दुआ ए क़ुनूत इस्लामी प्रार्थना है जो विशेष रूप से वित्र की नमाज़ के दौरान पढ़ी जाती है। यह दुआ अल्लाह से रहमत, माफी और मार्गदर्शन की प्रार्थना करती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम दुआ ए क़ुनूत को हिंदी और अरबी में पेश करेंगे, साथ ही हनीफा और शफ़ीई मसलक के अनुसार तर्जुमा और महत्वपूर्ण सवालात पर भी चर्चा करेंगे।
दुआ ए क़ुनूत अरबी में (हनीफा) । Dua E Qunoot Arabic (Hanafi)
दुआ ए क़ुनूत का हनीफा मसलक के अनुसार अरबी में पाठ इस प्रकार है:
दुआ ए क़ुनूत हिंदी में (हनीफा) । Dua E Qunoot Hindi (Hanafi)
हनीफा मसलक के अनुसार दुआ ए क़ुनूत का हिंदी में अनुवाद:
“हे अल्लाह! हम तुझसे मदद चाहते हैं और तुझसे माफी माँगते हैं और तुझपर ईमान लाते हैं और तुझपर भरोसा करते हैं और तेरा अच्छे तरीके से बखान करते हैं और तेरा शुक्र अदा करते हैं और तेरा इन्कार नहीं करते और जो तुझसे बगावत करता है, उसे छोड़ते और त्यागते हैं। हे अल्लाह! हम सिर्फ तुझी से इबादत करते हैं और तेरे लिए नमाज़ पढ़ते हैं और सिजदा करते हैं और तेरी ही ओर तेजी से बढ़ते हैं और तेरी ही रहमत की उम्मीद करते हैं और तेरे अज़ाब से डरते हैं। निश्चय ही तेरा सच्चा अज़ाब काफिरों को मिलने वाला है।”
दुआ ए क़ुनूत तर्जुमा (हनीफा) । Dua E Qunoot Translation (Hanafi)
दुआ ए क़ुनूत का हनीफा मसलक के अनुसार तर्जुमा:
“हे अल्लाह! हम तुझसे मदद चाहते हैं, तुझसे माफी माँगते हैं, तुझपर ईमान लाते हैं, तुझपर भरोसा करते हैं, तेरा अच्छे तरीके से बखान करते हैं, तेरा शुक्र अदा करते हैं, तेरा इन्कार नहीं करते, जो तुझसे बगावत करता है उसे छोड़ते और त्यागते हैं। हे अल्लाह! हम सिर्फ तुझी से इबादत करते हैं, तेरे लिए नमाज़ पढ़ते और सिजदा करते हैं, तेरी ओर तेजी से बढ़ते हैं, तेरी रहमत की उम्मीद करते हैं और तेरे अज़ाब से डरते हैं। निश्चय ही तेरा सच्चा अज़ाब काफिरों को मिलने वाला है।”
दुआ ए क़ुनूत अरबी में (शफ़ीई) । Dua E Qunoot Arabic (Shafi)
दुआ ए क़ुनूत का शफ़ीई मसलक के अनुसार अरबी में पाठ इस प्रकार है:
दुआ ए क़ुनूत हिंदी में (शफ़ीई) । Dua E Qunoot Hindi (Shafi)
शफ़ीई मसलक के अनुसार दुआ ए क़ुनूत का हिंदी में अनुवाद:
“हे अल्लाह! जिनको तूने हिदायत दी है, उनमें मुझे भी हिदायत दे। जिनको तूने आफियत दी है, उनमें मुझे भी आफियत दे। जिनको तूने दोस्त बनाया है, उनमें मुझे भी दोस्त बना। जो कुछ तूने दिया है, उसमें बरकत दे। जो फैसले किए हैं, उनसे मुझे बुराई से बचा। निःसंदेह तू फैसला करता है, तुझपर कोई फैसला नहीं होता। जिसे तू दोस्त बनाए, वह कभी अपमानित नहीं होता और जिसे तू दुश्मन बनाए, वह कभी इज्जत नहीं पाता। तू महान है, हमारे रब! और तू सबसे ऊपर है।”
दुआ ए क़ुनूत तर्जुमा (शफ़ीई) । Dua E Qunoot Translation (Shafi)
दुआ ए क़ुनूत का शफ़ीई मसलक के अनुसार तर्जुमा:
“हे अल्लाह! जिनको तूने हिदायत दी है, उनमें मुझे भी हिदायत दे। जिनको तूने आफियत दी है, उनमें मुझे भी आफियत दे। जिनको तूने दोस्त बनाया है, उनमें मुझे भी दोस्त बना। जो कुछ तूने दिया है, उसमें बरकत दे। जो फैसले किए हैं, उनसे मुझे बुराई से बचा। निःसंदेह तू फैसला करता है, तुझपर कोई फैसला नहीं होता। जिसे तू दोस्त बनाए, वह कभी अपमानित नहीं होता और जिसे तू दुश्मन बनाए, वह कभी इज्जत नहीं पाता। तू महान है, हमारे रब! और तू सबसे ऊपर है।”
उम्मीद है कि यह जानकारी आपको दुआ ए क़ुनूत के महत्व और उसे सही तरीके से पढ़ने में मदद करेगी। अल्लाह हम सभी को सही रास्ते पर चलने की तौफीक दे और हमारी दुआएं कबूल फरमाए। आमीन।
दुआ ए क़ुनूत के बारे में कुछ अहम सवालात । Dua E Qunoot Ke Baare Mein Kuch Ahem Sawaalat
पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)
दुआ ए क़ुनूत क्या है?
दुआ ए क़ुनूत एक खास दुआ है, जो वित्र की नमाज़ के आखिरी रकात में पढ़ी जाती है। इसमें अल्लाह से रहमत और मदद की गुजारिश की जाती है।
दुआ ए क़ुनूत का महत्व क्या है?
दुआ ए क़ुनूत का महत्व इस्लाम में बहुत अधिक है क्योंकि यह अल्लाह से सीधा संपर्क और उसके रहम की दरख्वास्त का जरिया है। यह मुसलमानों को उनकी कमजोरियों का एहसास दिलाती है और अल्लाह की मदद की जरूरत को समझाती है।
दुआ ए क़ुनूत का अर्थ क्या है?
दुआ ए क़ुनूत का मतलब है अल्लाह से झुककर, विनम्रता के साथ मदद और रहमत मांगना। यह दुआ नमाज़ में आत्मा को सुकून और ईमान को मजबूती देती है।
दुआ ए क़ुनूत कब और कैसे पढ़ी जाती है?
दुआ ए क़ुनूत वित्र की नमाज़ की तीसरी रकात में रुकू से पहले या बाद में पढ़ी जाती है। इसमें खड़े होकर हाथ उठाकर अल्लाह से दुआ मांगी जाती है।
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