Gusal Karne Ka Tarika | ग़ुस्ल का सही तरीका जानें! Step-by-Step Gusal Guide
ग़ुस्ल का सही तरीका जानें! Step-by-Step Gusal Guide

ग़ुस्ल इस्लाम में पवित्रता बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ग़ुस्ल के बिना कुछ विशेष इबादतें नहीं की जा सकती हैं, जैसे कि नमाज़ पढ़ना, कुरान की तिलावत करना, और मस्जिद में प्रवेश करना। इस ब्लॉग में हम ग़ुस्ल के सही तरीके, इसके फराइज, और उन परिस्थितियों के बारे में बात करेंगे जब ग़ुस्ल फर्ज हो जाता है। साथ ही, ग़ुस्ल के कुछ अहम् मसाइल और सवालों के जवाब भी शामिल करेंगे, ताकि आपको ग़ुस्ल के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।

Table of Contents

Gusal Karne Ka Tarika | ग़ुस्ल का सही तरीका जानें Step-by-Step Gusal Guide


1. Gusal Ka Sunnat Tarika (ग़ुस्ल का सुन्नत तरीका)

ग़ुस्ल करने का सुन्नत तरीका नबी मुहम्मद (ﷺ) से सिखाया गया है। Gusal Karne Ka Tarika in hindi आइए देखते हैं, सहीह हदीसों के आधार पर ग़ुस्ल करने का सही तरीका:

ग़ुस्ल की सुन्नत विधि:

  1. नीयत (इरादा करना): ग़ुस्ल शुरू करने से पहले दिल में नीयत करें कि आप ग़ुस्ल कर रहे हैं ताकि आप पवित्र हो सकें।
  2. हाथ धोना: सबसे पहले अपने दोनों हाथों को तीन बार अच्छी तरह धोएं। Gusal Karne Ka Tarika step by step
  3. शर्मगाह की सफाई: अपने प्राइवेट पार्ट्स (शर्मगाह) को साफ करें, ताकि वहां कोई नजासत न रहे।
  4. वुज़ू करना: ग़ुस्ल से पहले वुज़ू करना सुन्नत है। यह वही वुज़ू है जो आप नमाज़ के लिए करते हैं। अगर आप ग़ुस्ल में हैं, तो पैरों को अंत में धोएं ताकि पानी ज़मीन पर जमा न हो।
  5. सिर पर पानी डालना: सिर के दाएं हिस्से से शुरुआत करके तीन बार पानी डालें, फिर बाएं हिस्से पर और अंत में पूरे सिर पर।
  6. पूरे शरीर पर पानी डालना: अब पूरे शरीर पर पानी डालें, ध्यान रखें कि शरीर का कोई हिस्सा सूखा न रहे।

हदीस प्रमाण:
हज़रत ऐशा (रज़ि.) कहती हैं:
“अल्लाह के रसूल (ﷺ) ग़ुस्ल शुरू करते थे तो पहले हाथ धोते, फिर वुज़ू करते और फिर पूरे शरीर पर पानी डालते थे।”
Gusal Karne Ka Tarika — (सहीह बुख़ारी: 248)


2. Gusal Ke Faraiz (ग़ुस्ल के फ़र्ज़)

ग़ुस्ल के तीन फराइज हैं जो इस्लाम के अनुसार आवश्यक माने जाते हैं। अगर इनमें से कोई भी छूट जाए, तो ग़ुस्ल अधूरा माना जाता है:

  1. कुल्ली करना: मुंह के अंदर पानी डालकर अच्छी तरह से कुल्ली करना।
  2. नाक में पानी डालना: नाक में पानी डालकर उसे साफ करना। Gusal Karne Ka Tarika
  3. पूरे शरीर पर पानी डालना: सिर से लेकर पांव तक पूरे शरीर को इस प्रकार से धोना कि कहीं भी पानी से सूखा न रह जाए।

हदीस प्रमाण:
नबी मुहम्मद (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो व्यक्ति ग़ुस्ल करता है, उसे चाहिए कि वह पूरे शरीर को अच्छी तरह से धोए, ताकि कोई भी हिस्सा सूखा न रहे।”
Gusal Karne Ka Tarika — (सहीह मुस्लिम: 317)


3. Kin Baton Se Gusal Farz Hota Hai (किन बातों से ग़ुस्ल फर्ज़ होता है)

ग़ुस्ल फर्ज़ होने के कुछ मुख्य कारण होते हैं। इनमें से प्रमुख यह हैं:

  1. मनी (वीर्य) का स्खलन: अगर किसी भी स्थिति में वीर्य निकल जाए (सोते हुए या जागते हुए), तो ग़ुस्ल करना फर्ज़ हो जाता है।
  2. जन्म या माहवारी के बाद: महिलाओं के लिए प्रसव या माहवारी समाप्त होने के बाद ग़ुस्ल करना फर्ज़ है।
  3. संभोग (जिन्सी ताल्लुक): पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनने के बाद ग़ुस्ल फर्ज़ हो जाता है, चाहे वीर्य निकले या न निकले। Wazu karne ka tarika:वुज़ू करने का सही तरीका-नमाज़ की तैयारी एक नए अंदाज़ में
हदीस प्रमाण: Hadith Reference.

हज़रत अबु हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है:
अल्लाह के नबी (ﷺ) ने फरमाया: ‘मनी ख़ारिज होने की वजह से ग़ुस्ल (नहाना) करना फर्ज़ (लाज़िम)हो जाता है।Gusal Karne Ka Tarika— (सहीह मुस्लिम: 343)


4. Mas’ala (मस’अला)

मस’अला:
अगर कोई व्यक्ति ग़ुस्ल के दौरान कुछ फराइज छोड़ दे, जैसे कि नाक में पानी नहीं डाला या शरीर का कोई हिस्सा धोने से रह गया, तो उसका ग़ुस्ल पूरा नहीं माना जाएगा और उसे दुबारा ग़ुस्ल करना पड़ेगा।

मस’अला:

अगर ग़ुस्ल के दौरान आप वुज़ू नहीं कर पाते, तो केवल ग़ुस्ल करना ही पर्याप्त है, क्योंकि ग़ुस्ल में वुज़ू खुद-ब-खुद शामिल हो जाता है। Gusal Karne Ka Tarika


5. Bina Gusal Ke Kaun Kaun Sa Kaam Kiya Ja Sakta Hai (बिना ग़ुस्ल के कौन कौन सा काम किया जा सकता है)

कुछ काम ऐसे हैं जो बिना ग़ुस्ल किए भी किए जा सकते हैं:

  1. खाना खाना और पीना: बिना ग़ुस्ल किए आप खाना खा सकते हैं और पानी पी सकते हैं।
  2. गैर-इबादत के काम: ग़ुस्ल फर्ज़ होने के बावजूद आप गैर-इबादत के काम कर सकते हैं, जैसे पढ़ाई करना, बाजार जाना आदि।
  3. सोना: अगर आपको ग़ुस्ल करना है और तुरंत समय नहीं है, तो आप सोने से पहले वुज़ू करके सो सकते हैं।

हदीस प्रमाण:
नबी मुहम्मद (ﷺ) ने हज़रत उमर (रज़ि.) को फ़रमाया:
“अगर तुम जिंसी ताल्लुक के बाद ग़ुस्ल नहीं कर सके, तो वुज़ू करके सो सकते हो।”
— (सहीह मुस्लिम: 305)


6. Kis Pani Se Wazu Aur Gusal Karna Jaiz Hai Aur Kis Se Nahi (किस पानी से वुज़ू और ग़ुस्ल करना जायज़ है और किस से नहीं)

वुज़ू और ग़ुस्ल के लिए जायज़ पानी:

  1. बादलों का पानी (बारिश का पानी)
  2. झरने या तालाब का पानी
  3. नदी या समुद्र का पानी

इन सभी प्रकार के पानी से वुज़ू और ग़ुस्ल करना जायज़ है, बशर्ते कि वह पानी साफ और पवित्र हो।

वह पानी जिससे वुज़ू और ग़ुस्ल नहीं किया जा सकता:

  1. नापाक पानी: ऐसा पानी जिसमें कोई नजासत (गंदगी) मिल गई हो।
  2. किसी और इस्तेमाल का पानी: ऐसा पानी जिसे पहले किसी और काम के लिए इस्तेमाल किया गया हो, जैसे बर्तन धोने या नहाने के बाद बचा हुआ पानी।

हदीस प्रमाण:
नबी मुहम्मद (ﷺ) ने कहा:
“समुद्र का पानी पवित्र है और उससे ग़ुस्ल और वुज़ू किया जा सकता है।”
— (सहीह अबू दाऊद: 83)


7. 5 FAQ’s (पांच आम सवाल)

ग़ुस्ल कब फर्ज़ होता है?

ग़ुस्ल मनी के स्खलन, संभोग, माहवारी, और प्रसव के बाद फर्ज़ हो जाता है।

क्या वुज़ू ग़ुस्ल में शामिल होता है?

हां, अगर आप ग़ुस्ल कर रहे हैं तो वुज़ू का हिस्सा भी पूरा हो जाता है।

क्या बिना ग़ुस्ल के कुरान पढ़ सकते हैं?

नहीं, ग़ुस्ल के बिना आप कुरान की तिलावत नहीं कर सकते।

क्या ग़ुस्ल बिना नीयत के हो सकता है?

नहीं, नीयत के बिना ग़ुस्ल या कोई भी इबादत मुकम्मल नहीं होती।

क्या ग़ुस्ल के दौरान साबुन का इस्तेमाल करना जरूरी है?

नहीं, ग़ुस्ल के दौरान साबुन का इस्तेमाल करना फर्ज़ या सुन्नत नहीं है, लेकिन अगर आप सफाई के लिए इस्तेमाल करना चाहें तो कर सकते हैं।


निष्कर्ष

ग़ुस्ल एक बहुत ही महत्वपूर्ण इबादत है जिसे सही तरीके से करना आवश्यक है। इस ब्लॉग में हमने ग़ुस्ल करने का सुन्नत तरीका, इसके फराइज, और ग़ुस्ल फर्ज़ होने की स्थितियों के बारे में विस्तार से चर्चा की।

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  • Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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Sher Mohammad Shamsi

Islamichindi.com के मुसन्निफ़ इस्लामी मालूमात, क़ुरआन-ओ-हदीस और तारीख़ के माहिर हैं। बरसों से इस्लामी तालीमात को सहीह और मुसद्दक़ तरीके़ से अवाम तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। इनका मक़सद है के आम ज़बान में लोगों तक दीन-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात पहुँचाई जाएँ।

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