Full Namaz Step By Step Translation In Hindi
नमाज पढ़ते समय, आप उसी दिशा में लगे रहते हैं, और नमाज पूरी हो जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आपने नियत करने से लेकर सलाम फेरने तक अल्लाह से क्या कहा? जो कुछ भी आपने पढ़ा, उसका क्या अर्थ है? यदि आप इसे जानते हैं, तो अल्लाह आपको और भी ज्यादा ज्ञान दे।
लेकिन यदि आप नहीं जानते, तो आपको जानना चाहिए, क्योंकि नमाज में अल्लाह से बात की जाती है। लेकिन अगर आपको यह नहीं पता कि मैं क्या कह रहा हूं, सही हूं या नहीं, तो आप सिर्फ मस्जिद से निकलकर अपनी दायित्वों को पूरा करेंगे, लेकिन नमाज से वह लाभ नहीं मिलेगा और आपकी दिल और आत्मा को वह शांति नहीं मिलेगी।
आइये Full Namaz Step By Step Translation In Hindi में जाने जो हमारे लिए बेहतर है
इसलिए, जब भी आप नमाज पढ़ें, आपका ध्यान सिर्फ़ अल्लाह की ओर होना चाहिए, न कि दुनियावी चीजों में उलझन में रहना चाहिए। यह उस समय हो सकता है जब हमें नमाज में पढ़ी जाने वाली बातों का अर्थ पता होगा और हम जो कह रहे हैं, उसका अर्थ जानेंगे। इसलिए, इस पोस्ट में हमने नमाज में पढ़ी जाने वाली हर तस्बीह का अर्थ बताया है। Full Namaz Step By Step Translation In Hindi मुसलमान कैसे बनें: इस्लाम अपनाने का तरीका
इन्सान को अल्लाह त’आला किस लिए पैदा किया ?
क़ुरान में यह ज़िक्र है कि अल्लाह ने इंसान को अपने इबादत और तक़वा में इज़ाफ़ा करने के लिए पैदा किया है। जैसे सूरह अज़-ज़ारियात में फ़रमाया गया है: “यह बात इस आयत से ली गई है: “और मैंने जिन्नात और इन्सानों को सिर्फ़ इसलिए पैदा किया है कि वो मेरी इबादत करें।” (सूरह अध-धारियात, आयत 56)
इससे मक़सद यह है कि इंसान अपने जीवन में अल्लाह की राह में नेक अमल करें और उसके हुकूम को अदा करें।
नमाज़ तर्जुमे के साथ सीखने के फ़ायदे:Benefits of learning with Namaz Tarjuma
Full Namaz Step By Step Translation In Hindi नमाज़ तर्जुमे के साथ सीखना कई फायदे उठाता है। यह एक शख्स को नमाज़ की अहमियत और उसके हर एस्पेक्ट्स को समझने में मदद करता है। यह कुछ फायदे इनक्लूड करता है:
Understanding: समझना
समझना: “Full Namaz” तर्जुमे के ज़रिए, शख्स नमाज़ के हर लफ़्ज़ और हर अमल की मानी को समझ सकता है। इससे नमाज़ सिर्फ़ एक रिटुअलिस्टिक गतिविधि नहीं रहती, बल्कि उसकी डेप्थ और सिग्निफिकेंस समझने का ज़रिया बन जाता है।
Connection with Allah: अल्लाह से ताअल्लुक़
अल्लाह से ताअल्लुक़: जब शख्स नमाज़ की हर कलमात को समझता है, तो उसकी नमाज़ का ताल्लुक सिर्फ़ ज़ाहिरी इबादत से नहीं रहता, बल्कि रूहानी तौर पर भी गहरा होता है। उसका ताल्लुक अल्लाह के साथ मज़बूत होता है। Full Namaz Step By Step Translation वजू करने का तरीका
Khushu’ (Concentration): ख़ुशू’ (ध्यान)
ख़ुशू’ (ध्यान): तर्जुमे के ज़रिए, शख्स अपनी नमाज़ में ज़्यादा ख़ुशू’ (कंसेंट्रेशन) ला सकता है। क्योंकि वह समझता है के वह क्या कह रहा है और किस मक़सद के लिए नमाज़ अदा कर रहा है। इस्लाम धर्म की स्थापना कब और कैसे हुई? जानें
Educational Benefit: तालीमी फ़ायदा ?
तालीमी फ़ायदा: नमाज़ तर्जुमे के ज़रिए एक शख्स इस्लामी तारीख, फ़िक़ह, और अरबी ज़बान में वोकेबुलरी की तरक्की कर सकता है। इससे उनका इल्म-ए-दीन (रिलीजियस नॉलेज) भी बढ़ जाता है।
Communication with Community: समुदाय के साथ संचार
कम्युनिकेशन विद कम्युनिटी: अगर कोई शख्स नमाज़ की तर्जुमे समझता है, तो वह अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को भी नमाज़ का तरीका और मानी आसानी से समझा सकता है। इससे कम्युनिटी में इस्लामी इल्म का फ़ायदा होता है।
इस तरह से, नमाज़ तर्जुमे के साथ सीखने का फ़ायदा यह है के शख्स नमाज़ को सिर्फ़ अदा करने का तरीका नहीं समझता, बल्कि उसके रूहानी और इल्मी एस्पेक्ट्स को भी समझ सकता है। पाक होने का तरीका
Full Namaz Step By Step Translation In Hindi
मुकम्मल नमाज़ का हिंदी में अनुवाद
अल्लाहु अकबर
तरजुमा: अल्लाह सबसे महान है।
सना
सुबहानक- अल्लाहुम्मा व बिहमदिक व तबार क-स्मुक व त’आला जददुक वलाइलाह गैरुक
तरजुमा: हे अल्लाह, तेरी पवित्रता और महिमा के साथ, तेरा नाम आला है, और तेरी अज़मत के साथ, तू हमें अलग करता है, और तू बिना किसी साथी के है।
अऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
तरजुमा: मैं अल्लाह की पनाह माँगता हूं शैतान रजीम से।
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
तरजुमा: मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, जो बहुत दयालु और बहुत रहम वाला है।
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
तरजुमा: मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, जो बहुत दयालु और बहुत रहम वाला है।
सूरह फ़ातिहा
- तमाम तारीफें उस अल्लाह ही के लिए हैं, जो सभी जगहों का मालिक है।
- वह दयालु और करूणामय है।
- वह इंसाफ के दिन का मालिक है।
- हम सिर्फ़ तुझसे ही मदद माँगते हैं, और तेरी ही इबादत करते हैं।
- हमें सीधा रास्ता दिखा, जो उनके रास्ते हैं, जो तूने अनुग्रहित किए हैं, और न उनके रास्ते, जो तेरी नाफरमानी में हैं। (आमीन) सुरह फातिहा तफसीर जाने… Surah Fatiha: Hindi Mein Tafseer
सूरह फ़ातिहा का तफसीर:
- तमाम तारीफें उस अल्लाह ही के लिए हैं, जो सभी जगहों का मालिक है: यहाँ सूरह फ़ातिहा की शुरुआत में हम सभी तारीफें अल्लाह के लिए बयान करते हैं, जो समस्त जगहों का मालिक है, अर्थात् उसका स्वामित्व समस्त संसार में सर्वोपरि है।
- वह दयालु और करूणामय है: यह बताता है कि अल्लाह दयालु और करूणामय है, वह अपने बंदों पर रहम करता है और उन्हें अपनी करुणा से आशीर्वादित करता है।
- वह इंसाफ के दिन का मालिक है: यह बयान करता है कि अल्लाह ही वह मालिक है जो न्याय के दिन का स्वामी है, जब हर व्यक्ति को अपने किये गए कर्मों के अनुसार मिलेगा।
- हम सिर्फ़ तुझसे ही मदद माँगते हैं, और तेरी ही इबादत करते हैं: इस आयत में हम अल्लाह से सिर्फ़ मदद माँगते हैं और उसकी ही इबादत करते हैं, क्योंकि उसी के सिवा हमें कोई भी सहारा नहीं है।
- हमें सीधा रास्ता दिखा, जो उनके रास्ते हैं, जो तूने अनुग्रहित किए हैं, और न उनके रास्ते, जो तेरी नाफरमानी में हैं: इस आखिरी आयत में हम अल्लाह से यह दुआ करते हैं कि वह हमें उन रास्तों पर चलने की हिदायत दें जो उसकी रजा के अनुसार हैं, और हमें उस रास्ते से दूर रखें जो उसकी नाफरमानी में हैं। यह दुआ सूरह फ़ातिहा का समापन करती है, जो हमें अल्लाह की राह पर सही दिशा में ले जाती है।”
सूरह इखलास
- ये मोहम्बमद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम )वो अल्लाह एक है।
- अल्लाह बे नियाज़ है।
- न उसकी कोई औलाद है , और न वो किसी से पैदा हुआ।
- और न उसके जोड़ का कोई।
सूरह इखलास का तफसीर:
- बस अल्लाह ही एक है: इस आयत में बताया गया है कि अल्लाह सिवाय किसी और के, सबके सर्वोपरि हैं, उनके बिना कोई और माबूद नहीं है।
- अल्लाह बे नियाज़ है: इस सत्य के द्वारा बताया जाता है कि अल्लाह बिना किसी परिवर्तन के हैं, वे हमेशा स्थिर और अबदल नहीं होते हैं।
- न उसकी कोई औलाद है , और न वो किसी से पैदा हुआ: यह बताता है कि अल्लाह कोई भी माता-पिता नहीं हैं, उन्हें कोई जन्म नहीं होता है और दोसरा कोई उनका मालिक नहीं ।
- औऔर न उसके जोड़ का कोई: इस आयत में बताया गया है कि अल्लाह किसी और जैसा नहीं हैं, उनका कोई साथी या समकक्ष नहीं है। उन्हें कोई भी शरीरिक या आत्मिक समानता नहीं है।
इस सूरे में अल्लाह की अद्वितीयता, उनकी उपासनीयता, और उनके स्वरूप का विवरण किया गया है।”
अल्लाहु अकबर
तरजुमा: अल्लाह सबसे महान है।
(रुकू में) सुब हाना रब्वियल अज़ीम
तरजुमा: पवित्र है मेरा परमेश्वर और महान है।
(रुकू से उठते हुए) समिअल्ल लाहु लिमन हमिदह
तरजुमा: अल्लाह ने उसकी सुन ली है, जिसने उसकी प्रशंसा की है।
रब्बना लकल हम्द
तरजुमा: हे हमारे परमेश्वर, तुम्हारी ही प्रशंसा है।
अल्लाहु अकबर
तरजुमा: अल्लाह सबसे महान है।
(सज्दे में) सुब हाना रब्वियल आला
तरजुमा: पवित्र है मेरा परमेश्वर, बहुत ही उच्च शान वाला है।
(सज्दे में) सुब हाना रब्बियल आला
तरजुमा: पवित्र है मेरा परमेश्वर, बहुत ही उच्च शान वाला है।
(दूसरे सज्दे से उठते हुए)
अत्तहिय्यात
अत्तहिय्यातु लिल्ल-लाहि वस्स-सलवातु वत्त-यबातु अस्स-लामु अलैका अय्युहन्न नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुह अ- स्सलामु अलैना व अला इबदिल्लाहिस्स सालिहीन अश-हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु व अश-हदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह”
अत्तहिय्यात हिंदी अनुवाद
सभी इबादतें सिर्फ़ अल्लाह के लिए हैं। और सभी नमाज़ें और अच्छी बातें भी अल्लाह के लिए हैं। सलाम हो आप पर, हे नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) और अल्लाह की रहमतें और उसकी बरकतें हम पर भी सलाम हो, और अल्लाह के नेक बंदों पर भी।
मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं है और गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं।
दुरूद शरीफ़
ऐ अल्लाह! हमेशा हमारे नबी मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) पर और उनके परिवार पर रहमत निकलो जैसा कि तूने हज़रत इब्राहीम (अलैहिस सलाम) पर निकाली थी, बिल्कुल ही तारीफ के लायक और बड़ी बुजुर्गी और अजमतवाले हैं।
ऐ अल्लाह! हमेशा हमारे नबी मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) पर और उनके परिवार पर बरकत निकलो जैसा कि तूने हज़रत इब्राहीम (अलैहिस सलाम) पर निकाली थी, बिल्कुल ही तारीफ के लायक और बड़ी बुजुर्गी और अजमतवाले हैं।
दुआए मासूरा
ऐ अल्लाह! मैं अपने आप पर बहुत जुल्म किया है और तेरे सिवा कोई भी गुनाहों को माफ नहीं कर सकता, केवल तेरी खास इनायत से मुझे माफ कर और मेरे ऊपर रहम कर, बिल्कुल ही तू ही बख्शने वाला और अत्यंत रहमवाला है।
FAQ’s
नमाज़ क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?
नमाज़ इस्लाम में सबसे महत्वपूर्ण इबादत है, जिसे अल्लाह की इबादत करने का सीधा जरिया माना जाता है। यह मुसलमानों पर फर्ज़ है और इसे दिन में पाँच बार अदा किया जाता है। नमाज़ इंसान को अल्लाह से जोड़ने का माध्यम है, जिससे दिल को सुकून और आत्मा को शांति मिलती है।
नमाज़ की तारीफ और इसके फायदे क्या हैं?
नमाज़ को एक ऐसी इबादत के रूप में देखा जाता है जो हमें अल्लाह के नजदीक लाती है। इसके फायदे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक होते हैं। यह अनुशासन, धैर्य और अल्लाह पर विश्वास को मजबूत करती है, साथ ही यह इंसान को गुनाहों से दूर रखने में मदद करती है।
नमाज़ की नियत और तारीख क्या है?
नमाज़ शुरू करने से पहले नियत (इरादा) करना जरूरी है, जो दिल से अल्लाह की इबादत के लिए किया जाता है। नियत से यह तय होता है कि आप कौन सी नमाज़ अदा कर रहे हैं और इसे सिर्फ अल्लाह की खुशी के लिए कर रहे हैं। नियत बिना आवाज के दिल में की जाती है।
नमाज़ में कौन-कौन सी चीजें शामिल होती हैं?
नमाज़ में कई चीजें शामिल होती हैं जैसे कि तहरीम (नमाज़ शुरू करने की तकबीर), क़िरात (कुरान की आयतें पढ़ना), रुकू (झुकना), सजदा (सजदा करना), और तशह्हुद (शहादत की गवाही देना)। नमाज़ का हर एक हिस्सा अल्लाह के प्रति विनम्रता और समर्पण का प्रतीक है।
नमाज़ को सही तरीके से कैसे पढ़ा जाता है?
नमाज़ को सही तरीके से पढ़ने के लिए शुद्धता (वुज़ू), नियत, और कुरान की आयतें सही से पढ़ना जरूरी होता है। नमाज़ को ध्यान और श्रद्धा से अदा करना चाहिए, बिना जल्दबाजी के। हर एक हरकत और शब्द का सही उच्चारण और अनुशासन नमाज़ की शुद्धता को दर्शाता है।
नमाज़ के सही तरीके में क्या होता है?
नमाज़ के सही तरीके में वुज़ू (शारीरिक पवित्रता), नियत करना, खड़े होकर तकबीर (अल्लाहु अकबर कहना), सूरह अल-फातिहा और कुरान की अन्य आयतें पढ़ना, रुकू (झुकना), सजदा (झुककर अल्लाह की इबादत करना), और अंत में तशह्हुद पढ़ना शामिल होता है।
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्ल लाह
सलामती हो आप पर, और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें नाज़िल हों। शुक्रिया
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