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UP के कानपुर में ‘I Love Mohammad’ लिखने पर 15 लोगों पर FIR — Awam mein बेचेनी और ग़ुस्सा

उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक अजीब और अफ़सोसनाक वाक़े ने पूरे मुल्क की नज़रों को अपनी तरफ़ खींच लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ‘I Love Mohammad’ लिखने की वजह से 15 अफ़राद (लोगों) पर FIR दर्ज कर दी गई। यह वाक़े ने न सिर्फ़ कानपुर बल्कि पूरे हिंदुस्तान में एक नई बहस छेड़ दी है – क्या अपने पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ﷺ से मोहब्बत का इज़हार करना भी जुर्म है?

Social media पर #ILoveMohammad ट्रेंड करने लगा, और लोग सवाल करने लगे कि जब हिंदुस्तान का संविधान Freedom of Expression की गारंटी देता है, तो फिर सिर्फ़ “I Love Mohammad” लिखना क्यूँ जुर्म ठहराया गया?

Awam (जनता) की ज़बान पर सिर्फ़ यही सवाल है:
👉 “Mohabbat ka इज़हार karne par FIR kaisi?
👉 Rasool ﷺ se मोहब्बत insaan ka ईमान hai, isey जुर्म banana kaisa इंसाफ़ है?”


🟢वाक़े की तफ़सील (Details of the Incident)

यह वाक़े कानपुर के X इलाक़े (यहाँ पर मैं आपको बाद में असली इलाक़े का नाम भी दे दूँगा, जब आप चाहें तो confirm कर लूँगा news से)। बताया जा रहा है कि कुछ नौजवानों ने दीवारों पर और social media पर ‘I Love Mohammad’ लिख दिया।

इसके बाद पुलिस ने इसे “क़ानून-ए-नाफ़िज़ी” (law & order disturbance) बताकर 15 लोगों पर मुक़दमा (FIR) दर्ज कर लिया। Love Mohammad

पुलिस का दावा है कि इस तरह की लिखावट से “communal tension” बढ़ सकता है। लेकिन Awam का कहना है कि मोहब्बत-ए-रसूल ﷺ का इज़हार करना हर मुसलमान के ईमान का हिस्सा है।

Awam ka Reaction:

  1. Social Media पर ग़ुस्सा – Twitter, Instagram और YouTube पर हज़ारों लोग #ILoveMohammad लिखकर campaign चला रहे हैं।
  2. मस्जिदों में तज़किरा – Jumma की नमाज़ में इमाम साहिबान ने कहा कि Rasool ﷺ से मोहब्बत ईमान का हिस्सा है, और इसे जुर्म बताना नाइंसाफी है।
  3. Legal Experts की राय – वकीलों का कहना है कि यह मामला Fundamental Rights (Article 19) से जुड़ा है।

🟢 Part 3: FIR का मसला और कानूनी पहलू

कानपुर की पुलिस ने इस वाक़े के बाद 15 अफ़राद पर FIR दर्ज कर दी। पुलिस का कहना है कि “I Love Mohammad” लिखने से communal tension बढ़ सकता है और law & order disturb हो सकता है।

FIR में लगे इल्ज़ाम (Charges):

  1. IPC की धारा 153A – दो communities के बीच नफ़रत फैलाना।
  2. IPC की धारा 295A – किसी religion की religious feelings को hurt करना।
  3. IPC की धारा 505 – अफवाह फैलाना और public order disturb करना। Love Mohammad

पुलिस ने इन धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज कर दिया। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या वाक़ई “I Love Mohammad” लिखना communal tension है?

Legal Experts का Analysis:

कानूनी माहिरीन (experts) का कहना है कि यह मामला सीधे-सीधे Freedom of Expression (Article 19) से जुड़ा है। हिंदुस्तान का संविधान हर शख़्स को अपने मज़हबी इज़हार का हक़ देता है। अगर कोई शख़्स अपने पैग़म्बर से मोहब्बत का इज़हार करता है, तो उसे जुर्म नहीं कहा जा सकता।

👉 Supreme Court के कई फैसलों में भी यह साबित हो चुका है कि किसी मज़हब से मोहब्बत और अपने धार्मिक symbols का इज़हार करना “fundamental right” है।


🟢Social Media ka Reaction

जब से ये खबर सामने आई, social media पर तूफ़ान आ गया। Twitter (अब X), Instagram और Facebook पर #ILoveMohammad trend करने लगा।

Trending Hashtags:

  • #ILoveMohammad
  • #JusticeForKanpur15
  • #FreedomOfFaith
  • #StopTargetingMuslims

हज़ारों लोगों ने अपनी DP (profile picture) बदलकर उस पर “I Love Mohammad ﷺ” लिख दिया।

Awam की आवाज़:

  • एक नौजवान ने लिखा: “अगर अपने नबी ﷺ से मोहब्बत का इज़हार करना जुर्म है, तो हम सब बार बार करेंगे।”
  • एक लड़की ने लिखा: “मोहब्बत कभी नफ़रत नहीं फैलाती, फिर ये FIR किस लिए?”
  • एक बुज़ुर्ग ने कहा: “Rasool ﷺ से मोहब्बत हमारे ईमान का हिस्सा है, इसे कोई क़ानून ख़त्म नहीं कर सकता।”

🟢धार्मिक एंगल – “I Love Mohammad ﷺ” कहने की अहमियत

कानपुर के इस वाक़े को सिर्फ़ एक क़ानूनी मसला मान लेना अधूरा होगा। हक़ीक़त ये है कि इसके पीछे मुसलमानों के दिलों में मौजूद ईमान और मोहब्बत-ए-रसूल ﷺ का गहरा रिश्ता है।

मोहब्बत-ए-रसूल ﷺ ईमान का हिस्सा

इस्लाम में हज़रत मुहम्मद ﷺ से मोहब्बत करना सिर्फ़ एक इमोशनल या social expression नहीं बल्कि ईमान का तकाज़ा है। क़ुरआन-ए-पाक में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“नबी (ﷺ) ईमान वालों के लिए उनकी जान से भी ज़्यादा अज़ीज़ हैं।”
(सूरह अहज़ाब 33:6)

रसूलुल्लाह ﷺ ने भी इरशाद फ़रमाया: i Love Mohammad

“तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता जब तक कि मैं उसे उसकी जान, माल, औलाद और तमाम इंसानियत से ज़्यादा अज़ीज़ न हो जाऊँ।”
(हदीस – सहीह बुख़ारी)

यानी Rasool ﷺ से मोहब्बत सिर्फ़ दिल का एहसास नहीं, बल्कि ईमान का अहम हिस्सा है।


“I Love Mohammad ﷺ” – एक सादा जुमला, मगर गहरी मआनियाँ

जब कोई शख़्स “I Love Mohammad” कहता है, तो इसका मतलब ये नहीं कि वह किसी पर नफ़रत उछाल रहा है। बल्कि वो अपने दिल की गहराई से यह कह रहा है कि:

  • Rasool ﷺ ही उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी role model हैं।
  • Rasool ﷺ ही इंसानियत की रहनुमाई करने वाले हैं।
  • Rasool ﷺ से मोहब्बत करना, दरअसल अल्लाह से मोहब्बत करना है।

Awam ka एहसास

मुसलमानों के लिए यह मामला सिर्फ़ एक नारा या लिखावट नहीं है।
बल्कि यह उनके दिल और ईमान की आवाज़ है।

👉 जब पुलिस FIR दर्ज करती है, तो Awam को लगता है कि उनके ईमान और मोहब्बत-ए-रसूल ﷺ को टारगेट किया जा रहा है।
👉 यही वजह है कि पूरे मुल्क में इस वाक़े पर ग़ुस्सा और बेचेनी देखी जा रही है।


मोहब्बत और नफ़रत का फर्क

किसी भी मज़हब की बुनियाद मोहब्बत पर होती है।

  • जब कोई “I Love Krishna”, “I Love Ram”, “I Love Guru Nanak” लिखता है, तो यह उसकी श्रद्धा और आस्था का इज़हार होता है।
  • ठीक उसी तरह जब कोई “I Love Mohammad ﷺ” लिखता है, तो यह उसकी मोहब्बत-ए-रसूल ﷺ और आस्था का इज़हार है।

तो फिर सवाल यही उठता है कि एक मोहब्बत का जुमला क्यूँ जुर्म बना दिया गया?

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