हर इंसान के हर अमल की बुनियाद उसकी नीयत पर होती है। जैसा कि हदीस में आता है: Eid ki Namaz ki Niyat
Eid ki Namaz ki Niyat | ईद Namaz की नीयत
Eid ki Namaz ki Niyat: इस्लाम में हर इबादत की बुनियाद नीयत (نیت) पर रखी गई है। बिना नीयत के कोई भी अमल मुकम्मल नहीं होता, चाहे वह रोज़ा हो, ज़कात हो या फिर नमाज़। इसी तरह ईद की नमाज़ भी एक ख़ास इबादत है, जिसके लिए सही नीयत करना बेहद ज़रूरी है।
ईद-उल-फ़ित्र और ईद-उल-अज़हा, दोनों इस्लाम के अहम त्योहार हैं, और इनकी नमाज़ एक सुन्नत-ए-मुअक्कदा (سنت مؤکدہ) है। बहुत से लोग इस नमाज़ की नीयत और पढ़ने के तरीक़े को लेकर कन्फ्यूज़ रहते हैं। इसलिए, इस ब्लॉग में हम ईद की नमाज़ की नीयत और उससे जुड़े तमाम अहकाम को तफ़सील से समझेंगे।
إنما الأعمال بالنيات
“सभी कर्मों का आधार नीयत पर है।” (सहीह बुखारी, सहीह मुस्लिम)
Eid ki Namaz ki Niyat: इस्लाम में नीयत का इतना गहरा महत्व है कि कोई भी इबादत, चाहे वह नमाज हो, रोज़ा हो या ज़कात, तब तक मुकम्मल नहीं होती जब तक उसकी नीयत सही और पाक न हो। खासकर जब बात ईद की नमाज की हो, तो इसकी नीयत और पढ़ने का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं “ईद की नमाज की नीयत” और इससे जुड़ी अहम बातें।
ईद की नमाज़ की अहमियत
Eid Ki Namaz Ki Ahmiyat: ईद-उल-फ़ित्र (عید الفطر) और ईद-उल-अज़हा (عید الأضحیٰ) इस्लाम में खुशियों के दो बड़े मौक़े हैं। ये दोनों ईदें शुक्राने (شکرانہ) की अलामत हैं। ईद की नमाज़ का मक़सद सिर्फ़ इबादत नहीं बल्कि उम्मत के इत्तेहाद (اتحاد) और भाईचारे को मज़बूत करना भी है।
हदीस-ए-पाक में आता है:
“रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: ईद के दिन सबसे पहला काम जो मुसलमानों को करना चाहिए, वह ईद की नमाज़ अदा करना है।” (सुनन-अबी-दाउद: 1134)
इमाम इब्न क़य्यिम रहमतुल्लाह अ़लैह लिखते हैं: Eid ki Namaz ki Niyat
“रसूलुल्लाह ﷺ ने जब से मदीना तशरीफ़ लाए, आपने हर ईद पर यह नमाज़ अदा की और सहाबा को भी इस पर पाबंद किया।” (ज़ाद-उल-मआद, जिल्द 1, सफा 441)
यह हदीस इस बात को वाज़ेह कर देती है कि ईद की नमाज़ सुन्नत-ए-मुअक्कदा है और इसे पढ़ना बहुत अहम है।
ईद की नमाज़ की नीयत
Eid Ki Namaz Ki Niyat: ईद की नमाज़ पढ़ने से पहले उसकी सही नीयत (نیت) करना ज़रूरी है। आम तौर पर नीयत दिल में कर लेना ही काफ़ी होता है, लेकिन अरबी (عربی) या हिंदी में इसे लफ्ज़ी तौर पर भी अदा किया जा सकता है।
ईद-उल-फ़ित्र की नमाज़ की नीयत: Eid ki Namaz ki Niyat
“मैं निय्यत करता हूँ ईद-उल-फ़ित्र की दो रकअत नमाज़ वाजिब, छह ज़ायदा तकबीरों के साथ, रूख़ काबा शरीफ़ की तरफ़,

ईद-उल-अज़हा की नमाज़ की नीयत:
“मैं निय्यत करता हूँ ईद-उल-अज़हा की दो रकअत नमाज़ वाजिब, छह ज़ायदा तकबीरों के साथ, रूख़ काबा शरीफ़ की तरफ़,
नोट: अगर कोई अकेले नमाज़ पढ़ रहा है, तो “इमाम के पीछे” की जगह “अकेले” कह सकता है।
ईद की नमाज़ का सही तरीक़ा
ईद की नमाज़ दो रकअत वाजिब (واجب) होती है और इसमें कुल छह ज़ायदा तकबीरें होती हैं।
ईद की नमाज़ पढ़ने का सही तरीक़ा:
- पहली रकअत:
- इमाम अल्लाहु अकबर कहकर तकबीर-ए-तहरीमा करेगा और हम भी हाथ बांध लेंगे।
- फिर इमाम तीन ज़ायदा तकबीरें कहेगा, हर तकबीर पर हाथ उठाकर छोड़ना है।
- तीसरी तकबीर के बाद हाथ बांध लेना है।
- फिर इमाम सूरत-फातिहा और एक दूसरी सूरत पढ़कर रुकू और सजदा करेगा।
- दूसरी रकअत:
- इमाम पहले सूरत-फातिहा और दूसरी सूरत पढ़ेगा।
- फिर तीन ज़ायदा तकबीरें होंगी, हर तकबीर पर हाथ उठाकर छोड़ देना है।
- चौथी तकबीर पर रुकू में जाना है।
- फिर नमाज़ मुकम्मल करनी है।
नोट: ईद की नमाज़ में अज़ान और इक़ामत नहीं होती।
ईद की नमाज़ के बाद की सुन्नतें | Eid Ke Baad Ki Sunnatein
ईद की नमाज़ अदा करने के बाद कुछ खास सुन्नतें हैं:
तकबीर-ए-तशरीक (تکبیر التشریق): ईद-उल-अज़हा के तीन दिन तक यह तकबीर पढ़ना सुन्नत है:
“اللَّهُ أَكْبَرُ اللَّهُ أَكْبَرُ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَرُ اللَّهُ أَكْبَرُ وَلِلَّهِ الْحَمْدُ”
ख़ुत्बा (خطبہ) सुनना: नमाज़ के बाद इमाम का ख़ुत्बा सुनना सुन्नत है, इसे सुनकर ही मस्जिद से बाहर जाना चाहिए।
गले मिलना और मुबारकबाद देना: एक-दूसरे से मिलकर “ईद मुबारक” कहना और दुआएं देना जायज़ और पसंदीदा अमल है।
ईद-उल-अज़हा पर क़ुर्बानी देना: ईद-उल-अज़हा के दिन क़ुर्बानी (قربانی) देना सुन्नत-ए-इब्राहीमी है और इसे तीन दिन तक किया जा सकता है।
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आम सवाल-जवाब (FAQs) | Eid Ki Namaz Se Jude Sawal Jawab
अगर कोई ईद की नमाज़ मिस कर दे तो क्या करे?
अगर कोई शख्स ईद की नमाज़ मिस कर दे, तो उसकी क़ज़ा नहीं होती।
क्या औरतों पर ईद की नमाज़ वाजिब है?
औरतों के लिए ईद की नमाज़ वाजिब नहीं है, लेकिन अगर वे पढ़ना चाहें, तो पढ़ सकती हैं।
क्या ईद के दिन ज़ुहर की नमाज़ होगी?
हाँ, ईद की नमाज़ के बाद ज़ुहर, अस्र, मगरिब और ईशा की नमाज़ें अपने वक़्त पर पढ़नी होंगी।
अल्लाह तआला हमें सही तरीके से ईद की नमाज़ अदा करने और उसकी बरकतें हासिल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन!
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