क्या आप जानते हैं कि नमाज़ के दौरान पढ़ी जाने वाली अत्तहियात की दुआ का क्या महत्व है? अत्तहियात वह दुआ है जिसे नमाज़ के हर रकात के बाद पढ़ा जाता है, और इसमें अल्लाह की तारीफ, नबी (ﷺ) पर सलाम और उम्मत के लिए दुआ शामिल है। Attahiyat Surah in Hind
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह दुआ क्यों और कब पढ़ी जाती है? इस ब्लॉग में हम ‘अत्तहियात/तशहुद’ से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी विस्तार से समझेंगे, ताकि आपको इस दुआ का महत्व और इतिहास बेहतर तरीके से समझ आए। Attahiyat Surah in Hindi: पूरी जानकारी, तशहुद की दुआ, और इसे कब पढ़ा जाता है?
1. Attahiyat/Tashahud Kya Hai?
अत्तहियात या तशहुद नमाज़ के दौरान एक बहुत महत्वपूर्ण दुआ है, जिसे हर मुसलमान को नमाज़ के दौरान पढ़ना होता है। इसे तशहुद भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शहादा (अल्लाह की एकता और नबी (ﷺ) की रसालत) की गवाही होती है।
Attahiyat Surah in Hind इस दुआ में अल्लाह की तारीफ, नबी मुहम्मद (ﷺ) पर सलाम, और उम्मत के लिए दुआ शामिल होती है।
हदीस: हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद (रज़ि.) से रिवायत है, उन्होंने कहा, “नबी (ﷺ) ने हमें तशहुद इस तरह सिखाया जैसे हमें कुरान की कोई सूरह सिखाई जाती है।” (सहीह मुस्लिम, हदीस 402)
2. Kya Attahiyat Aur Tashahud Ek Hi Hai?
हाँ, Attahiyat Surah in Hindअत्तहियात और तशहुद एक ही हैं। तशहुद का अर्थ होता है गवाही देना, और अत्तहियात की दुआ में अल्लाह की तारीफ और नबी (ﷺ) की रसालत की गवाही दी जाती है। इसलिए दोनों एक ही दुआ को संदर्भित करते हैं, सिर्फ नाम अलग हो सकते हैं।
3. Attahiyat Ki Surah Hindi Mein
अत्तहियात की दुआ को हिंदी में इस प्रकार :Attahiyat Surah in Hind
अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातु। अस्सलामु अलैक अय्युहन्नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु। अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन। अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू।
4. Attahiyat Ki Dua Arabi Mein
अत्तहियात की दुआ को अरबी में इस प्रकार लिखा जा सकता है: Attahiyat Surah in Hind
5. Attahiyat Dua Roman Mein
रूमन लिपि में अत्तहियात की दुआ:
6. Attahiyat Ke Liye Kab Baithte Hain?
अत्तहियात की दुआ तब पढ़ी जाती है जब नमाज़ के दौरान पहले या दूसरे रकात के बाद तशहुद में बैठा जाता है। यह बैठने की अवस्था को “तशहुद की स्थिति” कहा जाता है, और इसमें मुसलमान अल्लाह की तारीफ और नबी (ﷺ) पर सलाम भेजते हैं। आमतौर पर, हर दो रकात के बाद बैठकर यह दुआ पढ़ी जाती है।
7. Attahiyat/Tashahud Mein Kab Ungli Uthana Hai?
तशहुद के दौरान “अश्हदु अल्ला इलाहा” कहने पर दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली उठाई जाती है और फिर “इल्लल्लाह” पर वापस नीचे कर दी जाती है। इसका उद्देश्य अल्लाह की एकता की गवाही देना है, और यह हदीसों से प्रमाणित है।
Attahiyat Surah in Hind हदीस: “जब नबी (ﷺ) तशहुद में होते थे, तो अपनी दाहिनी तर्जनी उंगली से इशारा करते थे।” (सहीह मुस्लिम, हदीस 580)
8. Attahiyat/Tashahud Shabe Meraj Se Hui Thi?
कुछ विद्वानों का मानना है कि अत्तहियात की दुआ का अवतरण शब-ए-मे’राज की रात हुआ था, जब नबी (ﷺ) को अल्लाह से सीधा संपर्क प्राप्त हुआ। यह दुआ उस समय की बातचीत का हिस्सा मानी जाती है। हालाँकि, इसके बारे में कुछ मतभेद भी हैं, लेकिन यह बात काफी प्रचलित है। Wazu karne ka tarika: वुज़ू करने का सही तरीका-नमाज़ की तैयारी एक नए अंदाज़ में
नमाज़ में अत्तहियात क्यों ज़रूरी है?
नमाज़ के दौरान अत्तहियात पढ़ना एक अहम हिस्सा है क्योंकि यह उस मुकाम की याद दिलाता है जहां पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) को मेराज की रात अल्लाह से रूहानी मुलाक़ात का सौभाग्य मिला। अत्तहियात के अल्फ़ाज़, जो अल्लाह की तारीफ, सलाम और बरकत की दुआ से भरे हुए हैं, हमारे दिल को अल्लाह के सामने झुकने और उसकी इबादत करने की गहराई से जोड़ते हैं। यह हमें यह भी सिखाता है कि अल्लाह की बंदगी और उसकी तारीफ करना हमारी ज़िंदगी का असल मकसद है।
इसके अलावा, अत्तहियात के दौरान हम दुरूद और दुआ पढ़ते हैं, जो हमें पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) और उनकी उम्मत के लिए रहमत और बरकत की दुआ करने का मौका देता है। यह हिस्सा नमाज़ को न सिर्फ एक इबादत बल्कि अल्लाह और उसके रसूल (ﷺ) से जुड़ने का वसीला बनाता है। अत्तहियात की तिलावत के ज़रिए, हम अपने गुनाहों की माफी मांगते हुए अल्लाह की रहमत और मग़फिरत के तलबगार बनते हैं। यही वजह है कि यह नमाज़ का एक ज़रूरी हिस्सा है।
सहीह हदीस से जानकारी: Attahiyat Surah in Hind
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी मुहम्मद (ﷺ) ने कहा:
“जब तुम में से कोई तशहुद में बैठे, तो वह कहे: ‘अत्तहियातु लिल्लाहि…’।”
— (सहीह मुस्लिम, हदीस 402)
इस हदीस में अत्तहियात की दुआ सिखाई गई है, लेकिन इसे शब-ए-मे’राज से जोड़ने का कोई उल्लेख नहीं है।
हदीस में अत्तहियात की दुआ का वर्णन:
हदीसों में अत्तहियात की दुआ का जिक्र है, लेकिन इसे शब-ए-मे’राज से जोड़ने का कोई सबूत नहीं है। हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी मुहम्मद (ﷺ) ने यह दुआ सिखाई थी। वह कहते हैं:
“अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने हमें तशहुद इस प्रकार सिखाया जैसे हमें कुरान की कोई सूरह सिखाई जाती है।” — (सहीह मुस्लिम, हदीस 402)
यह हदीस यह साबित करती है कि नबी मुहम्मद (ﷺ) ने अत्तहियात की दुआ को सिखाया था, लेकिन इसमें यह नहीं कहा गया है कि यह शब-ए-मे’राज की घटना से संबंधित है।
9.अत्तहियात की फज़ीलत: क़ुरआन और हदीस में
अत्तहियात के अल्फ़ाज़ क़ुरआन की आयत नहीं हैं, बल्कि यह वो मुबारक अल्फ़ाज़ हैं जो पैग़ंबर मुहम्मद (ﷺ) ने अपनी नमाज़ में पढ़ने की तालीम दी। हदीस में इसका ज़िक्र मिलता है कि ये अल्फ़ाज़ अल्लाह की तारीफ और उसकी इबादत का बेहतरीन नमूना हैं। अत्तहियात के जरिए हम अल्लाह की बड़ाई बयान करते हैं, उसके लिए सलाम और बरकत की दुआ करते हैं, और पैग़ंबर मुहम्मद (ﷺ) के लिए दुआएं भेजते हैं।
हज़रत इब्ने मसऊद (रज़ि.) से रिवायत है कि उन्होंने कहा, “पैगंबर (ﷺ) ने मुझे अत्तहियात ऐसे सिखाई जैसे क़ुरआन की कोई सूरत सिखाई जाती है।” (सहीह बुखारी, हदीस 831) यह हदीस बताती है कि अत्तहियात पढ़ने का तरीका खुद रसूल (ﷺ) ने सिखाया और इसे नमाज़ का अहम हिस्सा बनाया। इसलिए, नमाज़ में अत्तहियात का पढ़ा जाना, न केवल इबादत को मुकम्मल करता है, बल्कि हमारे अंदर अल्लाह और उसके रसूल (ﷺ) की मोहब्बत और एहसान का एहसास भी पैदा करता है।
अत्तहियात से क्या सीख मिलती है?
अत्तहियात हमें सबसे पहले अल्लाह की तारीफ और उसकी बड़ी शान का एहसास कराती है। इसके अल्फ़ाज़ “अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलावातु वत्तैयबात” हमें यह सिखाते हैं कि हमारी हर इबादत, हर दुआ, और हर नेक काम अल्लाह के लिए है। यह हमें अपनी नीयत को पाक और सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए बनाने की सीख देता है।
इसके अलावा, अत्तहियात में पैग़ंबर मुहम्मद (ﷺ) के लिए सलाम और बरकत की दुआ करना हमें यह याद दिलाता है कि हमें नबी (ﷺ) से बेइंतेहा मोहब्बत करनी चाहिए। यह हमें उम्मत के लिए दुआ करने और सबके भले की सोचने का पैगाम देता है। अत्तहियात में बयान किए गए अल्फ़ाज़ इंसान को तवाज़ो (नम्रता), शुक्रगुज़ारी और अल्लाह के सामने अपनी बेबसी का एहसास दिलाते हैं, जो हमें एक बेहतर और सच्चा मोमिन बनने की राह दिखाते हैं।
समापन:
अत्तहियात या तशहुद की दुआ नमाज़ का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह दुआ न केवल अल्लाह की तारीफ और नबी (ﷺ) की रसालत की गवाही देती है, बल्कि इसके माध्यम से हम अपने ईमान को भी मजबूत करते हैं। आशा है कि यह ब्लॉग आपके लिए अत्तहियात के महत्व को बेहतर तरीके से समझने में मददगार साबित हुआ होगा।
संदर्भ:
- सहीह मुस्लिम
- तिरमिज़ी
- अल-बुखारी
10. 5 FAQ’s:
Attahiyat Ka Matlab Kya Hai?
अत्तहियात का अर्थ होता है अल्लाह के लिए सभी तारीफें और इबादतें।
Kya Attahiyat Ka Quran Mein Zikr Hai?
अत्तहियात की दुआ का सीधा उल्लेख कुरान में नहीं है, लेकिन यह नबी (ﷺ) द्वारा सिखाई गई एक दुआ है।
Tashahud Mein Ungli Kab Uthate Hain?
तशहुद के दौरान “अश्हदु अल्ला इलाहा” कहने पर उंगली उठाई जाती है।
Attahiyat Ko Roman Mein Kaise Likhen?
रूमन लिपि में यह “Attahiyyatu lillahi wassalawatu wattayyibatu…” इस प्रकार लिखा जाता है।
Attahiyat Ka Faidah Kya Hai?
अत्तहियात के द्वारा हम अल्लाह की तारीफ, नबी (ﷺ) पर सलाम, और उम्मत के लिए दुआ करते हैं, जो नमाज़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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