Full Namaz: नमाज़ की सही अदायगी के लिए, ये मुकम्मल रहनुमाई आपको हर क़दम पर मदद करेगी। इस ब्लॉग में आपको नमाज़ के हर हिस्से की तफ्सीलात बखूबी समझाई गई हैं। अब नमाज़ पढ़ना आसान और पुरसुकून होगा। साथ रहिए और सही तरीक़े से नमाज़ अदा करने का सवाब हासिल कीजिए।” Full Namaz : Step By Step in Hindi best Translation
Full Namaz: Step By Step Guide with Hindi Translation | Learn How to Perform Namaz Easily
Full Namaz : Step By Step in Hindi Translation:- नमाज़ एक मुसलमान की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है, जो सिर्फ़ इबादत नहीं बल्कि रूह को सुकून और दिल को इत्मीनान देने का ज़रिया भी है। नमाज़ का मक़सद अल्लाह से रुहानी रिश्ता क़ायम करना और अपनी ज़िंदगी को सही राह पर चलाना है। कुरआन में अल्लाह फ़रमाता है: आज आप पूरी नमाज़ सीख कर जाओ
‘नमाज़ कायम करो, क्योंकि यह इंसान को गुनाह और अश्लीलता से दूर रखती है‘ (सूरह अल-अंकबूत 29:45)। इस लेख में हम नमाज़ के हर पहलू की गहराई में जाकर उसे विस्तार से समझेंगे और उसका सही अनुवाद भी आपके सामने रखेंगे।
अगर आप नमाज़ को सही तरीके से सीखना या उसमें सुधार करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए, नमाज़ की इस खूबसूरत रहनुमाई में शामिल हों और इबादत के इस सफर में सवाब कमाएं।
नमाज: का महत्त्व और इसे सही तरीके से पढ़ने की हिदायत
Learn How to Perform Namaz Easily- Full Namaz :- नबी करीम (ﷺ) के द्वारा सिखाए गए नमाज के सही तरीके को अपनाना हर मुसलमान का कर्तव्य है। नमाज का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि नबी (ﷺ) ने फरमाया, “कभी ऐसा होता है कि एक आदमी 60-70 साल तक नमाज पढ़ता है, फिर भी उसकी नमाज कबूल नहीं होती।” इसका कारण यह बताया गया कि वह अपने रुकू और सजदे को सही तरीके से अदा नहीं करता, यानि नमाज को सुन्नत के अनुसार नहीं पढ़ता।
यह हदीस हमें बताती है कि सिर्फ नमाज पढ़ना ही नहीं, बल्कि उसे सही तरीके से पढ़ना भी आवश्यक है। इसके अलावा, हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ.) फरमाते हैं कि “कभी आदमी बचपन से बुजुर्गी तक नमाज पढ़ता रहता है, लेकिन उसकी एक भी रकअत कबूल नहीं होती,” क्योंकि वह अपने रुकू और सजदे को सही ढंग से नहीं करता।
नमाज़: अल्लाह से करीब होने का ज़रिया
नमाज़ एक ऐसी इबादत है जो हमें सीधे अल्लाह से जोड़ती है, हर रुक्न में उसकी याद दिलाती है, और उसकी बंदगी का एहसास कराती है। नमाज़ में हर हरकत, हर कदम एक मक़सद के साथ है। आज हम नमाज़ के दो बेहद अहम हिस्सों—रुकू और सजदा—का सही तरीका समझेंगे, ताकि आपकी इबादत का हर लम्हा अल्लाह को मक़बूल हो और आपकी नमाज़ की खूबसूरती बढ़े।
नमाज़ के प्रकार| Types of namaz
Full Namaz Step By Step Guide :- नमाज़ कई प्रकार की होती हैं, जो दिनभर अलग “मुख्तलीफ़”समयों पर आदा की जाती हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण नमाज़ फजर, “Fajar”, जोहर “Zohar”, असर”Asr”, मग़रिब “Magrib”, और ईशा “Isha” हैं। इन पाँचों नमाज़ों का वक्त और तरीका अलग-अलग होता है और इसलिए हर नमाज़ के पढ़ने का तरीका भी थोड़ा-थोड़ा अलग होता है। और ज़्यादा पोस्ट पढ़ें
नमाज का तरीका: सुन्नत के मुताबिक कैसे अदा करें?
नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया, “तुम नमाज उसी तरह पढ़ो जैसा मुझे पढ़ते हुए देखा।” इस वाक्य का अर्थ है कि हमें नमाज को उसी तरीके से पढ़ना चाहिए जैसा कि नबी (ﷺ) ने सिखाया। सहाबा किराम (र.अ.) नबी (ﷺ) के नमाज पढ़ने के तरीके को देखते और उसे हू-ब-हू अपनाते थे।
1. नमाज की नीयत: सही शुरुआत का कदम
जब हम नमाज शुरू करें, तो सबसे पहले हमें अपनी नीयत करनी होगी कि हम कौन सी नमाज अदा कर रहे हैं – फर्ज, सुन्नत, वगैरह। जैसा कि हदीस में आता है, “इन्नमल आमालु बिन नियात” – आमाल का दारोमदार नीयत पर है।
2. वुजू और शरीरी मुद्रा: नमाज की तैयारी
वुजू करने के बाद जब हम नमाज में खड़े होते हैं, तो अपने पैरों को तबीअ हालत में रखें, यानी ना बहुत फैलाएं और ना ही बिल्कुल मिलाएं। फिर हाथों को कानों की लोब तक उठाएं और उनका रुख किबला की तरफ रखें। सजदे की जगह पर नजर रखें और हाथों को हल्के से पेट के ऊपर रखें। यह आदाब नबी (ﷺ) की सुन्नत के मुताबिक हैं और इससे हमें नमाज में खुशू और खजू (ध्यान और एकाग्रता) की प्राप्ति होती है।
3. नमाज की अदायगी: अल्लाह से संवाद का सही तरीका
नमाज के दौरान सजदे, रुकू, और खड़े होने का तरीका बहुत महत्वपूर्ण है। सजदे के वक्त हमारे शरीर का पूरा भार हमारे माथे और नाक पर होना चाहिए और हाथ, पैर और कोहनियां सुन्नत के मुताबिक होनी चाहिए। इसी प्रकार रुकू में हमारी पीठ और सिर एक सीध में होनी चाहिए।
अल्लाह का वादा: नमाज से बुराईयों से बचाव
कुरान में अल्लाह का वादा है कि सही तरीके से अदा की गई नमाज हमें बेहयाई और बुराई से रोकती है। नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया कि वही नमाज हमें बुराइयों से रोकती है जो खुशू और खजू के साथ अदा की जाती है, यानि जिस नमाज को समझ कर पढ़ा जाए और जो नबी (ﷺ) के बताए हुए तरीके के मुताबिक हो।
नमाज़ का तरीका | Method of namaz
Full Namaz : Step By Step in Hindi
नमाज़ का तरीका बहुत ही सरल और आसान है, लेकिन इसे सही तरीके से पढ़ना और अदा करना बहुत महत्वपूर्ण “अहम”है। नमाज़ की पहली चीज है नियत करना, जिसके बाद “अल्लाहु अकबर” कहना होता है और हाथों को कानों तक उठाना होता है। फिर सूरह फातिहा पढ़ी जाती है, और फिर कोई बड़ी सूरह पढ़ी जाती है। फिर रुकू किया जाता है, फिर सजदे में चला जाता है, और फिर नमाज़ की अन्तिम तकबीर कही जाती है। इसके बाद तशह्हुद पढ़ा जाता है और फिर सलाम फेरा जाता है।
नियत क्या है और किसे कहते है
Full Namaz : Step By Step in Hindi
नमाज में नियत का मतलब है एक संकल्प या इरादा जो शरीर, मस्तिष्क, और आत्मा को इस धार्मिक क्रिया के लिए संगठित करता है। यह एक मुस्लिम की नमाज शुरू करने से पहले किया जाता है। नमाज में नियत करना व्यक्ति की इबादत को समर्थन और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे वह ध्यान केंद्रित कर सकता है और नमाज को अधिक महत्वपूर्ण बना सकता है।
जब कोई व्यक्ति नमाज के लिए नियत करता है, तो उसे इसका स्पष्ट और अपनी नियत के अनुसार करने का आदेश दिया जाता है। यह नियत अनेक प्रकार की नमाजों में भिन्न हो सकती है, जैसे कि फजर, जुहर, असर, मगरिब, और ईशा। नियत करने के बाद, व्यक्ति को ध्यान में लाने के लिए उसकी मस्तिष्क में नमाज के अहमियत को साफ करने का एक अवसर मिलता है।
- सूरह अल-मुल्क (हिंदी में पढ़ें)
- सूरह कौसर हिंदी में
- सबसे पहले क्या पैदा हुआ?
- Nikah ke Islami Usul
- जोह़र नमाज़ का वक्त
- तहज्जुद की नमाज का तरीका
- नमाज़ का तर्जुमा
- सलातुल तस्बीह की नमाज़ का तरीका
1. नियत (Intention)
नमाज़ की शुरुआत नियत से होती है। नियत करते समय, हमें अपने दिल में पक्की इरादा करना चाहिए कि हम अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ रहे हैं। नियत हमारे दिल की हालत को बयान करती है और बताती है कि ये नमाज़ सिर्फ अल्लाह के लिए है।
Full Namaz ki niyat :- फजर की नमाज़ में रक’आत और नियत का तज़्किरा:
फजर की नमाज़ के वक्त कुल 4 रक’आत हैं। पहले 2 रक’आत सुन्नत फिर 2 रक’आत फ़र्ज़।” हर नमाज़ की नियत सीखे यहाँ सिर्फ एक नमाज़ की नियत है ।
2 RAK’AT SUNNAT KI NIYAT:-दो रक’आत सुन्नत की नियत – नियत करता हूँ मैं, अल्लाह तआला के लिए, दो रक’आत नमाज़ सुन्नत फजर की, सुन्नत रसूलुल्लाह के मुह मेरा काबा शरीफ की तरफ । (अल्लाहु अकबर।)2
तशह्हुद का क्या है ?
नमाज की “तशह्हुद” नमाज के दौरान एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो नमाज के आखिर में पढ़ा जाता है। यह अंतिम दौरान मुसलमान अपने बायें हाथ को अपने बायें जांघ पर रखते हुए बैठते हैं और अल्लाह के सामने उनके आदाब और शुक्र व्यक्त करते हैं। तशह्हुद में व्यक्ति अल्लाह के सामने अपने मन, दिल और आत्मा की गहरी बातचीत करता है, उससे अपनी आत्मा की साक्षात्कार को महसूस करता है और उसके सामने अपने गुनाहों की माफ़ी का इल्तिजा करता है।
और आगे हुम जानेंगे की तशह्हुद क्या पढ़ना होता है इस पोस्ट को और आगे पढ़ें ! …
नमाज़ का हिंदी में अनुवाद
नमाज़ का तर्जुमा Full Namaz translation :- नमाज़ को हिंदी में समझने और पढ़ने की जरूरत है, क्योंकि इससे हम इसे ज्यादा समझ सकते हैं और सही तरीके से अदा कर सकते हैं।”Full Namaz hindi translations” नमाज़ का हिंदी में अनुवाद करने से हम उसका अर्थ समझ सकते हैं और उसके भाव में समाहित हो सकते हैं। इससे हमारी नमाज़ में समर्पण और सही भावना आती है।
नमाज़ के पूर्ण अनुवाद
2. तकबीर-ए-तहरीमा (Starting Takbeer)
हाथों को उठाकर “अल्लाहु अकबर” कहें।
अर्थ: “अल्लाह सबसे बड़ा है।”
इससे हमारा ध्यान अल्लाह की ओर जाता है, और हम अपनी इबादत की शुरुआत करते हैं।
3. सना (Opening Supplication)
तकबीर के बाद यह दुआ पढ़ें:
“सुब्हानक-अल्लाहुम्मा व-बि-हम्दिका, तबारकस्मुका, व-तआला जद्दुका, व-ला इलाहा ग़ैरुका।“
अर्थ: “तुम्हारी पवित्रता, हे अल्लाह, और तुम्हारी महिमा, और तुम्हारे नाम की बरकत, और तुम्हारे सबसे ऊंचे होने पर तारीफ, और तुम्हारे सिवा कोई ईश्वर नहीं।
4. तआव्वुज़ और तस्मिया (Seeking Refuge and Starting with Allah’s Name)
इसके बाद, पहले यह पढ़ें:
“अऊज़ु बिल्लाहि मिनश-शैतानिर-रजीम”
अर्थ: “मैं शैतान मरदूद के बहकावे से बचाव मांगता हूं, जो लानती है।”
फिर तस्मिया पढ़ें:
“बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम”
अर्थ: “मैं शुरू’अ करता हूं अल्लाह के अस्मा (नाम) से, जो बहुत मेहरबान और निहायत रहम वाला हैं।”
नामज़ “Full Namaz” मैं पढ़ी जाने वाली सूरह फातिहा का तफ़सिर पढ़ना न भूले जिससे नमाज़ का सही मतलब और जानकारी हासिल होती है नमाज़ सही मतलब मालूम चलती है
5. सूरह अल-फातिहा (The Opening Chapter)
फिर सूरह अल-फातिहा पढ़ें:
“अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, अर-रहमानिर-रहीम, मालिकी यौमिद्दीन। इय्याक नअबुदु व इय्याक नस्तईन। इह्दिनस्सिरातल मुस्तकीम, सिरातल्लज़ीना अनअमत अलेहिम ग़ैरिल मग़दूबि अलेहिम व लद-दाल्लीन।”
अर्थ: “तमाम तारीफें अल्लाह पाक के लिए हैं, जो सारे जहान का खिलाने और जिलाने (पालने) वाला है, बड़ा मेहरबान और रहम फरमाने वाला है। जो हिसाब किताब (क़यामत ) के दिन का मालिक है। हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं। हमें सीधा रास्ता दिखा, उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया, जो गुमराह नहीं हुए।”
surah Al-fatiha in image
सूरह फ़ातिहा हिन्दी अनुवाद 2
“Full Namaz” ki surah al-fatiha hindi tarjuma पढें
- सभी खूबियाँ अल्लाह के ही लिए हैं, जो संसार का मालिक हैं।
- वह रहम और दयावान हैं।
- जो इंसाफ के दिन का बादशाह हैं।
- हम तेरी ही विधि में ध्यान देते हैं, और तेरे ही साथ कोई सहारा चाहते हैं।
- हमें सीधे रास्ते पर चलाओ।
- उनके रास्ते पर जो तुझसे प्रसन्न हुए हैं,
- और उनके रास्ते पर नहीं जो तेरे क्रोधित हो गए और ग़ायब हो गए। (आमीन).
सूरह फातिहा तफ़सीर Full Namaz
- इस आयत में शुरू की गई है, जिसे बिस्मिल्लाह कहते हैं। इसमें अल्लाह के नाम ‘الله’ का जिक्र है, जो सबसे बड़ा, सबसे ज़्यादा रहमत वाला और मेहरबान है, और उनके दो गुनाम ‘الرَّحْمَٰنِ’ (अर-रहमान) और ‘الرَّحِيمِ’ (अर-रहीम) भी जिक्र किया गया है, जो उनकी रहमत और मेहरबानी की सिफ़ात हैं। Full Namaz ट्रांसलेशन
“الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ”
- “यह आयत अल्लाह का शुक्र है, जो हर एक चीज़ का रब्ब (मालिक और पालनहार) है, हर एक इंसान के रब्ब, और हर एक जिन्नात और इंसान के रब्ब।
“الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ”
- “इसमें अल्लाह के दो रहमत वाले सिफ़ात जिक्र किया गया है, जो उनकी ज़्यादा मेहरबानी और रहमत की तरफ़ इशारा करते हैं।
“مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ”
- “यह आयत अल्लाह की तारीफ़ है कि वह क़यामत के दिन का मालिक (हक़ीम और फ़ैसला करने वाला) है।
“إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ”
- “इस आयत में हम अल्लाह से मदद और इबादत की मांग करते हैं, और सिर्फ़ उन्ही से मदद और इबादत की उम्मीद रखते हैं।
“सिरातल-लधीन अन’अम्ता आलय्हिम गयरिल-मग़दूबि आलय्हिम वलाद-दाल्लीन,
- “यह आयत हिदायत की दुआ है, कि अल्लाह हमें सीधा रास्ता दिखाए, जो उनकी राह पर चलने वालों के लिए है।
- “यह आख़री आयत है, जिसमें हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह हमें उन लोगों की तरफ़ ले जाएं जिन पर उन्होंने नेकियों की रहमत बरसाई है, और न कि उन लोगों की तरफ़ जो उनकी नफ़रत और गुस्से के शिकार हैं, और न ही उन लोगों की तरफ़ जो ग़ुमराह हैं।”
6. कोई और सूरह या आयत (Any Other Surah or Verse)
सूरह फातिहा के बाद, कुरान की कोई और सूरह या आयत पढ़ें, जैसे कि सूरह अल-इख्लास:
“कुल हुवल्लाहु अहद। अल्लाहुस-समद। लम यलिद व लम यूलद। व लम यकुल-लहु क़ुफुवन अहद।”
“Full Namaz “ki surah al-Ikhlas hindi tarjuma पढें
1.कहो, वह एक हैं, जो स्वयं स्थित हैं।
2.वह बिना किसी आदि के हैं।
3.न उन्होंने किसी को जन्म दिया है और न ही उन्हें किसी ने जन्मा है।
4.और न किसी के समान वह हैं।
surah ikhlas in image
अल्लाहु अकबर अल्लाह सर्वोत्तम हैं।
7. रुकू (Bowing Position)
फिर रुकू में जाएं और यह दुआ पढ़ें:
“सुब्हाना रब्बियाल अज़ीम” (तीन बार)
अर्थ: “महान (Great) है मेरा अल्लाह , जो सबसे (elevated) बुलंद है।”
रुकू में अपनी कमर और सिर को एक सीध में रखें और घुटनों को मजबूती से पकड़े रखें।
रुकू का सही तरीका: हदीस की रोशनी में
रुकू का मतलब है कमर को झुकाना। यह अल्लाह की अज़मत का एहसास करने का समय है। रुकू में हम अपने रब के सामने झुकते हैं और अपनी वास्तविकता को स्वीकार करते हैं। हज़रत अबू हुरैरा रज़ि. से रिवायत है:
“रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: ‘रुकू में हम अपनी पीठ को सीधा रखते हैं और अपने हाथों को घुटनों पर रखते हैं।'” (सहीह मुस्लिम)
रुकू वह खास लम्हा है जब हम अल्लाह के सामने झुककर उसकी तारीफ और उसकी ताकत का इकरार करते हैं। रुकू करने का तरीका इस्लाम में बहुत खास अंदाज से बताया गया है। आइए इसे एक-एक कदम में समझते हैं: Full Namaz ka tarika
- कमर सीधी रखें – रुकू करते समय सबसे पहले ख्याल रखें कि आपकी कमर और सिर एक लाइन में हों। न बहुत झुकें और न ही बहुत ऊपर उठें। Full Namaz translation
- हाथों का सही पोज़िशन – अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें और उंगलियां फैलाकर अच्छी तरह पकड़ें। इसमें झुकाव और फोकस का भाव हो।
- दुआ पढ़ें – रुकू की स्थिति में पहुँचने के बाद, निम्न दुआ पढ़ें:“सुब्हाना रब्बियाल अज़ीम”
अर्थ: “महान (Great) है मेरा अल्लाह , जो सबसे (elevated) बुलंद है।”यह दुआ अल्लाह की महानता का इज़हार करती है और हमें उसके प्रति विनम्रता से झुकने का एहसास दिलाती है। Full Namaz for ruku - निगाहों का फोकस – रुकू के दौरान निगाहें पैरों के बीच में होनी चाहिए ताकि ध्यान केंद्रित रहे और हम अल्लाह की याद में मग्न रहें।
- तीन बार दोहराएं – रुकू में यह दुआ तीन बार पढ़ें। यह एहसास हमें गहराई से समझाता है कि हम अल्लाह के सामने हैं और उसकी महानता का इकरार कर रहे हैं।
रुकू में की जाने वाली आम गलतियाँ
रुकू करते समय कई बार कुछ गलतियाँ हो जाती हैं जिनसे बचना जरूरी है: Full Namaz
- सिर और कमर का असंतुलन – कुछ लोग सिर को ज्यादा झुका लेते हैं या सीधा कर लेते हैं, जो सही तरीका नहीं है।
- हाथों की स्थिति – हाथों को घुटनों पर सही तरह से न रखना एक आम गलती है। हाथों को अच्छे से फैलाकर रखें।
- दुआ में कमी – कई लोग जल्दी में दुआ पूरी तरह नहीं पढ़ते। यह नमाज़ के मकसद से हटकर है, इसलिए इसे तीन बार जरूर पढ़ें।
8. क़ौमा (Standing After Rukoo)
रुकू से उठते हुए कहें:
“समीअल्लाहु लिमन हामिदह”
अर्थ: “अल्लाह ने उसकी पुकार सुनी जिसने उसकी हम्द की।”
फिर सीधे खड़े होकर कहें:
“रब्बना लकल हम्द”
अर्थ: “ऐ हमारे रब, तमाम तारीफें तेरे ही लिए हैं।”
9. सजदा (Prostration)
फिर सजदे में जाएं और यह दुआ पढ़ें:
“सुब्हाना रब्बियाल आ’ला” (तीन बार)
अर्थ: “मैं अपने (the god) अल्लाह की पाकी बयान (Statement) करता हूं, जो (Great) महान है”
सबसे पहले, जब आप सजदे में जाने का इरादा करें, तो हाथों को घुटनों से उठाकर सीधे ज़मीन पर रखें, और धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ते हुए सजदा में जाएं। याद रखें, पहले घुटने ज़मीन को छूएं, फिर हाथ, उसके बाद नाक और आखिर में माथा। यह तरीका हदीस में बताया गया है कि किस तरह हमें अल्लाह के सामने झुकना चाहिए।
अब सजदे में आपकी निगाहें कहाँ होनी चाहिए? सजदे में आपकी निगाहों का रुख नाक की तरफ होना चाहिए। यह हमें ध्यान में रखता है और अल्लाह की याद में गहराई देता है। Full Namaz for sajda
सजदे में अपना माथा, नाक, दोनों हाथ, घुटने और पैर की उंगलियों को जमीन से लगाएं। यह अल्लाह के सामने सबसे अधिक विनम्रता दिखाने का तरीका है।
10. जलसा (Sitting Between Two Sajdahs)
पहले सजदे के बाद बैठ जाएं और यह दुआ पढ़ें:
“रब्बिघफिर ली वर्हम्नी व अजरनी व र्फ़ानी व अहदिनी व र्ज़ुकनी व अफ़नी”
अर्थ: “ऐ मेरे रब, मुझे माफ कर, मुझ पर रहम कर, मेरी मदद कर, मुझे ऊँचा कर, मुझे हिदायत दे, मुझे रिज़्क दे, और मुझे नफ़ा दे।”
11. दूसरा सजदा (Second Prostration)
फिर से सजदे में जाएं और वही दुआ पढ़ें:
“सुब्हाना रब्बियाल आ’ला” (तीन बार)
अर्थ: “मैं अपने (the god) अल्लाह की पाकी बयान (Statement) करता हूं, जो (Great) महान है”
12. अगले रकात में उठना (Moving to the Next Rak’at)
पहली रकात पूरी करने के बाद, खड़े हो जाएं और दूसरी रकात में भी वही क्रम अपनाएं।
आखिर क़’अदा (Final Sitting)
13. तशह्हुद (Testification)
आखिरी रकात में बैठे हुए यह दुआ पढ़ें: Full Namaz Qa’da akhira
“अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तयिबात। अस्सलामु अलैक अय्युहान्नबीय्यु वरहमतुल्लाहि वबरकातुह। अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन। अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुह“
अत्तहियात का अर्थ है –
सलाम और इबादत का उच्च सम्मान, साथ ही पवित्रता का सर्वोच्च श्रेय, अल्लाह के लिए ही है। ऐ नबी! अल्लाह की विशेष कृपा और उसका आशीर्वाद आप पर हो। हम पर और अल्लाह के सभी नेक बंदों पर भी सलाम हो। मैं इस बात की गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं है और यह कि मुहम्मद उनके सच्चे बंदे और रसूल हैं।
क़’अदा अख़ीरा का सही तरीका और हदीस का संदर्भ
क़’अदा अख़ीरा नमाज़ का आखिरी हिस्सा होता है, जिसमें इबादत को मुकम्मल करने का तरीका बताया गया है।
क़’अदा अख़ीरा में बैठने का तरीका:
पैरों की स्थिति: दायां पैर खड़ा रखें और बायां पैर मोड़कर उस पर बैठें। हदीस के अनुसार, सही बुखारी में आता है कि रसूल अल्लाह (ﷺ) इसी तरह आखिरी क़’अदा में बैठते थे।नजरें कहाँ होनी चाहिए: क़’अदा अख़ीरा में बैठते वक्त नजरें गोद पर रखें। इससे ध्यान भटकता नहीं और खशूअ में इज़ाफा होता है।
क़’अदा अख़ीरा में सबसे पहले तशह्हुद पढ़ें, जो रसूल अल्लाह (ﷺ) ने बताया है:
14. दरूद शरीफ (नबी पर दुआएं भेजना)
तशह्हुद के बाद दरूद शरीफ इस प्रकार पढ़ें:
दरूद इब्राहिमी : Darood e Ibrahimi in hindi
अल्लाहुम्मा सल्लि ‘आला मुहम्मदिन वा आला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता ‘आला इब्राहीमा वा आला आलि इब्राहीमा इन्नका हमीदुं मजीदुं। अल्लाहुम्मा बारिक ‘आला मुहम्मदिन वा आला आलि मुहम्मदिन कमा बारक्ता ‘आला इब्राहीमा वा आला आलि इब्राहीमा इन्नका हमीदुं मजीदुं।”“
दरूद इब्राहिमी का अर्थ: “हे अल्लाह! तू मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमतें भेज, जैसे तूने इब्राहीम और उनके परिवार पर भेजीं, क्योंकि तू ही सबसे प्रशंसनीय और महान है। हे अल्लाह! तू मुहम्मद और उनके परिवार पर बरकतें नाज़िल कर, जैसे तूने इब्राहीम और उनके परिवार पर की थीं। तू ही सारी प्रशंसा और महिमा का पात्र है।”
इसके बाद, दुआ-ए-मासूरह पढ़ें;
दुआ:
“अल्लाहुम्म-इन्नी ज़लम्तु नफ्सी ज़ुल्मन कसीरन, व ला यग़फिरुज़्-ज़ुनूब इल्ला अंता, फ़ग़फिर ली मग़फिरतं मिन ‘इंदिका, वर्ह़म्नी, इन्नका अंतल-ग़फूरुर-रहीम।”
अनुवाद:
“हे अल्लाह! वास्तव में, मैंने अपनी जान पर बहुत अत्याचार किया है, और तेरे सिवा कोई गुनाहों को माफ करने वाला नहीं है। इसलिए तू मुझे अपने पास से माफी दे दे और मुझ पर रहम कर, निस्संदेह तू ही माफ करने वाला और अत्यंत दयालु है।”
यदि ‘दुआ-ए-मासूरह” याद न हो, तो कोई भी उपयुक्त दुआ पढ़ सकते हैं।
Full Namaz : Step By Step in Hindi Translation
दुआ
रब्बना आतिना फिद्दुनिया हसनतउ व फिल आखिरते हसनतउ व किना अज़ाब्न्नार
“हे हमारे रब! हमें दुनिया में भी अच्छा दें, और आखिरत में भी अच्छा दें, और हमें आग के आजाब से बचा लें।”
15. आखिर सलाम (Ending Salaam)
दायें और बाएं जानिब सलाम फेरे अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह
नमाज़ के समापन के लिए पहले दाएं कंधे की तरफ और फिर बाएं कंधे की तरफ “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह” कहें।
अर्थ: “आप पर सलामती और अल्लाह की रहमत हो।”
नतीजा
इस गाइड को ध्यान में रखते हुए जब आप अपनी नमाज़ पढ़ेंगे, तो इन छोटे-छोटे मगर गहरे अल्फाज़ से आप अल्लाह के और भी करीब महसूस करेंगे।
दो सजदे मुकम्मल करने के बाद फिर दोबारा दूसरी रअकात के लिए हो जाए फिर वही तरीका अपनाए सिर्फ सना नहीं पढ़नी और कोई और दूसरी सूरत मिला कर नमाज़ दो रअकात पूरी करें फिर तशह्हुद में बैठें और अत्तहियात पढें
हमें सुरक्षा और अल्लाह की दया हो।
नमाज़ पूरी हो गई
नमाज़ के फायदे | Benefits of Namaz
Benefits of Full Namaz : Step By Step in Hindi Translation
नमाज़ “Namaz”के फायदे के बारे में कई हदीस और कुरानी आयातें हैं। यहाँ कुछ मुख्य फ़ायदे हैं:
- रूह और दिल को सकून: नमाज़ के दौरान इंसान को रूह और दिल को सकून मिलता है। यह ध्यान की अवस्था में लेकर व्यक्ति को तनाव से राहत प्रदान करता है।
- हैरत और ताज्जुब : नमाज़ इंसान को उसकी निरंतर संवाद की शक्ति के साथ अपने पैदा करने वाले के साथ जोड़ता है।
- ध्यान: नमाज़ में ध्यान केंद्रित होता है, जिससे ज़ेहनी ताक़त और Affordability बढ़ता है।
- Leadership Skills: नमाज़ Leadership Skills को advanced करता है, क्योंकि यह शिक्षा देता है कि किस तरह से एक समूह का नेतृत्व किया जाए। Full Namaz : Step By Step in Hindi Translation
इसके अलावा, कुरान में भी नमाज़ के अहमियत को बताया गया है, जैसे कि:
- सूरह अल-मुमिनून (23:1-2): “सच्चा मोमिनों कामयाब होंगे, जो अपनी नमाज़ को नमाज़ की शक्ति में खूबी से निभाते हैं।”
- सूरह अल-बाकरा (2:238): “देखो! नमाज़ के समय, और नमाज़ की पढ़ाई में, और अपने वास्ते अल्लाह की प्रस्तुति में ध्यान देने के समय को पुरानी याद करो।”
ये हदीस और कुरानी आयात सिर्फ़ नमाज़ के कुछ फ़ायदे को हल्का करते हैं। नमाज़ और इसके अदायगी ने सुकून , रूह की ताजगी, और ध्यान को स्थायी रूप से प्राप्त किया है।
नमाज़ की श्रेणियाँ
नमाज़ कई प्रकार की होती हैं, जो दिनभर अलग-अलग समयों पर आदा की जाती हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण नमाज़ फजर, “Fajar”, जोहर “Zohar”, असर”Asr”, मग़रिब “Magrib”, और ईशा “Isha” हैं। इन पाँचों नमाज़ों का वक्त और तरीका अलग-अलग होता है और इसलिए हर नमाज़ के पढ़ने का तरीका भी थोड़ा-थोड़ा अलग होता है। Full Namaz : Step By Step in Hindi Translation
नमाज के सही तरीके का महत्व और कबूलियत का आधार
हदीस में कई स्थानों पर इस बात का उल्लेख है कि नमाज को सही तरीके से न पढ़ने वाले को सख्त सजा मिल सकती है। नबी करीम (ﷺ) ने यहां तक फरमाया कि “मन तरक अस-सलात मुतआमिदन फक़द कफर” – जिसका अर्थ है कि जिसने जानबूझ कर नमाज छोड़ दी, उसने इस्लाम से बाहर कदम रखा।
इससे यह साफ होता है कि नमाज की कबूलियत का आधार न केवल उसकी अदायगी है, बल्कि इसे पूरी शिद्दत और सही तरीके से अदा करना भी है। सही तरीके से नमाज पढ़ना हमारे ईमान और अल्लाह से हमारे रिश्ते की मजबूती का प्रतीक है।
समापन
Full Namaz : Step By Step in Hindi Translation :- यह था एक संक्षिप्त अध्ययन नमाज़ के महत्वपूर्ण विषय पर। यह धार्मिक क्रिया हमें आत्म-समर्पण और शांति की भावना प्रदान करती है। हमें इसे सही तरीके से अदा करने की प्रैक्टिस करनी चाहिए और नमाज़ का हिंदी में अनुवाद करके हम इसे और अधिक समझ सकते हैं। इससे हमारा धार्मिक अभ्यास और भगवान के प्रति हमारी भक्ति मजबूत होती है।
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