1)नीयत और बिस्मिल्लाह पढ़ना
waju kaise kare वुज़ू शुरू करने से पहले सबसे पहला कदम है नीयत (इरादा) करना। नीयत दिल में की जाती है, और इसे ज़ुबान से कहना जरूरी नहीं है। wazu karne ki niyat इसके बाद “बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम” पढ़कर वुज़ू शुरू किया जाता है। बिस्मिल्लाह पढ़ने से अल्लाह की रहमत और बरकत वुज़ू में शामिल होती है और यह अमल ज्यादा फायदेमंद बन जाता है। Wazu karne ka tarika
2)हाथों को कलाई तक धोना
इसके बाद दोनों हाथों को कलाई तक तीन बार धोएं। यह सफाई का पहला चरण है और यह सुनिश्चित करता है कि हाथ पूरी तरह साफ हों। हाथों को धोना इसलिए जरूरी है क्योंकि हम अपने हाथों से ही बाकी वुज़ू के अमल करते हैं।
3)मिस्वाक करना
मिस्वाक का इस्तेमाल करना सुन्नत है। अगर मिस्वाक उपलब्ध नहीं हो, तो टूथब्रश या कुल्ली करने से भी काम लिया जा सकता है। मिस्वाक करने के बाद तीन बार अच्छी तरह कुल्ली करें, ताकि मुंह में कोई भी गंदगी न रह जाए। मिस्वाक दांतों को साफ करने के साथ-साथ मसूड़ों और जीभ की भी सफाई करता है, जिससे वुज़ू अधिक प्रभावी बनता है।
4)नाक में पानी डालना
इसके बाद तीन बार नाक में पानी डालें और बाएं हाथ से नाक साफ करें। यह प्रक्रिया नाक की सफाई के लिए जरूरी है, ताकि कोई गंदगी अंदर न रह जाए जो सांस के साथ अंदर जा सके। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है, क्योंकि नाक साफ करने से सांस लेने में आसानी होती है।
5)चेहरा धोना
तीन बार चेहरा धोना वुज़ू का अगला चरण है। चेहरे को बालों की जड़ों से लेकर ठोड़ी तक और एक कान से दूसरे कान तक धोना जरूरी है। अगर कोई शख्स दाढ़ी रखता है, तो दाढ़ी में पानी डालकर उंगलियों से उसे साफ करना चाहिए ताकि पानी अंदर तक पहुंच सके।
6)कोहनियों समेत हाथ धोना
अब दोनों हाथों को कोहनियों समेत तीन बार धोएं। पहले दाहिने हाथ को धोएं, फिर बाएं हाथ को। यह सुनिश्चित करें कि हाथों के हर हिस्से तक पानी पहुंचे, खासकर उंगलियों के बीच में।
7)सिर का मसह करना
इसके बाद सिर का मसह किया जाता है। मसह का तरीका यह है कि हाथों को हल्का गीला करें और फिर माथे से लेकर गर्दन तक हाथ फेरें, फिर वापस माथे की तरफ लाएं। इसके साथ कानों का भी मसह किया जाता है। मसह सिर्फ सिर और कान तक सीमित होता है, गर्दन तक हाथ नहीं जाना चाहिए, क्योंकि गर्दन का मसह मकरूह (नापसंद) है।
8)पैरों को धोना
अंत में, दोनों पैरों को टखनों तक धोएं। पहले दाहिने पैर को धोएं, फिर बाएं पैर को। उंगलियों के बीच में पानी पहुंचाना और उन्हें साफ करना जरूरी है। यह सुनिश्चित करें कि पानी टखनों तक पहुंचे, क्योंकि यह वुज़ू के फराइज में से एक है।
वुज़ू के फराइज़ (आवश्यक चीज़ें)
वुज़ू में चार चीजें फरज हैं, जिनके बिना वुज़ू मुकम्मल नहीं होता:
- चेहरा धोना: पूरे चेहरे को बालों की जड़ों से लेकर ठोड़ी तक धोना।
- हाथों को कोहनियों तक धोना: दोनों हाथों को कोहनियों समेत धोना।
- सिर का मसह करना: सिर के चौथाई हिस्से का मसह करना।
- पैरों को टखनों तक धोना: दोनों पैरों को टखनों तक धोना।
अगर इन चार चीजों में से कोई एक भी छूट जाए, तो वुज़ू पूरा नहीं माना जाता।
वुज़ू की सुन्नतें (पैगंबर द्वारा बताए गए आदर्श तरीके)
वुज़ू में कुछ सुन्नतें होती हैं, जिनका पालन करना मुसलमानों के लिए बहुत सवाब का काम है:
- वुज़ू की शुरुआत में बिस्मिल्लाह पढ़ना।
- तीन बार हर अंग को धोना।
- मिस्वाक का इस्तेमाल करना।
- नाक में पानी डालकर अच्छी तरह साफ करना।
- दाढ़ी का खिलाल करना (दाढ़ी में उंगलियों को डालकर साफ करना)।
अगर इन सुन्नतों को जान-बूझकर छोड़ दिया जाए, तो यह गुनाह माना जाता है, लेकिन वुज़ू फिर भी मुकम्मल होगा।
वुज़ू की फज़ीलत (महत्ता)
वुज़ू को इस्लाम में खास दर्जा दिया गया है। यह नमाज़ की चाबी है, और इसके बिना कोई इबादत मुकम्मल नहीं हो सकती। हदीस में आता है कि जो शख्स वुज़ू करने के बाद ताज़ा वुज़ू करता है, उसके नाम-ए-अमाल (आमालों का रिकॉर्ड) में दस नेकियां लिखी जाती हैं। वुज़ू करने के दौरान, इंसान के छोटे गुनाह पानी के साथ बह जाते हैं।
पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने फरमाया:
“जब कोई इंसान वुज़ू करता है “Wazu karne ka tarika“और अच्छी तरह से वुज़ू करता है, तो उसके गुनाह उस पानी के साथ बह जाते हैं, यहां तक कि उसके नाखूनों के नीचे से भी।”
(सही बुखारी)
वुज़ू को तोड़ने वाली चीज़ें
कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनसे वुज़ू टूट जाता है, और फिर से वुज़ू करना जरूरी हो जाता है: Wazu karne ka tarika
- पेशाब या पाखाना करना।
- हवा का निकलना।
- बेहोशी या नींद आना।
- मुँह भरकर उल्टी आना।
- नमाज़ में जोर से हँसना।
अगर इनमें से कोई भी चीज़ हो, तो वुज़ू फिर से करना होगा।
वुज़ू के बारे में एक सह़ीह हदीस:
हज़रत उस्मान (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी-ए-करीम (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जिसने वुज़ू इस तरह किया कि अच्छी तरह से वुज़ू किया, फिर नमाज़ पढ़ी, तो उसके पिछले छोटे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।”
_(सह़ीह मुस्लिम, हदीस 227)_
इस हदीस से पता चलता है कि वुज़ू न केवल शरीरिक सफाई है बल्कि रूहानी तौर पर गुनाहों को माफ़ करने का भी जरिया है।
निष्कर्ष (Conclusion)
वुज़ू एक महत्वपूर्ण अमल है जो न सिर्फ शारीरिक बल्कि आत्मिक पवित्रता भी प्रदान करता है। यह अल्लाह के करीब जाने का एक तरीका है और इसे सही ढंग से करना जरूरी है। इस लेख में हमने वुज़ू करने का सही तरीका, इसके फराइज़, सुन्नतें, और वुज़ू की फज़ीलत के बारे में सीखा। उम्मीद है कि इस जानकारी से आप वुज़ू को और बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।
अगर आपके मन में वुज़ू से संबंधित कोई सवाल है, तो नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं। और हां, इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें, ताकि वे भी सही तरीके से वुज़ू कर सकें
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