इस्लाम में पर्दा का हुक्म किस लिए?: Why is Hijab obligatory in Islam?
क्या आपने कभी सोचा है कि इस्लाम में पर्दे का असली मतलब क्या है? यह सिर्फ एक कपड़े की परत नहीं, बल्कि औरतों की इज्जत और सुरक्षा का एक अद्वितीय तरीका है।
हदीस का अरबी पाठ:
हिंदी अनुवाद:
पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) ने फ़रमाया: “किसी महिला के लिए यह जायज़ नहीं है कि वह बिना किसी महरम के एक दिन और एक रात की यात्रा करे।”
संदर्भ:
सहीह बुखारी, हदीस नंबर 1088
तफसीर (व्याख्या):
इस हदीस में पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) ने स्पष्ट रूप से यह बताया है कि एक महिला को लंबी दूरी की यात्रा बिना किसी महरम (निकट रिश्तेदार जैसे पिता, भाई, पति, बेटा आदि) के नहीं करनी चाहिए। महरम वह व्यक्ति होता है जिसके साथ निकाह हराम है, और जो उसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ले सकता है। इस्लाम में पर्दे के और गहराई चलते हैं
मुख्य बिंदु:
- इस्लाम में पर्दा महिलाओं की सुरक्षा:
इस्लाम में महिलाओं की सुरक्षा को बहुत महत्व दिया गया है। इस हदीस का मुख्य उद्देश्य यही है कि एक महिला यात्रा के दौरान सुरक्षित रहे। इस्लाम में पर्दा पुराने ज़माने में लंबी यात्राएं अक्सर खतरनाक और कठिन होती थीं, और महिलाओं के लिए यह जरूरी था कि उनकी देखभाल करने वाला कोई महरम उनके साथ हो। - इस्लाम में पर्दा महरम की भूमिका:
महरम वह होता है जो महिला का संरक्षक होता है और उसकी सुरक्षा का ध्यान रखता है। अगर महिला के साथ महरम होता है, तो यात्रा के दौरान उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं होती, और वह मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस करती है। - इस्लाम में पर्दा सामाजिक और नैतिक मूल्य:
इस हदीस का एक और पहलू यह है कि इस्लाम महिलाओं के सम्मान और उनकी सामाजिक स्थिति को बहुत महत्व देता है। महिला का अकेले यात्रा करना कुछ परिस्थितियों में न केवल उसे जोखिम में डाल सकता है, बल्कि उसे समाज की नजरों में भी असुरक्षित बना सकता है। इस्लाम समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखने की बात करता है। - इस्लाम में पर्दा समकालीन संदर्भ:
आज के आधुनिक समय में, जब यात्रा के साधन सुरक्षित और आसान हो गए हैं, कुछ विद्वान इस हदीस को विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार समझने का सुझाव देते हैं। उदाहरण के लिए, अगर यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित है और महिला के पास सभी आवश्यक सुरक्षा साधन उपलब्ध हैं, तो कुछ स्थितियों में इसे उचित समझा जा सकता है। लेकिन इस्लाम का मूल उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना है, और इस हदीस का यही मूल संदेश है।
इस हदीस का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को प्राथमिकता देना है। महरम की उपस्थिति महिला को मानसिक और शारीरिक सुरक्षा प्रदान करती है। यह हदीस महिलाओं के प्रति इस्लाम की चिंता और उनके सुरक्षित रहने की व्यवस्था की ओर इशारा करती है। इसे भी पढ़ें…दूध पीने के फायदे
कुरआन पर्दे के बारे में क्या कहता है ?
तफसीर (व्याख्या):
यह आयत इस्लाम में पर्दा सूरह अन-नूर की आयत 31 है, जिसमें अल्लाह तआला ने ईमान वाली औरतों को कुछ महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं। इन आदेशों का उद्देश्य महिलाओं की इज्जत और सम्मान को बनाए रखना है, साथ ही उनके लिए एक मर्यादित और नैतिक जीवन जीने का मार्गदर्शन देना है।
Varse Tafseer
और मुसलमान औरतों को हुक्म दो कि वे अपनी निगाहें कुछ नीची रखें और अपनी पवित्रता की हिफाजत करें और अपनी ज़ीनत (सौंदर्य) न दिखाएं सिवाय उसके जो खुद-ब-खुद जाहिर हो जाता है, और वे अपने दुपट्टे अपने गले और सीने पर डालकर रखें और अपनी ज़ीनत किसी पर जाहिर न करें सिवाय अपने शौहरों, अपने बाप, शौहरों के बाप, अपने बेटों, शौहरों के बेटों, अपने भाइयों, अपने भतीजों, अपने भांजों, अपनी (मुस्लिम) औरतों, अपनी मिल्कियत में आई हुई
कनीज़ों, उन नौकरों पर जो शहवत से खाली हों, या उन बच्चों पर जिन्हें औरतों की छुपी बातों की समझ न हो। और ज़मीन पर अपने पाँव इस तरह न मारें कि उनकी छुपाई हुई ज़ीनत का पता चल जाए। और ऐ मुसलमानो! तुम सब अल्लाह की तरफ तौबा करो, ताकि तुम फلاح पा सको।
औरत का अजनबी मर्द को देखने का शरीअी हुक्म:
यहाँ एक मसला याद रहे कि औरत का अजनबी मर्द की तरफ नज़र करने का वही हुक्म है जो मर्द का औरत की तरफ नज़र करने का है। और यह उस वक़्त है जब औरत को यक़ीन हो कि उसकी तरफ देखने से कोई शहवत पैदा नहीं होगी। लेकिन अगर शहवत पैदा होने का शुब्हा भी हो, तो हरगिज़ नज़र न करे।
{وَ لَا یُبْدِیْنَ زِیْنَتَهُنَّ: और अपनी ज़ीनत न दिखाएं।}
अबू अल-बरकात अब्दुल्लाह बिन अहमद नसफ़ी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं:
“ज़ीनत से मुराद वह चीज़ें हैं जिनके ज़रिये औरत सवरती-सजती है, जैसे ज़ेवर, सुरमा वग़ैरह। और चूंकि सिर्फ ज़ीनत के सामान को दिखाना जायज़ है, इसलिए आयत का मतलब यह है कि मुस्लिम औरतें अपने बदन के उन हिस्सों को ज़ाहिर न करें जहां वे ज़ीनत करती हैं, जैसे सिर, कान, गर्दन, सीना, बाजू, कुहनियां और पिंडलियां।
लेकिन बदन के वे हिस्से जो आम तौर पर ज़ाहिर होते हैं, जैसे चेहरा, दोनों हाथ और दोनों पांव, उन्हें छिपाने में चूंकि मुश्किल है, इसलिए इन हिस्सों को ज़ाहिर करने में कोई हरज नहीं। (लेकिन इस दौर में चेहरा भी छिपाया जाएगा, जैसा कि ऊपर गुज़र चुका है।)”
(मदारिक, अन-नूर, तहतुल आयत: 31, पृष्ठ 777)
पर्दे के दीन और दुनियावी फायदे:
यहाँ पर्दा करने के कुछ दीन और दुनियावी फायदे दिए जा रहे हैं। पर्दे के 4 दीन के फायदे ये हैं:
(1) पर्दा अल्लाह तआला और उसके प्यारे हबीब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की रज़ामंदी हासिल करने का एक ज़रिया है।
(2) पर्दा ईमान की निशानी, इस्लाम की पहचान और मुसलमान औरतों की अलग पहचान है।
(3) पर्दा शर्म और हया की अलामत है, और हया अल्लाह तआला को बहुत पसंद है।
(4) पर्दा औरत को शैतान के शर से महफूज़ रखता है।
पर्दे के 4 दुनियावी फायदे ये हैं:
(1) बाअदब और पर्देदार औरत को इस्लामी समाज में बहुत इज़्ज़त और वकार की नज़र से देखा जाता है।
(2) पर्दा औरत को बुरी नज़र और फितने से बचाता है और बुराई के रास्ते को रोकता है।
(3) औरत के पर्दे से समाज में बुराई नहीं फैलती और अमन-ओ-सुकून कायम रहता है।
(4) पर्दा औरत के वकार को बढ़ाता है और उसकी खूबसूरती की हिफ़ाज़त करता है।
मुख्य बिंदु:
- इस्लाम में पर्दा निगाहें नीची रखना:
अल्लाह ने आदेश दिया है कि ईमान वाली औरतें अपनी निगाहें नीची रखें। इसका अर्थ यह है कि महिलाएं गैर-महरम मर्दों (वह मर्द जिनसे निकाह किया जा सकता है) को घूर कर न देखें। इस्लाम में निगाहों की पवित्रता को बहुत महत्व दिया गया है। अनावश्यक रूप से एक दूसरे को देखने से न केवल गुनाह का डर रहता है, बल्कि यह दिल में बुरी भावनाओं को भी जन्म दे सकता है। निगाहों की हिफाज़त करना मन की पवित्रता बनाए रखने का एक साधन है। - इस्लाम में पर्दा इज्जत की हिफाज़त करना:
इस आयत में ‘इज्जत की हिफाज़त’ का अर्थ है कि महिलाएं अपने शरीर को उस तरह से ढंकें कि उनकी शारीरिक सुंदरता अनावश्यक रूप से दूसरों को न दिखे। इस्लाम में महिला की इज्जत उसकी मर्यादा और चरित्र में है, और यह उसके कपड़ों और व्यवहार में झलकनी चाहिए। शारीरिक सुरक्षा और सम्मान बनाए रखने के लिए महिलाओं को मर्यादित कपड़े पहनने और अपने शरीर को ढंकने की हिदायत दी गई है। - इस्लाम में पर्दा श्रृंगार को छुपाना:
आयत में यह निर्देश दिया गया है कि महिलाएं अपना श्रृंगार (ज़ीनत) उन लोगों के सामने न दिखाएं जिनसे निकाह करना हराम नहीं है। ज़ीनत का मतलब है बाहरी सुंदरता, आभूषण, कपड़े, और श्रृंगार जिसे औरतें विशेष अवसरों पर करती हैं। इस्लाम में औरतों को इजाज़त है कि वे अपने महरम रिश्तेदारों या पति के सामने श्रृंगार कर सकती हैं, लेकिन गैर-महरम मर्दों के सामने ऐसा करना वर्जित है ताकि अनावश्यक आकर्षण या बुरी नजरों से बचा जा सके। - व्यक्तिगत मर्यादा:
इस आयत का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह महिलाओं को उनकी व्यक्तिगत मर्यादा और सम्मान बनाए रखने की शिक्षा देता है। श्रृंगार या सज-धज का उद्देश्य केवल अपने पति या परिवार के लिए होना चाहिए, न कि समाज में अनावश्यक रूप से ध्यान आकर्षित करने के लिए। इससे महिलाओं का आत्म-सम्मान और सुरक्षा बनी रहती है। - समाज में नैतिकता और शांति:
यह आयत सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं है, बल्कि इस्लामी समाज में नैतिकता और पवित्रता बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब महिलाएं अपनी निगाहें नीची रखती हैं और मर्यादा का पालन करती हैं, तो समाज में बुरी इच्छाओं और बुरे विचारों का फैलाव कम होता है। यह समाज में शांति और नैतिकता को बढ़ावा देता है।
समकालीन संदर्भ:
आज के आधुनिक समाज में जहाँ बाहरी आकर्षण और फैशन पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है, इस आयत का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस्लामिक शिक्षाएं महिलाओं को आत्म-सम्मान और सुरक्षा के साथ जीने की प्रेरणा देती हैं। पर्दा केवल एक बाहरी आचरण नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के चरित्र और मर्यादा की हिफाज़त का एक साधन है।
निष्कर्ष:
सूरह अन-नूर की इस आयत में अल्लाह तआला ने ईमान वाली औरतों को अपनी निगाहें नीची रखने, अपनी इज्जत की हिफाज़त करने और अपना श्रृंगार छुपाने का हुक्म दिया है। इस्लाम में महिलाओं की इज्जत और सुरक्षा का बहुत महत्व है, और यह आयत उनके लिए एक मार्गदर्शन है ताकि वे अपनी ज़िन्दगी को मर्यादा, पवित्रता और सम्मान के साथ जी सकें।
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FAQs: इस्लाम में पर्दा का हुक्म क्यों दिया गया है?
इस्लाम में पर्दा का हुक्म क्यों दिया गया है?
इस्लाम में पर्दा का हुक्म औरत और मर्द दोनों के लिए दिया गया है ताकि समाज में शराफ़त और हया को बढ़ावा मिले, और बुरी नज़रों और फितनों से बचाव हो सके। यह व्यक्तिगत और सामूहिक पवित्रता और सम्मान बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।
क्या पर्दा सिर्फ औरतों के लिए है या मर्दों पर भी लागू होता है?
इस्लाम में पर्दा मर्द और औरत दोनों के लिए है। मर्दों को अपनी निगाहें नीची रखने और औरतों को अपनी ज़ीनत (सौंदर्य) छुपाने का हुक्म दिया गया है। मर्दों और औरतों दोनों को शराफ़त और हया के साथ जीवन जीने की शिक्षा दी गई है।
क्या पर्दा औरत की आज़ादी को कम करता है?
नहीं, इस्लाम में पर्दा औरत की आज़ादी को कम नहीं करता, बल्कि उसकी इज्ज़त और सुरक्षा को बढ़ाता है। यह औरत को अनावश्यक ध्यान और बुरी नज़र से बचाने का माध्यम है, जिससे वह आत्मसम्मान और आत्मविश्वास के साथ समाज में रह सके।
इस्लाम में पर्दा करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस्लाम में पर्दा करने का मुख्य उद्देश्य अल्लाह की रज़ामंदी हासिल करना, समाज में शराफ़त और हया को बढ़ावा देना, और फितने और बुराई को रोकना है। यह समाज में अमन-चैन बनाए रखने और औरत के सम्मान की हिफाजत के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
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