“क्या आप जानते हैं कि नमाज़ में पढ़ी जाने वाली Dua E Qunoot अल्लाह से क़रीबी ताल्लुक़ पैदा करने वाली सबसे ख़ास दुआओं में से एक है? यह सिर्फ़ एक दुआ नहीं, बल्कि अल्लाह से मदद और रहमत की गुहार का बेहतरीन ज़रिया है। अगर आप इसे सही तरीक़े से याद करना और समझना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को आख़िर तक ज़रूर पढ़ें। यहां आपको हिंदी में दुआ ए क़ुनूत और इसका मतलब आसान अल्फ़ाज़ में मिलेगा।”
Dua E Qunoot क्या है?
दुआ ए क़ुनूत एक ऐसी ख़ास दुआ है जो अल्लाह से मदद, रहमत, और हिदायत मांगने का बेहतरीन ज़रिया है। इसे नमाज़-ए-वित्र में खड़े होकर पढ़ा जाता है, जहां इंसान अपने रब के सामने सिर झुकाकर अपनी कमज़ोरी का इज़हार करता है और उसकी रहमत का तलबगार बनता है। यह दुआ न सिर्फ़ हमारी इबादत को मुकम्मल बनाती है, बल्कि दिल को सुकून और रूह को तस्सली भी देती है। अगर आप भी इसे सही तरीक़े से सीखना और समझना चाहते हैं, तो आज ही इसे याद करना शुरू करें।
दुआ ए क़ुनूत अरबी में (हनीफा) । Dua E Qunoot Arabic (Hanafi)
दुआ ए क़ुनूत अरबी में: अल्लाह से रहमत और मग़फ़िरत की दरख़्वास्त, जो हमारी इबादत को मुकम्मल और रूहानी बना देती है। इसे याद करें और अपनी नमाज़ को और भी ख़ूबसूरत बनाएं।

Dua E Qunoot Hindi (Hanafi): दुआ ए क़ुनूत हिंदी में (हनीफा)
Dua e qunoot hindi mein: नमाज़ में पढ़ी जाने वाली मुक़द्दस दुआ, तवज्जोह और अल्लाह से रोबदारी का बेहतरीन नमूना। आइए इसे याद करें और अपनी इबादत को मुकम्मल बनाएं। नमाज़ सना

हनीफा मसलक के अनुसार दुआ ए क़ुनूत का हिंदी में अनुवाद:
“हे अल्लाह! हम तुझसे मदद चाहते हैं और तुझसे माफी माँगते हैं और तुझपर ईमान लाते हैं और तुझपर भरोसा करते हैं और तेरा अच्छे तरीके से बखान करते हैं और तेरा शुक्र अदा करते हैं और तेरा इन्कार नहीं करते और जो तुझसे बगावत करता है, उसे छोड़ते और त्यागते हैं। हे अल्लाह! हम सिर्फ तुझी से इबादत करते हैं और तेरे लिए नमाज़ पढ़ते हैं और सिजदा करते हैं और तेरी ही ओर तेजी से बढ़ते हैं और तेरी ही रहमत की उम्मीद करते हैं और तेरे अज़ाब से डरते हैं। निश्चय ही तेरा सच्चा अज़ाब काफिरों को मिलने वाला है।”
Dua e Qunoot in English
अल्लाह से रहमत और मदद तलब करने का एक बेमिसाल तरीक़ा। अगर आप इस मुक़द्दस दुआ को समझना और अपनी इबादत में शामिल करना चाहते हैं, Dua e Qunoot in English तो इसे ज़रूर पढ़ें और अल्लाह से क़रीबी रिश्ता कायम करें।

दुआ ए क़ुनूत तर्जुमा। Dua E Qunoot Translation (Hanafi)
दुआ ए क़ुनूत का हनीफा मसलक के अनुसार तर्जुमा:
“हे अल्लाह! हम तुझसे मदद चाहते हैं, तुझसे माफी माँगते हैं, तुझपर ईमान लाते हैं, तुझपर भरोसा करते हैं, तेरा अच्छे तरीके से बखान करते हैं, तेरा शुक्र अदा करते हैं, तेरा इन्कार नहीं करते, जो तुझसे बगावत करता है उसे छोड़ते और त्यागते हैं। हे अल्लाह! हम सिर्फ तुझी से इबादत करते हैं, तेरे लिए नमाज़ पढ़ते और सिजदा करते हैं, तेरी ओर तेजी से बढ़ते हैं, तेरी रहमत की उम्मीद करते हैं और तेरे अज़ाब से डरते हैं। निश्चय ही तेरा सच्चा अज़ाब काफिरों को मिलने वाला है।”
दुआ ए क़ुनूत अरबी में। Dua E Qunoot Arabic (Shafi)
दुआ ए क़ुनूत का शफ़ीई मसलक के अनुसार अरबी में पाठ इस प्रकार है:

Dua E Qunoot Hindi (Shafi)
शफ़ीई मसलक के अनुसार दुआ ए क़ुनूत का हिंदी में अनुवाद:
“हे अल्लाह! जिनको तूने हिदायत दी है, उनमें मुझे भी हिदायत दे। जिनको तूने आफियत दी है, उनमें मुझे भी आफियत दे। जिनको तूने दोस्त बनाया है, उनमें मुझे भी दोस्त बना। जो कुछ तूने दिया है, उसमें बरकत दे। जो फैसले किए हैं, उनसे मुझे बुराई से बचा। निःसंदेह तू फैसला करता है, तुझपर कोई फैसला नहीं होता। जिसे तू दोस्त बनाए, वह कभी अपमानित नहीं होता और जिसे तू दुश्मन बनाए, वह कभी इज्जत नहीं पाता। तू महान है, हमारे रब! और तू सबसे ऊपर है।”
दुआ ए क़ुनूत का तफसीरन मतलब
- अल्लाह से मदद और हिदायत का तलब:
दुआ ए क़ुनूत की शुरुआत अल्लाह की रहमत और हिदायत मांगने से होती है। यह इस बात का इज़हार है कि इंसान अपनी ज़िंदगी के हर पहलू में अल्लाह का मोहताज है। - मग़फ़िरत और तौबा का एतराफ़:
इस दुआ में इंसान अपने गुनाहों का एतराफ़ करते हुए अल्लाह से माफी मांगता है। यह तौबा का एक नायाब तरीका है, जिसमें बंदा अपने रब से सच्चे दिल से माफी मांगता है। - अल्लाह की तारीफ और शुक्रगुज़ारी:
दुआ ए क़ुनूत में अल्लाह की बड़ाई और उसकी नेमतों का शुक्र अदा किया गया है। यह दिखाता है कि इंसान को हमेशा अपने रब का शुक्रगुज़ार रहना चाहिए। - अल्लाह के अज़ाब से पनाह:
इस दुआ में इंसान अल्लाह के अज़ाब से बचने की दुआ करता है। यह इंसान के गहरे ईमान और उसकी अल्लाह के साथ गहराई से जुड़ी हुई खौफ़ और मोहब्बत को बयान करता है।
दुआ ए क़ुनूत की अहमियत
दुआ ए क़ुनूत को पढ़ने की हिदायत हज़रत मुहम्मद (ﷺ) ने दी है। यह दुआ इस बात का सबूत है कि इंसान को अपनी हर परेशानी और ज़रूरत के लिए अल्लाह की तरफ रुख़ करना चाहिए। यह दुआ नमाज़ को मुकम्मल बनाती है और इबादत को ज़्यादा असरदार बनाती है।
दुआ ए क़ुनूत की तालीमात:
- अल्लाह पर पूरा भरोसा:
यह दुआ सिखाती है कि हमें हर हाल में अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए। - तौबा की अहमियत:
इंसान की तौबा अल्लाह की रहमत का दरवाज़ा खोलती है। - शुक्रगुज़ारी का जज़्बा:
हर छोटी-बड़ी नेमत के लिए अल्लाह का शुक्र अदा करना ज़रूरी है।
उम्मीद है कि यह जानकारी आपको दुआ ए क़ुनूत के महत्व और उसे सही तरीके से पढ़ने में मदद करेगी। अल्लाह हम सभी को सही रास्ते पर चलने की तौफीक दे और हमारी दुआएं कबूल फरमाए। आमीन।
दुआ ए क़ुनूत के बारे में कुछ अहम सवालात । Dua E Qunoot Ke Baare Mein Kuch Ahem Sawaalat
पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)
दुआ ए क़ुनूत क्या है?
दुआ ए क़ुनूत एक खास दुआ है, जो वित्र की नमाज़ के आखिरी रकात में पढ़ी जाती है। इसमें अल्लाह से रहमत और मदद की गुजारिश की जाती है।
दुआ ए क़ुनूत का महत्व क्या है?
दुआ ए क़ुनूत का महत्व इस्लाम में बहुत अधिक है क्योंकि यह अल्लाह से सीधा संपर्क और उसके रहम की दरख्वास्त का जरिया है। यह मुसलमानों को उनकी कमजोरियों का एहसास दिलाती है और अल्लाह की मदद की जरूरत को समझाती है।
दुआ ए क़ुनूत का अर्थ क्या है?
दुआ ए क़ुनूत का मतलब है अल्लाह से झुककर, विनम्रता के साथ मदद और रहमत मांगना। यह दुआ नमाज़ में आत्मा को सुकून और ईमान को मजबूती देती है।
दुआ ए क़ुनूत कब और कैसे पढ़ी जाती है?
दुआ ए क़ुनूत वित्र की नमाज़ की तीसरी रकात में रुकू से पहले या बाद में पढ़ी जाती है। इसमें खड़े होकर हाथ उठाकर अल्लाह से दुआ मांगी जाती है।
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