Full Namaz ka tarika

असलामु अलेकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातु।
दोस्तो, आज की इस वीडियो में हम आपको मर्द हज़रात की नमाज का प्रैक्टिकल तरीका बताएंगे।
- किस तरीके से नमाज पढ़नी है?
- नियत कैसे करनी है?
- किरात कैसे करनी है?
- कौन-कौन सी सूरतें पढ़नी हैं?
कमेंट्स के ज़रिए कई लोगों ने हमसे मर्द हज़रात की नमाज का तरीका समझाने की दरख्वास्त की थी।
तो इंशा अल्लाह ताला, आज हम पूरा तरीका इस वीडियो में बताएंगे।
हमारे साथ एक इस्लामी भाई हैं, जिनके ज़रिए हम आपको नमाज का सही तरीका सिखाएंगे।
नमाज की शुरुआत और नियत
नमाज पढ़ने से पहले नियत करना बहुत ज़रूरी है।
- नियत के बिना नमाज मुकम्मल नहीं होती।
- नियत का मतलब है दिल में पक्का इरादा करना।
उदाहरण के लिए:
अगर आप फज्र की नमाज पढ़ने जा रहे हैं, तो आपको फज्र की नमाज का पक्का इरादा करना होगा।
Step By Step Translation In Hindi
नमाज की शुरुआत – तकीबीर और किरात
- तकीबीर:
- नमाज की शुरुआत “अल्लाहु अकबर” कहकर करें।
- सना:
- फिर “सुब्हानक अल्लाहुम्मा वबिहम्दिका वतबारकस्मुका…” पढ़ें।
- अऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
- तरजुमा: मैं अल्लाह की पनाह माँगता हूं शैतान रजीम से।
- बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
- तरजुमा: मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, जो बहुत दयालु और बहुत रहम वाला है।
- सूरत अल-फातिहा:
- “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन…” (पूरी सूरत फातिहा पढ़ें)।
सूरह फ़ातिहा

- किरात (कोई एक सूरत):
- सूरत फातिहा के बाद कोई एक सूरत जोड़ें, जैसे:
“इज़ा जा’ नस्रुल्लाहि वल फत्हु…” या इस सूरत को पढ़ें
- सूरत फातिहा के बाद कोई एक सूरत जोड़ें, जैसे:

रुकू का तरीका
- अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएं।
- रुकू में यह ध्यान दें:
- सिर और पीठ दोनों सीधी और बराबर होनी चाहिए।
- हाथों से घुटनों को मजबूती से पकड़ें।
- पीठ इतनी सीधी हो कि अगर उस पर कोई गिलास रखा जाए, तो वह गिर न सके।
- रुकू में तस्बीह पढ़ें:
- “सुब्हाना रब्बियाल अज़ीम” (तीन बार)।
- रुकू के दौरान नजरें पैरों पर रखें।
- दोनों कदमों के बीच चार उंगल का फासला रखें।
सजदे का तरीका
- रुकू से उठें और कहें:
- “समी’ अल्लाहु लिमन हामिदह, रब्बना लक-ल हम्द।”
- सजदे में जाने का तरीका:
- पहले दोनों घुटने जमीन पर रखें।
- फिर दोनों हाथ, नाक, और अंत में पेशानी जमीन पर रखें।
- सजदे में यह तस्बीह पढ़ें:
“सुब्हाना रब्बियाल अअला” (तीन बार)।
सजदे से उठकर दूसरा रकात
- सजदे के बाद खड़े होकर दूसरी रकात शुरू करें।
- दूसरी रकात में भी सूरत फातिहा और कोई सूरत मिलाएं।
- रुकू और सजदे का तरीका पहले जैसा ही रहेगा।
अत्तहिय्यात
अत्तहिय्यातु लिल्ल-लाहि वस्स-सलवातु वत्त-यबातु अस्स-लामु अलैका अय्युहन्न नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुह अ- स्सलामु अलैना व अला इबदिल्लाहिस्स सालिहीन अश-हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु व अश-हदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह”

अत्तहिय्यात हिंदी अनुवाद
सभी इबादतें सिर्फ़ अल्लाह के लिए हैं। और सभी नमाज़ें और अच्छी बातें भी अल्लाह के लिए हैं। सलाम हो आप पर, हे नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) और अल्लाह की रहमतें और उसकी बरकतें हम पर भी सलाम हो, और अल्लाह के नेक बंदों पर भी।
मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं है और गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं।
दुरूद शरीफ़

ऐ अल्लाह! हमेशा हमारे नबी मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) पर और उनके परिवार पर रहमत निकलो जैसा कि तूने हज़रत इब्राहीम (अलैहिस सलाम) पर निकाली थी, बिल्कुल ही तारीफ के लायक और बड़ी बुजुर्गी और अजमतवाले हैं।
ऐ अल्लाह! हमेशा हमारे नबी मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) पर और उनके परिवार पर बरकत निकलो जैसा कि तूने हज़रत इब्राहीम (अलैहिस सलाम) पर निकाली थी, बिल्कुल ही तारीफ के लायक और बड़ी बुजुर्गी और अजमतवाले हैं।
दुआए मासूरा

ऐ अल्लाह! मैं अपने आप पर बहुत जुल्म किया है और तेरे सिवा कोई भी गुनाहों को माफ नहीं कर सकता, केवल तेरी खास इनायत से मुझे माफ कर और मेरे ऊपर रहम कर, बिल्कुल ही तू ही बख्शने वाला और अत्यंत रहमवाला है।
2 रकात या 4 रकात नमाज को खत्म करना
जब आप नमाज की आखिरी रकात में पहुंचें, तो:
- तशहुद (अत्तहियात):
- “अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु…” (पूरी दुआ पढ़ें)।
- दुरूद शरीफ:
- “अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन…” (पूरी दुआ पढ़ें)।
- आखिरी दुआ:
- “रब्बिज्जाल्नी मुक़ीमस्सलाति वमिन् जुर्रिय्यती…” या जो भी दुआ याद हो।
- सलाम फेरना:
- दाएं तरफ मुंह फेरकर कहें: “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह।”
- फिर बाएं तरफ मुंह फेरकर कहें: “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह।”
नमाज पूरी होने के बाद
- अल्लाह से दुआ करें।
- तीन बार “अस्तग्फिरुल्लाह” कहें।
- और अपनी पसंदीदा दुआ पढ़ें।
अगर आपको यह तरीका समझ आया हो, तो वीडियो को लाइक करें, अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें, और हमारी आने वाली इस्लामी वीडियो के लिए चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें।
आपके सुझाव और सवालों का स्वागत है, उन्हें नीचे कमेंट में जरूर लिखें।
अल्लाह त’आला ने इंसान को किस लिए पैदा किया ?
क़ुरान में यह ज़िक्र है कि अल्लाह ने इंसान को अपने इबादत और तक़वा में इज़ाफ़ा करने के लिए पैदा किया है। जैसे सूरह अज़-ज़ारियात में फ़रमाया गया है: “यह बात इस आयत से ली गई है: “और मैंने जिन्नात और इन्सानों को सिर्फ़ इसलिए पैदा किया है कि वो मेरी इबादत करें।” (सूरह अध-धारियात, आयत 56)
इससे मक़सद यह है कि इंसान अपने जीवन में अल्लाह की राह में नेक अमल करें और उसके हुकूम को अदा करén.
नमाज़ तर्जुमे के साथ सीखने के फ़ायदे:Benefits of learning with Namaz Tarjuma
Full Namaz ka tarika Step By Step Translation In Hindi नमाज़ तर्जुमे के साथ सीखना कई फायदे उठाता है। यह एक शख्स को नमाज़ की अहमियत और उसके हर एस्पेक्ट्स को समझने में मदद करता है। यह कुछ फायदे इनक्लूड करता है:
Understanding: समझना
Namaz ka tarika : तर्जुमे के ज़रिए, शख्स नमाज़ के हर लफ़्ज़ और हर अमल की मानी को समझ सकता है। इससे नमाज़ सिर्फ़ एक रिटुअलिस्टिक गतिविधि नहीं रहती, बल्कि उसकी डेप्थ और सिग्निफिकेंस समझने का ज़रिया बन जाता है।
अल्लाह से ताअल्लुक़
अल्लाह से ताअल्लुक़: जब शख्स नमाज़ की हर कलमात को समझता है, तो उसकी नमाज़ का ताल्लुक सिर्फ़ ज़ाहिरी इबादत से नहीं रहता, बल्कि रूहानी तौर पर भी गहरा होता है। उसका ताल्लुक अल्लाह के साथ मज़बूत होता है। Full Namaz ka tarika
Khushu’ (Concentration): ख़ुशू’ (ध्यान)
ख़ुशू’ (ध्यान): तर्जुमे के ज़रिए, शख्स अपनी नमाज़ में ज़्यादा ख़ुशू’ (कंसेंट्रेशन) ला सकता है। क्योंकि वह समझता है के वह क्या कह रहा है और किस मक़सद के लिए नमाज़ अदा कर रहा है।
Educational Benefit: तालीमी फ़ायदा ?
तालीमी फ़ायदा: नमाज़ तर्जुमे के ज़रिए एक शख्स इस्लामी तारीख, फ़िक़ह, और अरबी ज़बान में वोकेबुलरी की तरक्की कर सकता है। इससे उनका इल्म-ए-दीन (रिलीजियस नॉलेज) भी बढ़ जाता है।
Communication with Community: समुदाय के साथ संचार
कम्युनिकेशन विद कम्युनिटी: अगर कोई शख्स नमाज़ की तर्जुमे समझता है, तो वह अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को भी नमाज़ का तरीका और मानी आसानी से समझा सकता है। इससे कम्युनिटी में इस्लामी इल्म का फ़ायदा होता है।
इस तरह से, नमाज़ तर्जुमे के साथ सीखने का फ़ायदा यह है के शख्स नमाज़ को सिर्फ़ अदा करने का तरीका नहीं समझता, बल्कि उसके रूहानी और इल्मी एस्पेक्ट्स को भी समझ सकता है।
FAQ’s
नमाज़ क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?
नमाज़ इस्लाम में सबसे महत्वपूर्ण इबादत है, जिसे अल्लाह की इबादत करने का सीधा जरिया माना जाता है। यह मुसलमानों पर फर्ज़ है और इसे दिन में पाँच बार अदा किया जाता है। नमाज़ इंसान को अल्लाह से जोड़ने का माध्यम है, जिससे दिल को सुकून और आत्मा को शांति मिलती है।
नमाज़ की तारीफ और इसके फायदे क्या हैं?
नमाज़ को एक ऐसी इबादत के रूप में देखा जाता है जो हमें अल्लाह के नजदीक लाती है। इसके फायदे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक होते हैं। यह अनुशासन, धैर्य और अल्लाह पर विश्वास को मजबूत करती है, साथ ही यह इंसान को गुनाहों से दूर रखने में मदद करती है।
नमाज़ की नियत और तारीख क्या है?
नमाज़ शुरू करने से पहले नियत (इरादा) करना जरूरी है, जो दिल से अल्लाह की इबादत के लिए किया जाता है। नियत से यह तय होता है कि आप कौन सी नमाज़ अदा कर रहे हैं और इसे सिर्फ अल्लाह की खुशी के लिए कर रहे हैं। नियत बिना आवाज के दिल में की जाती है।
नमाज़ में कौन-कौन सी चीजें शामिल होती हैं?
नमाज़ में कई चीजें शामिल होती हैं जैसे कि तहरीम (नमाज़ शुरू करने की तकबीर), क़िरात (कुरान की आयतें पढ़ना), रुकू (झुकना), सजदा (सजदा करना), और तशह्हुद (शहादत की गवाही देना)। नमाज़ का हर एक हिस्सा अल्लाह के प्रति विनम्रता और समर्पण का प्रतीक है।
नमाज़ को सही तरीके से कैसे पढ़ा जाता है?
नमाज़ को सही तरीके से पढ़ने के लिए शुद्धता (वुज़ू), नियत, और कुरान की आयतें सही से पढ़ना जरूरी होता है। नमाज़ को ध्यान और श्रद्धा से अदा करना चाहिए, बिना जल्दबाजी के। हर एक हरकत और शब्द का सही उच्चारण और अनुशासन नमाज़ की शुद्धता को दर्शाता है।
नमाज़ के सही तरीके में क्या होता है?
नमाज़ के सही तरीके में वुज़ू (शारीरिक पवित्रता), नियत करना, खड़े होकर तकबीर (अल्लाहु अकबर कहना), सूरह अल-फातिहा और कुरान की अन्य आयतें पढ़ना, रुकू (झुकना), सजदा (झुककर अल्लाह की इबादत करना), और अंत में तशह्हुद पढ़ना शामिल होता है।
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्ल लाह
सलामती हो आप पर, और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें नाज़िल हों। शुक्रिया
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