
- गुरु की सीख उसे सच और झूठ में फ़र्क़ करना सिखाती है।
- यही सीख इंसान को अच्छे-बुरे की पहचान कराती है।
गुरु — मार्गदर्शक और सहारा
गुरु सिर्फ़ पढ़ाने वाला नहीं होता, बल्कि वह सहारा है जो हमें गिरने से बचाता है। इंसान जब हार मान लेता है, तो गुरु ही उसे हिम्मत देता है। गुरु की बातें कभी-कभी सख़्त लगती हैं, लेकिन वही सख़्ती हमें मज़बूत इंसान बनाती है।
दिल को छू लेने वाली बात
गुरु की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह हमें हमारी कमज़ोरियों से वाक़िफ़ कराता है और उन्हें दूर करने का रास्ता बताता है। वह हमें बताता है कि ज़िंदगी सिर्फ़ जीने का नाम नहीं, बल्कि सीखने और सुधारने का सफ़र है।
निष्कर्ष
गुरु का ज्ञान दीपक की लौ की तरह है, जो अंधकार को मिटा कर रौशनी से भर देता है। जिस इंसान को सच्चा गुरु मिल जाए, वह कभी अंधकार में नहीं रहता। यही वजह है कि कहा गया है:
“गुरु बिन ज्ञान नहीं, गुरु बिन मोक्ष नहीं।”