तअर्रुफ़ (परिचय)
अल्हम्दुलिल्लाह! “Eid Ke Din Karne Wale 10 Zaroori Kaam” ईद का दिन एक नेअमत भरा दिन होता है। यह सिर्फ़ ख़ुशियों और तफ़रीह (मनोरंजन) का मौक़ा नहीं बल्कि एक मुबारक (पवित्र) दिन है जिसमें बंदे को अल्लाह की रहमत और बरकत हासिल होती है। ईद-उल-फ़ितर और ईद-उल-अज़हा, दोनों ही इस्लामी तशख़्खुस (पहचान) का अहम हिस्सा हैं। इस दिन हमें सुन्नत और मुस्तहब आमाल (सिफ़ारिश की गई चीज़ें) को अपनाकर इसका हक़ अदा करना चाहिए। आइए जानते हैं कि ईद के दिन कौन-कौन से ज़रूरी काम करने चाहिए।
1. ग़ुस्ल करना (नहाना)
ईद के दिन सुबह फ़ज्र से पहले या उसके बाद ग़ुस्ल करना सुन्नत है। हदीस शरीफ़ में आता है: Eid Ke Din Karne Wale 10 Zaroori Kaam
“अल्लाह के नबी ﷺ ईद के दिन ग़ुस्ल फ़रमाते थे।” Eid Ke Din Karne Wale 10 Zaroori Kaam
👉 इससे जिस्म (शरीर) पाक-साफ़ होता है और ताज़गी महसूस होती है। यह इस दिन की ख़ास अहमियत को भी दर्शाता है।
2. नए या साफ़ कपड़े पहनना
ईद के दिन अच्छे, साफ़-सुथरे और मुमकिन हो तो नए कपड़े पहनना सुन्नत है। अल्लाह के रसूल ﷺ के बारे में आता है:
“आप ﷺ के पास एक ख़ास जोड़ा (कपड़ों का सेट) था जिसे आप ईद और जुमा के दिन पहनते थे।”
👉 यह इस बात की निशानी है कि हमें इस दिन अपनी ज़ाहिरी हालत भी बेहतरीन बनानी चाहिए। लेकिन इसमें इसराफ़ (फ़ुज़ूलख़र्ची) से बचना चाहिए।
3. खुशबू लगाना
ईद के दिन इत्र (परफ़्यूम) लगाना सुन्नत है, ख़ासकर मर्दों के लिए। यह भी अल्लाह के रसूल ﷺ की प्यारी आदतों में से एक है।
👉 इससे दूसरों को भी अच्छा महसूस होता है और महफ़िल में पाकीज़गी रहती है।
4. फ़ज्र की नमाज़ अदा करना
ईद के दिन फ़ज्र की नमाज़ जमाअत (समूह) के साथ अदा करना बहुत अहम है।
👉 इससे ईमान (आस्था) में पुख़्तगी आती है और दिन की शुरुआत बरकत के साथ होती है।
5. तकबीर पढ़ना: Eid Ke Din Ki Dua Aur Takbeer Ka Tarika
ईद की रात और सुबह से ईदगाह (ईद की नमाज़ पढ़ने की जगह) तक जाते हुए तकबीर कहना सुन्नत है:
الله أكبر الله أكبر لا إله إلا الله والله أكبر الله أكبر ولله الحمد

👉 यह अल्लाह की बड़ी शान का इज़हार (प्रदर्शन) करने का एक तरीक़ा है। ईद-उल-अज़हा में यह तकबीरें ज़्यादा अहम हो जाती हैं।
6. ईद की नमाज़ से पहले कुछ खाना
ईद-उल-फ़ितर में नमाज़ से पहले मीठा या खजूर खाना सुन्नत है, जबकि ईद-उल-अज़हा में नमाज़ के बाद क़ुर्बानी का गोश्त खाना सुन्नत है। हदीस में आता है:
“अल्लाह के रसूल ﷺ ईद-उल-फ़ितर में नमाज़ से पहले खजूर खाया करते थे।” Eid Ke Din Karne Wale 10 Zaroori Kaam
👉 यह सुन्नत पर अमल और अल्लाह की नेअमत का शुक्र अदा करने का तरीक़ा है।
7. अलग-अलग रास्तों से जाना
ईद की नमाज़ पढ़ने जाते वक़्त एक रास्ते से जाना और दूसरे रास्ते से वापस आना सुन्नत है। यह रसूलुल्लाह ﷺ की आदत थी।
👉 इससे ज़्यादा लोगों से मुलाक़ात होती है और इस्लामी भाईचारे को फ़रोग़ (बढ़ावा) मिलता है।
8. मुबारकबाद देना और मुस्कुराना
ईद के दिन अपने घरवालों, दोस्तों और अजनबी लोगों को “तक़ब्बलल्लाहु मिन्ना वा मिंकुम” कहकर मुबारकबाद देना सुन्नत है। इसका मतलब है: “अल्लाह हमारी और तुम्हारी इबादत क़ुबूल करे।”
👉 इससे आपसी मोहब्बत और इस्लामी भाईचारे का इज़हार होता है।
9. सदक़ा-ए-फ़ित्र अदा करना
ईद-उल-फ़ितर से पहले हर मुसलमान पर वाजिब (फ़र्ज़ के क़रीब) है कि वह सदक़ा-ए-फ़ित्र अदा करे। इसका मक़सद यह है कि गरीब और ज़रूरतमंद लोग भी ईद की ख़ुशियों में शामिल हो सकें।
👉 इसे नमाज़ से पहले अदा करना बेहतर है, ताकि ज़रूरतमंद इसे ईद के दिन इस्तेमाल कर सकें।
10. ग़रीबों और यतीमों का ख़याल रखना
ईद सिर्फ़ अपनी ख़ुशियों में मशग़ूल (व्यस्त) होने का नाम नहीं, बल्कि दूसरों को ख़ुश करने का भी मौक़ा है। हमें अपने ग़रीब रिश्तेदारों, पड़ोसियों और यतीम बच्चों का ख़ास ख़याल रखना चाहिए।
👉 जो लोग नये कपड़े, मिठाई और ईद की ख़ुशियों से महरूम (वंचित) हैं, उन्हें भी इस दिन शामिल करने की कोशिश करें।
ईद की रात इबादत का फ़ज़ीलत: Eid Ki Raat Ibadat Ka Kya Fazilat Hai?
ईद की रात यानी चाँद रात को ‘लैलतुल जाइज़ा’ (इनाम की रात) कहा जाता है। यह रात अल्लाह की रहमतों और बरकतों से भरी होती है।
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: “जो शख़्स ईद की रात इबादत में गुज़ारे, उसका दिल उस दिन नहीं मरेगा, जिस दिन सबके दिल मर जाएंगे।”
👉 इस रात में नफ़िल नमाज़, क़ुरआन की तिलावत और दुआओं का एहतिमाम (ख़ास ध्यान) करना चाहिए।
नतीजा (निष्कर्ष)
ईद सिर्फ़ तफ़रीह का दिन नहीं बल्कि इबादत, शुक्र और भाईचारे का दिन है। हमें चाहिए कि सुन्नतों पर अमल करें, ग़रीबों की मदद करें और इस दिन को इत्तेहाद (एकता) और मोहब्बत से मनाएं। अल्लाह तआला हम सबको ईद के दिन की बरकतें नसीब फ़रमाए! आमीन!
0 Comments