तस्बीह (Tasbih) पढ़ना इस्लाम में एक विशेष इबादत मानी जाती है। यह एक अमल है जिससे अल्लाह की बड़ाई, पाकी और तारीफ की जाती है। इस्लाम में तस्बीह का ज़िक्र न केवल हदीस में मिलता है, बल्कि कुरआन में भी इसे अहम अमल बताया गया है। लेकिन तस्बीह पढ़ने का सही तरीका और इसके अहमियत को जानना भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि इसका अमल करना। इस ब्लॉग में हम कुरआन और हदीस से तस्बीह का सही तरीका समझेंगे और इसके दौरान होने वाली गलतियों से बचने के तरीके जानेंगे।
तस्बीह पढ़ने का सही तरीका :Tasbih Padhne Ka Tarika
तस्बीह का महत्व कुरआन और हदीस में
कुरआन में तस्बीह का ज़िक्र:
“तो तू सब्र कर उनकी बातों पर, और अपने रब की तस्बीह कर सूरज निकलने से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात में और दिन के हिस्सों में तस्बीह कर, ताकि तू संतुष्ट हो जाए।”
यह आयत हमें सिखाती है कि सुबह-शाम और दिनभर तस्बीह करना न केवल इबादत का हिस्सा है, बल्कि यह आत्मिक संतोष भी प्रदान करता है।
- सूरह अल-अहज़ाब (33:41-42):
“ऐ ईमान लाने वालो! अल्लाह का ज़िक्र बहुत ज़्यादा करो, और सुबह-शाम उसकी तस्बीह करो।”
इस आयत में अल्लाह ताला ने अपने ज़िक्र की बार-बार ताकीद की है, जो यह दर्शाता है कि तस्बीह और ज़िक्र इंसान की रूहानियत और अल्लाह के साथ उसके संबंध को मज़बूत करते हैं। Tasbih Padhne Ka Tarika
हदीस में तस्बीह का ज़िक्र:
- सहीह मुस्लिम (हदीस 2691):
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: “जो कोई भी सुबह-शाम ‘सुब्हानअल्लाह व बिहम्दिहि’ सौ (100) बार पढ़े, उसके सारे (छोटे) गुनाह माफ कर दिए जाएंगे, चाहे वे समुद्र की झाग जितने ही क्यों न हों।”
यह हदीस तस्बीह की ताकत और इसके जरिए गुनाहों से मुक्ति पाने का साधन बताती है। आओ सीखें इस्लाम
- सहीह अल-बुखारी (हदीस 6405):
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया, “क्या मैं तुम्हें एक ऐसा अमल न बता दूं, जो तुम्हारे लिए दुनिया और उसमें जो कुछ भी है, उससे बेहतर हो? वो है: ‘सुब्हानअल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, और अल्लाहु अकबर’ को 33-33 बार पढ़ना।”
यह हदीस तस्बीह के अज़ीम फायदों पर ज़ोर देती है और यह बताती है कि ये तीन शब्द पढ़ने से इंसान को अपार सवाब मिलता है। Tasbih Padhne Ka Tarika
तस्बीह पढ़ने का सही तरीका
1. तस्बीह से पहले नियत को शुद्ध करें
कुरआन और हदीस में इबादत के लिए सही नियत (intention) पर बहुत ज़ोर दिया गया है। Tasbih Padhne Ka Tarika तस्बीह पढ़ते समय यह ज़रूरी है कि आपकी नियत सिर्फ अल्लाह की रज़ा (खुशी) हासिल करने की हो, न कि किसी दुनिया के फायदे के लिए।
2. सुब्हानअल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, और अल्लाहु अकबर का सही उच्चारण
तस्बीह के इन शब्दों का सही तलफ्फुज बहुत ज़रूरी है। इसका मतलब समझकर पढ़ने से इसका असर और भी गहरा होता है:
- सुब्हानअल्लाह: अल्लाह की पवित्रता का बयान करना।
- अल्हम्दुलिल्लाह: हर प्रकार की तारीफ अल्लाह के लिए है।
- अल्लाहु अकबर: अल्लाह सबसे बड़ा है।
3. तस्बीह माला या उंगलियों का उपयोग
नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपनी उंगलियों का इस्तेमाल कर तस्बीह पढ़ने का तरीका सिखाया है, और इसे सुन्नत बताया है। Tasbih Padhne Ka Tarika हालांकि, आप तस्बीह माला का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन यह आवश्यक नहीं है। उंगलियों से तस्बीह गिनना भी सुन्नत है और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इसे अपनाने की सलाह दी है।
4. तस्बीह की संख्या
हदीस में बताया गया है कि फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद 33 बार ‘सुब्हानअल्लाह’, 33 बार ‘अल्हम्दुलिल्लाह’, और 34 बार ‘अल्लाहु अकबर’ पढ़ा जाना चाहिए। यह अमल अल्लाह से क़रीब होने का एक बेहतरीन तरीका है।
तस्बीह पढ़ने में होने वाली गलतियाँ
1. माला पर अधिक ध्यान देना
तस्बीह का असल मकसद अल्लाह का ज़िक्र है, न कि सिर्फ माला के दानों को गिनना। अगर आप माला का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो भी ध्यान रखें कि आपका फोकस अल्लाह की याद में हो।
2. बिना समझे तस्बीह पढ़ना
बहुत से लोग तस्बीह के शब्दों का अर्थ समझे बिना इसे पढ़ते हैं। इससे तस्बीह का असली मकसद पूरा नहीं होता। इसलिए हर शब्द का अर्थ जानना और दिल से पढ़ना ज़रूरी है।
3. जल्दबाज़ी में पढ़ना
तस्बीह को जल्दी-जल्दी पढ़ने से इसका प्रभाव कम हो सकता है। इसे धीरे-धीरे और शांति से पढ़ना चाहिए ताकि इसका सही असर आपके दिल और रूह पर हो।
तस्बीह के फायदे
1. गुनाहों की माफी
हदीस में बताया गया है कि तस्बीह पढ़ने से छोटे-छोटे गुनाह माफ हो जाते हैं। यह अल्लाह की रहमत पाने का एक आसान तरीका है।
2. दिल की सफाई
तस्बीह पढ़ने से दिल साफ होता है और अल्लाह का ज़िक्र करने से इंसान के अंदर की बुराइयाँ दूर होती हैं। कुरआन में ज़िक्र की ताकत का ज़िक्र मिलता है:
“अल्लाह के ज़िक्र से दिल को सुकून मिलता है।” (सूरह अर-राद 13:28)
3. अल्लाह की नज़दीकी
जो लोग लगातार तस्बीह करते हैं, वे अल्लाह के क़रीब हो जाते हैं। यह एक ऐसा अमल है जो इंसान को रूहानियत की ऊँचाई पर ले जाता है।
निष्कर्ष
तस्बीह पढ़ना एक बेहद फायदेमंद और पाक इबादत है, लेकिन इसे सही तरीके से पढ़ना और इसका असल मतलब समझना बहुत ज़रूरी है। कुरआन और हदीस में तस्बीह की अहमियत बार-बार बयान की गई है। अगर आप तस्बीह को सही नियत और समझ के साथ पढ़ते हैं, तो न सिर्फ आप अल्लाह के क़रीब आते हैं, बल्कि आपकी रूहानी ताकत भी बढ़ती है।
तस्बीह पढ़ने का सही तरीका: Tasbih Padhne Ka Tarika – FAQs
तस्बीह का मतलब क्या है?
तस्बीह का मतलब है अल्लाह की तारीफ और उसकी पाकीजगी बयान करना। इसमें “सुब्हान अल्लाह,” “अलहम्दुलिल्लाह,” और “अल्लाहु अकबर” जैसे शब्दों को बार-बार दोहराया जाता है, जिससे दिल को सुकून और रूह को सुकून मिलता है।
तस्बीह पढ़ने का आसान तरीका क्या है?
तस्बीह पढ़ने के लिए आप दाईं हाथ की उंगलियों से गिनती करें। सबसे पहले “सुब्हान अल्लाह” 33 बार, “अलहम्दुलिल्लाह” 33 बार, और “अल्लाहु अकबर” 34 बार पढ़ें। इसे किसी भी साफ और सुकूनभरे माहौल में किया जा सकता है।
क्या तस्बीह के लिए वुज़ू करना जरूरी है?
तस्बीह पढ़ने के लिए वुज़ू करना जरूरी नहीं है, लेकिन वुज़ू के साथ पढ़ना बेहतर है क्योंकि यह इबादत के अदब को बढ़ाता है और दिल को ज्यादा खशूअ देता है।
तस्बीह किस समय पढ़नी चाहिए?
तस्बीह का कोई खास वक्त नहीं है। इसे दिन या रात के किसी भी समय पढ़ा जा सकता है। हालांकि, सुबह और शाम का वक्त, खासतौर से नमाज़ के बाद, इसे पढ़ने के लिए सबसे फज़ीलत वाला माना गया है।
माला से तस्बीह करना सही है?
माला का इस्तेमाल तस्बीह के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है। इस्लामिक शिक्षा के अनुसार उंगलियों से तस्बीह गिनना सबसे बेहतर तरीका है क्योंकि उंगलियां कयामत के दिन गवाही देंगी।
तस्बीह पढ़ने से क्या फायदे होते हैं?
तस्बीह पढ़ने से अल्लाह की रहमत मिलती है और गुनाह माफ होते हैं। यह दिल से नकारात्मक ख्यालों को दूर करता है, रोज़ी में बरकत लाता है, और अल्लाह के करीब जाने का जरिया बनता है।
तस्बीह का कौन सा जुमला सबसे ज्यादा फज़ीलत रखता है?
तस्बीह का सबसे ज्यादा फज़ीलत वाला जुमला “ला इलाहा इल्लल्लाह” है। यह अल्लाह की तौहीद (एकता) का सबसे ताकतवर बयान है और इसे पढ़ने से अल्लाह की रहमतें हासिल होती हैं।
नोट: तस्बीह पढ़ना एक आसान और पुरसुकून इबादत है, जिसे हर मुसलमान को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।
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