वित्र की नमाज़ की नियत (Witr Namaz Ki Niyat) हिंदी और अरबी में
वित्र की नमाज़ की नियत (Witr Namaz Ki Niyat) हिंदी और अरबी में

Table of Contents

वित्र की नमाज़ की नियत (Witr Namaz Ki Niyat) हिंदी और अरबी में

वित्र की नमाज़ एक महत्वपूर्ण इबादत है जो हर मुसलमान को सही तरीके से अदा करनी चाहिए। यह इशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है और इसे आमतौर पर तीन रकात में अदा किया जाता है। वित्र की नमाज़ की नियत सही ढंग से करना भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इबादत की क़बूलियत नियत पर निर्भर करती है। इस ब्लॉग में हम वित्र की नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी में समझेंगे, इसके साथ ही वित्र नमाज़ की कुछ खास बातें भी साझा करेंगे।

Witr Namaz Ki Niyat (वित्र नमाज़ की नियत)

वित्र की नमाज़ की नियत का तरीका सीधा और सरल है। इसे दिल से करना होता है और नियत की ताकीद जुबान से भी की जा सकती है।

वित्र की नमाज़ की नियत हिंदी में: Witr Namaz Ki Niyat

“मैं नीयत करता हूँ तीन रकात वाजिब वित्र नमाज़ की, अल्लाह के लिए, काबा की तरफ रुख करके, अल्लाहु अकबर।”

वित्र की नमाज़ की नियत अरबी में: Witr Namaz Ki Niyat in Arabic

यह नियत दिल से करने के बाद नमाज़ शुरू की जाती है। वित्र की नमाज़ तीन रकातों की होती है, जिसमें तीसरी रकात के बाद क़ुनूत की दुआ पढ़ी जाती है।


नमाज़ ए वित्र की नियत कैसे बांधी जाती है?: Witr Namaz Ki Niyat

वित्र की नमाज़ की नियत को बांधने का तरीका बहुत ही सरल है।Witr Namaz Ki Niyat हर नमाज़ में सबसे पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि हम जिस नमाज़ को अदा कर रहे हैं, उसकी नियत साफ हो और वह अल्लाह के लिए हो। वित्र की नमाज़ की नियत को भी इसी तरह से किया जाता है: इसे भी पढ़ेंनमाज़ के बाद की दुआ: Dua after namaz

  1. दिल से नियत करें: वित्र की नमाज़ की नियत सबसे पहले दिल से करनी होती है कि हम तीन रकात वाजिब वित्र की नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं।
  2. जुबान से नियत: आप नियत जुबान से भी कर सकते हैं, जिससे आपका ध्यान और अधिक केंद्रित हो जाता है। नियत करने के लिए ऊपर बताई गई हिंदी या अरबी की नियत को दोहराया जा सकता है।
  3. नमाज़ शुरू करें: नियत करने के बाद अल्लाहु अकबर कहकर नमाज़ की शुरुआत की जाती है।

वित्र की नमाज़ तीन रकात होती है, जिसमें दूसरी रकात के बाद तशह्हुद (अत्तहियात) पढ़ा जाता है और फिर तीसरी रकात में क़ुनूत की दुआ पढ़ी जाती है।


वित्र जमात से हो तो इन बातों पर ध्यान दें!

वित्र की नमाज़ अकेले भी पढ़ी जा सकती है और जमात के साथ भी। रमज़ान के दौरान, तरावीह की नमाज़ के बाद वित्र जमात के साथ पढ़ी जाती है। अगर वित्र की नमाज़ जमात के साथ अदा कर रहे हैं, तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

  1. इमाम की तक़लीद करें: जमात में इमाम का पालन करना जरूरी है। इमाम जो अमल करेगा, वही अमल हमें भी करना है। जब इमाम क़ुनूत की दुआ पढ़े, तो हम भी उसी के साथ शामिल हो जाएं।
  2. क़ुनूत की दुआ: अगर आप क़ुनूत की दुआ याद नहीं कर पाए हैं, तो आप “रब्बना अतिना” या तीन बार “अल्लाहु अकबर” कह सकते हैं।
  3. खुलूस और ध्यान: जमात के साथ नमाज़ पढ़ने में अधिक ध्यान और एकाग्रता की जरूरत होती है, क्योंकि इमाम का अनुसरण करना होता है।

वित्र की नमाज़ में क़ुनूत की दुआ:

तीसरी रकात में सूरह फ़ातिहा और कोई दूसरी सूरह पढ़ने के बाद क़ुनूत की दुआ पढ़ी जाती है। अगर क़ुनूत की दुआ याद नहीं है, तो आप यह भी पढ़ सकते हैं: Witr Namaz Ki Niyat

Witr Namaz Ki Niyat
Witr Namaz Ki Niyat

वित्र की नमाज़ की अंतिम लफ्ज़:

वित्र की नमाज़ में अंतिम लफ्ज़ यानी सलाम फ़ेरना होता है। जब तीसरी रकात पूरी हो जाती है और क़ुनूत की दुआ के बाद रुकू और सज्दा कर लिया जाता है, तो अंतिम लफ्ज़ यानी सलाम फेरते हैं। सलाम फेरते वक्त पहले दाहिनी तरफ और फिर बाईं तरफ मुंह घुमाकर “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह” कहा जाता है।


नमाज़ ए वित्र जमात से होतो रखें इन बातों का ध्यान दें!

वित्र की नमाज़ की नियत बांधने का अर्थ यह है कि आप अपनी नमाज़ को ध्यान और इखलास के साथ अदा करें। नियत की बंधाई मतलब सही ढंग से दिल और दिमाग को अल्लाह की तरफ मोड़ते हुए अपनी इबादत को अदा करना है।

  1. दिल से नियत बांधें: नियत सिर्फ शब्दों से नहीं बल्कि दिल से करनी होती है। जब आप वित्र की नमाज़ की नियत बांधें, तो ध्यान रहे कि यह सिर्फ एक रस्म नहीं बल्कि अल्लाह के सामने एक इबादत है।
  2. क़ुनूत की दुआ: नियत बांधने के बाद जब आप तीसरी रकात में क़ुनूत की दुआ पढ़ते हैं, तो यह एक और तरीका होता है अपनी नियत को और मजबूत करने का। यह दुआ अल्लाह से हिदायत और रहमत की दुआ है।

वित्र नमाज़ की फ़ज़ीलत कुरान और हदीस की रौशनी में

वित्र नमाज़ का इस्लाम में एक विशेष महत्व है। यह नमाज़ इशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है और इसे वाजिब करार दिया गया है। हज़रत मुहम्मद (ﷺ) ने वित्र की नमाज़ को विशेष रूप से पढ़ने का हुक्म दिया और इसे रात की इबादत का हिस्सा बनाया। कुरान में वित्र का जिक्र तो सीधे तौर पर नहीं मिलता, लेकिन इसे इशारा किया गया है कि रात के वक्त अल्लाह के करीब होने और दुआएं मांगने का समय है। वित्र नमाज़ का उद्देश्य अल्लाह की रहमत और मग़फिरत की दुआ करना है, जो इसे विशेष बनाता है।

हदीसों में वित्र नमाज़ की फ़ज़ीलत के बारे में कई रिवायतें मिलती हैं। हज़रत मुहम्मद (ﷺ) ने फरमाया, “वित्र नमाज़ को न छोड़ा करो, क्योंकि यह एक वाजिब नमाज़ है।” (सुनन अबू दाऊद)। एक अन्य हदीस में आता है कि “जो व्यक्ति वित्र पढ़ेगा, वह अल्लाह के नजदीक होगा और उसके गुनाह माफ किए जाएंगे।” इस प्रकार, वित्र नमाज़ एक महत्वपूर्ण इबादत है, जो रात के अंत में की जाती है और बंदे को अल्लाह से जुड़ने और उसकी रहमत को हासिल करने का अवसर प्रदान करती है।

हदीस:

अबू अय्यूब अंसारी (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: “वित्र हर मुसलमान पर हक़ है। जो पांच रकात पढ़ना चाहे, वो पांच रकात पढ़े, जो तीन पढ़ना चाहे, वो तीन पढ़े, और जो एक पढ़ना चाहे, वो एक पढ़े।”

Prayer (Kitab Al-Salat): Detailed Injunctions about Witr
सुनन अबू दाऊद हदीस नंबर 1422

तफसीर (विवरण):

इस हदीस से यह बात साफ़ होती है कि वित्र नमाज़ हर मुसलमान के लिए एक विशेष इबादत है, जिसे पढ़ने का अधिकार है। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इसमें लचीलापन दिया है कि मुसलमान अपनी सुविधा और परिस्थिति के अनुसार वित्र नमाज़ को कितनी रकात में पढ़ सकते हैं।

हदीस में “वित्र हर मुसलमान पर हक़ है” का मतलब यह है कि यह एक महत्वपूर्ण नमाज़ है, जिसे किसी भी हाल में छोड़ना नहीं चाहिए। हालाँकि, वित्र नमाज़ की रकातों की संख्या को लेकर विभिन्न विकल्प दिए गए हैं। आप पाँच रकात पढ़ सकते हैं, जो सबसे अफ़ज़ल तरीका माना जाता है, या तीन रकात, जो अधिकतर मुसलमानों द्वारा अदा की जाती है। और अगर कोई एक रकात ही अदा कर सके, तो वह भी वित्र नमाज़ के रूप में मानी जाती है।

इस हदीस से हमें यह भी समझ में आता है कि इस्लाम एक सरल और व्यवहारिक मज़हब है, जो अपने अनुयायियों की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इबादत के नियमों में लचीलापन प्रदान करता है।

वित्र की नमाज़ हर मुसलमान के लिए एक अहम इबादत है, जो इशा की नमाज़ के बाद अदा की जाती है। वित्र की नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी दोनों में आसान है और इसे दिल से करना चाहिए। अगर वित्र जमात के साथ पढ़ी जा रही हो, तो इमाम की तक़लीद और क़ुनूत की दुआ का विशेष ध्यान रखें। इस ब्लॉग में हमने वित्र की नमाज़ की नियत के साथ-साथ कुछ खास बातें और नियम बताए हैं जो हर मुसलमान के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए मददगार होगी।

वित्र की नमाज़ से जुड़े FAQs (Frequently Asked Questions)

वित्र की नमाज़ कितनी रकात होती है?

वित्र की नमाज़ तीन रकात होती है। इसे वाजिब नमाज़ माना जाता है और इशा की नमाज़ के बाद अदा की जाती है।

वित्र की नमाज़ की नियत कैसे करें?

वित्र की नमाज़ की नियत दिल से करनी होती है। आप हिंदी में इस तरह से नियत कर सकते हैं: “मैं नीयत करता हूँ तीन रकात वाजिब वित्र नमाज़ की, अल्लाह के लिए, काबा की तरफ रुख करके, अल्लाहु अकबर।”

क़ुनूत की दुआ क्या है और इसे कब पढ़ते हैं?

क़ुनूत की दुआ तीसरी रकात में पढ़ी जाती है, जब आप सूरह फ़ातिहा और दूसरी सूरह के बाद रुकू में जाने से पहले हाथ उठाकर दुआ करते हैं। दुआ अरबी में इस प्रकार है:
“اللهم اهدني فيمن هديت…”

अगर क़ुनूत की दुआ याद न हो तो क्या पढ़ सकते हैं?

अगर क़ुनूत की दुआ याद नहीं है, तो आप “रब्बना अतिना” या तीन बार “अल्लाहु अकबर” भी पढ़ सकते हैं। इसका उद्देश्य अल्लाह से दुआ करना है, चाहे वह किसी भी रूप में हो।

क्या वित्र की नमाज़ जमात के साथ पढ़ी जा सकती है?

जी हां, वित्र की नमाज़ जमात के साथ भी पढ़ी जा सकती है। खासकर रमज़ान के महीने में तरावीह के बाद वित्र की नमाज़ जमात के साथ अदा की जाती है।

अगर वित्र की नमाज़ छूट जाए तो क्या करना चाहिए?

अगर वित्र की नमाज़ किसी कारण से छूट जाए, तो आप इसे बाद में पढ़ सकते हैं। वित्र की नमाज़ की क़ज़ा भी की जाती है, खासकर फज्र की नमाज़ से पहले।

क्या वित्र की नमाज़ फ़र्ज़ है?

वित्र की नमाज़ फर्ज़ नहीं, बल्कि वाजिब है। इसका मतलब है कि इसे पढ़ना जरूरी है, लेकिन फर्ज़ की तरह अनिवार्य नहीं। अगर किसी वजह से छूट जाए तो इसकी क़ज़ा करना चाहिए।

क्या वित्र की नमाज़ में सूरह फातिहा के बाद कोई दूसरी सूरह पढ़ी जाती है?

हां, वित्र की नमाज़ की हर रकात में सूरह फ़ातिहा के बाद कोई दूसरी सूरह पढ़ी जाती है। तीसरी रकात में क़ुनूत की दुआ से पहले भी सूरह फ़ातिहा और दूसरी सूरह पढ़ी जाती है।

वित्र की नमाज़ अकेले पढ़ी जा सकती है?

हां, वित्र की नमाज़ आप अकेले भी पढ़ सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि इसे जमात के साथ ही पढ़ा जाए। अगर जमात नहीं है, तो आप घर पर भी अकेले वित्र की नमाज़ अदा कर सकते हैं।

क्या वित्र की नमाज़ में क़ुनूत की दुआ हर बार पढ़नी जरूरी है?

जी हां, वित्र की नमाज़ में तीसरी रकात में क़ुनूत की दुआ पढ़नी जरूरी है। अगर किसी को यह दुआ याद नहीं है, तो जैसा ऊपर बताया गया है, कोई छोटी दुआ या “अल्लाहु अकबर” कह सकते हैं।

निष्कर्ष


वित्र की नमाज़ एक महत्वपूर्ण इबादत है, जिसे हर मुसलमान को सही तरीके से अदा करना चाहिए। ऊपर दिए गए FAQs में वित्र की नमाज़ से जुड़ी सामान्य प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं, जो आपकी नमाज़ को और बेहतर ढंग से अदा करने में मदद करेंगे

Author

  • Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

    View all posts

Sher Mohammad Shamsi

Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights