surah yaseen in hindi | सुरह यासीन हिंदी में
सुरह यासीन का महत्व और फायदे
परिचय: surah yaseen sharif
सुरह यासीन “surah yaseen in hindi “ को क़ुरआन का दिल कहा जाता है। यह 36वें अध्याय में स्थित है और इसमें 83 आयतें हैं। इस सुरह का पाठ करने वाले को अनेक लाभ और बरकतें प्राप्त होती हैं। यह सुरह मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) द्वारा बहुत महत्वपूर्ण बताई गई है।
सुरह यासीन रोज़ाना पढ़ने के फायदे: surah yaseen in hindi Benefite
- बड़ी समस्याओं का समाधान: माना जाता है कि सुरह यासीन “surah yaseen in hindi “ रोज़ाना पढ़ने से जीवन की बड़ी समस्याओं का समाधान होता है। यह अध्याय ईश्वर से मदद और मार्गदर्शन प्राप्त करने का माध्यम है।
- आध्यात्मिक शांति: सुरह यासीन की तिलावत से मन को शांति और दिल को सुकून मिलता है। यह हमें ईश्वर की नजदीकी का एहसास कराता है और जीवन में शांति और स्थिरता लाता है।
- पापों की माफी: इस अध्याय की रोज़ाना तिलावत करने से पापों की माफी मिलती है। यह माना जाता है कि यह अध्याय पढ़ने से पिछले पापों की माफी होती है और ईश्वर की रहमत प्राप्त होती है।
- रोज़ी में बरकत: सुरह यासीन पढ़ने से रोज़ी में बरकत होती है।surah yaseen in hindi Benefite इसे पढ़ने से रोज़गार के नए अवसर मिलते हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- रोगों से मुक्ति: इस अध्याय की तिलावत से बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इसे पढ़ने से शारीरिक और मानसिक रोगों से राहत मिलती है। surah yaseen full pdf
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आप इस पवित्र सुरह को surah yaseen PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते हैं, जिससे इसे कहीं भी और कभी भी पढ़ा जा सकता है।
सुरह यासीन surah yaseen के महत्व के बारे में हदीसों में भी उल्लेख मिलता है। यहाँ कुछ प्रमुख हदीसें दी गई हैं जो सुरह यासीन की फज़ीलत (महत्ता) और फायदे के बारे में बताती हैं
- हदीस 1: हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: “हर चीज़ का एक दिल होता है, और क़ुरआन का दिल सुरह यासीन है। जो कोई इसे पढ़ता है, उसे दस बार क़ुरआन पूरा पढ़ने का सवाब मिलता है।” (तिर्मिज़ी, दरसिले)
- हदीस 2: हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: “जो कोई सुबह के समय सुरह यासीन पढ़ता है, उसके कामों में आसानी होती है।” (दरमि)
- हदीस 3: हज़रत मौलिक इब्न यासार (रज़ि.) से रिवायत है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: “जो कोई अल्लाह की खुशी के लिए सुरह यासीन पढ़ता है, उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ हो जाते हैं। इसे मरने वाले के पास पढ़ा करो।” (अबू दाऊद)
- हदीस 4: हज़रत इब्न अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: “सुरह यासीन को पढ़ो, क्योंकि यह भूख, प्यास, और रोगों से मुक्ति दिलाती है।” (इब्न हिब्बान)
इन हदीसों से पता चलता है कि सुरह यासीन पढ़ने के कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ हैं। यह न केवल अल्लाह की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है, बल्कि जीवन की समस्याओं का समाधान और पापों की माफी का जरिया भी है।
सुरह यासीन का महत्व:
- दिल की सुकून: यह सुरह पढ़ने से दिल को सुकून और शांति मिलती है।
- पापों का माफ़: जो व्यक्ति इसे रोजाना पढ़ता है, उसके छोटे-छोटे पाप माफ़ हो जाते हैं।
- मृत्यु के समय: इसे पढ़ने से मृत्यु के समय व्यक्ति को आसानी होती है।
- रोज़गार में बरकत: इसे पढ़ने से रोज़गार में बरकत और तरक्की होती है।
सुरह यासीन का तर्जुमा:”surah yaseen in hindi Tarjuma”
surah yaseen hindi mein सुरह यासीन का तर्जुमा पढ़ने से हमें इसकी गहराई समझ में आती है। यह हमें अपने जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
सुरह यासीन का तफसीर:
तफसीर के माध्यम से हम इस सुरह के हर आयत की व्याख्या समझ सकते हैं। यह हमें इस्लामी शिक्षाओं के प्रति जागरूक बनाती है।
सुरह यासीन surah yaseen in hindi translation की तफ्सीर (व्याख्या) को विस्तार से समझना एक महत्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि यह कुरआन का दिल माना जाता है और इसमें कई गहन धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश निहित हैं। यहां सुरह यासीन की तफ्सीर का एक सारांश प्रस्तुत है:
सुरह यासीन की तफ्सीर: surah yaseen online
आयत 1-12: कुरआन का महत्व और चेतावनी
सुरह यासीन की प्रारंभिक आयतें कुरआन की महानता को दर्शाती हैं और उन लोगों के लिए चेतावनी हैं जो इसे अस्वीकार करते हैं। इसमें कुरआन को एक ईश्वरीय पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसे अल्लाह ने अपने पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के माध्यम से भेजा है। यह उन लोगों के लिए चेतावनी भी है जो इसे नकारते हैं और आख़िरत पर विश्वास नहीं करते।
surah yaseen online reading सुरह यासीन की आयत 1-12 का तफ्सीर (व्याख्या) करने से पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह सुरह मक्का में नाज़िल हुई थी और इसमें कुल 83 आयतें हैं। यहाँ आयत 1-12 की तफ्सीर प्रस्तुत है:
सूरह यासीन, आयत 36:1-12 का तफ़सीर “surah yaseen in hindi Tafseer”
आयत 1:
يسٓ
हिंदी में तर्जुमा:
“या-सीन(1)”
तफ़सीर:
“यासीन” उन मुकर्रर हरूफ में से है जो क़ुरआन में विभिन्न जगहों पर आते हैं। इनके असली अर्थ को केवल अल्लाह ही जानता है। यह हरूफ मुक़त्ता’अत हैं, जो इस्लामी विद्वानों के अनुसार, क़ुरआन की महानता और इसकी विशेषता को प्रकट करते हैं।
आयत 2:
हिंदी में तर्जुमा:
“कसम है हिकमत भरे कुरआन की।”
तफ़सीर:
अल्लाह क़ुरआन की हिकमत और बुद्धिमानी की कसम खाता है। क़ुरआन एक मार्गदर्शक और बुद्धिमान पुस्तक है जो जीवन के हर पहलू के लिए निर्देश प्रदान करती है।
आयत 3:
हिंदी में तर्जुमा:
कि तुम यक़ीनन रसूलों में से हो,(2)
तफ़सीर:
यह आयत नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की नुबूवत की पुष्टि करती है कि वे अल्लाह के द्वारा भेजे गए रसूलों में से एक हैं।
आयत 4:
हिंदी में तर्जुमा:
सीधे रास्ते पर हो,
तफ़सीर:
नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को सीधे और सच्चे रास्ते पर चलने वाला बताया गया है। यह मार्गदर्शन का रास्ता है, जो अल्लाह के आदेशों के अनुसार है।
आयत 5:
हिंदी में तर्जुमा:
(और ये क़ुरआन) ग़ालिब और रहम करनेवाली हस्ती का उतारा हुआ है(3)
तफ़सीर:
क़ुरआन अल्लाह का नाज़िल किया हुआ वचन है, जो अजीज (महान) और रहीम (दयालु) है। यह अल्लाह की शक्ति और दया को प्रकट करता है।
आयत 6:
हिंदी में तर्जुमा:
बिलकुल, यहाँ एक 100% यूनिक वर्शन है:
“ताकि तुम एक ऐसी क़ौम को चेतावनी दे सको जिनके पूर्वजों को पहले से चेतावनी नहीं दी गई थी, और इस कारण से वे अज्ञानता में थे।”
तफ़सीर:
नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को उन लोगों को चेतावनी देने के लिए भेजा गया है जिनके पूर्वजों को कोई नबी नहीं भेजा गया था, और इसलिए वे अज्ञानता में जी रहे हैं।
आयत 7:
हिंदी में तर्जुमा:
“इनमें से अधिकांश लोग पहले ही सज़ा के योग्य हो चुके हैं, इसलिए वे ईमान नहीं लाते।”
तफ़सीर:
इस आयत में बताया गया है कि अधिकतर लोग अल्लाह की चेतावनी के बावजूद ईमान नहीं लाएंगे क्योंकि उन पर अजाब का हुक्म साबित हो चुका है। यह उनके हृदय की कठोरता और सत्य को स्वीकार न करने का परिणाम है।
आयत 8:
हिंदी में तर्जुमा:
हमने उनकी गर्दनों में तौक़ (पट्टे) डाल दिये हैं, जिनसे वो ठुड्डियों तक जकड़े गए हैं, इसलिये वो सर उठाए खड़े हैं।
तफ़सीर:
इस आयत में उन लोगों की हालत का वर्णन है जो सत्य को नहीं मानते। उनके गले में बेड़ियाँ डाल दी गई हैं, जिससे उनके सिर ऊपर उठे हुए हैं और वे सत्य को नहीं देख सकते। यह उनकी मानसिक और आत्मिक अवरोध का प्रतीक है।
आयत 9:
हिंदी में तर्जुमा:
हमने एक दीवार उनके आगे खड़ी कर दी है और एक दीवार उनके पीछे। हमने उन्हें ढाँक दिया है, उन्हें अब कुछ नहीं सूझता।
तफ़सीर:
अल्लाह ने उन लोगों के आगे और पीछे दीवारें खड़ी कर दी हैं और उनकी आंखों पर पर्दा डाल दिया है, जिससे वे सत्य को नहीं देख सकते। यह उनकी अज्ञानता और सत्य से उनकी दूरी का प्रतीक है।
आयत 10:
हिंदी में तर्जुमा:
उनके लिए यकसाँ है, चाहे आप उन्हें आगाह करें या न करें, वे ईमान नहीं लाएँगे।
तफ़सीर:
उन लोगों की हालत इतनी खराब है कि चाहे नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उन्हें चेतावनी दें या न दें, वे ईमान नहीं लाएँगे। उनकी हृदय की कठोरता और सत्य को अस्वीकार करने की प्रवृत्ति उन्हें ईमान लाने से रोकती है।
आयत 11:
हिंदी में तर्जुमा:
तुम तो उसी शख़्स को ख़बरदार कर सकते हो जो नसीहत की पैरवी करे और बेदेखे रहमान ख़ुदा से डरे। उसे माफ़ी और बाइज़्ज़त बदले की ख़ुशख़बरी दे दो।
तफ़सीर:
इस आयत में बताया गया है कि नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) केवल उन्हीं को चेतावनी देते हैं जो क़ुरआन का अनुसरण करते हैं और अल्लाह से बिना देखे डरते हैं। ऐसे लोगों के लिए क्षमा और सम्मानजनक इनाम की शुभ सूचना दी गई है।
आयत 12:
हिंदी में तर्जुमा:
हम यक़ीनन एक दिन मुर्दों को ज़िंदा करनेवाले हैं। जो कुछ काम उन्होंने किये हैं, वो सब हम लिखते जा रहे हैं, और जो कुछ निशान उन्होंने पीछे छोड़े है, वो भी हम लिख रहे हैं।(9) हर चीज़ को हमने एक खुली किताब में लिख रखा है।
तफ़सीर:
अल्लाह अपनी शक्ति का वर्णन करता है कि वह मृतकों को जीवित करता है और लोगों के कर्मों और उनके पदचिह्नों को लिखता है। हर चीज का हिसाब अल्लाह के पास स्पष्ट किताब (लोहे महफूज़) में सुरक्षित है। यह उसकी सर्वज्ञता और न्याय का प्रमाण है।
आयत 13-32: पिछले क़ौमों का उदाहरण
इस भाग में, एक नगर के निवासियों का उल्लेख किया गया है जिन्होंने अल्लाह के रसूलों को अस्वीकार कर दिया था। उनकी अनदेखी और विद्रोह के परिणामस्वरूप, उन पर ईश्वरीय दंड आया। यह कहानी एक उदाहरण के रूप में दी गई है ताकि लोग उन गलतियों से सबक लें और ईश्वर के मार्गदर्शन को स्वीकार करें।
सुरह यासीन की आयत 13-32 में एक विशेष घटना का वर्णन है, जिसमें एक नगर के निवासियों को अल्लाह के संदेशवाहकों द्वारा चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने उन्हें अस्वीकार कर दिया। यहां आयतों का तफ्सीर प्रस्तुत है:
सूरह यासीन, आयत 36:13-32 का तफ़सीर
आयत 13:
हिंदी में तर्जुमा:
इन्हें मिसाल के तौर पर उस बस्तीवालों का क़िस्सा सुनाओ जबकि उसमें रसूल आए थे।
तफ़सीर:
अल्लाह नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को आदेश देता है कि वे लोगों को एक नगर के निवासियों का उदाहरण दें, जहां अल्लाह के रसूल भेजे गए थे। यह उदाहरण लोगों को शिक्षित करने और चेतावनी देने के लिए है।
आयत 14:
हिंदी में तर्जुमा:
“जब हमने उनके पास दो पैग़म्बर भेजे, तो उन्होंने उन्हें नकार दिया। फिर हमने तीसरे को भेजकर उनकी ताईद की। उन्होंने कहा, ‘हम तुम्हारे पास भेजे गए रसूल हैं।'”
तफ़सीर:
अल्लाह ने इस नगर में पहले दो रसूल भेजे, लेकिन लोगों ने उन्हें झुठला दिया। फिर अल्लाह ने तीसरे रसूल को भेजा, और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे अल्लाह के द्वारा भेजे गए रसूल हैं।
आयत 15:
हिंदी में तर्जुमा:
उन्होंने कहा, ‘तुम तो सिर्फ हमारी तरह इंसान हो, और रहमान ने कुछ भी नहीं भेजा। तुम बस झूठ बोल रहे हो।
तफ़सीर:
नगरवासियों ने रसूलों को यह कहते हुए झुठला दिया कि वे केवल आम मनुष्य हैं और रहमान ने उन पर कोई वाही (प्रकाशना) नहीं उतारी। उन्होंने उन्हें झूठा करार दिया।
आयत 16:
हिंदी में तर्जुमा:
उन्होंने कहा, ‘हमारा मालिक गवाह है कि हम तुम्हारे पास मब’उस किए गए रसूल हैं।
तफ़सीर:
रसूलों ने जवाब दिया कि उनका रब जानता है कि वे वास्तव में अल्लाह के द्वारा भेजे गए रसूल हैं, और उन्होंने अपनी सत्यता की पुष्टि की।
आयत 17:
हिंदी में तर्जुमा:
“और हमारे ऊपर तो केवल स्पष्ट रूप से संदेश पहुँचाना है।”
तफ़सीर:
रसूलों ने स्पष्ट किया कि उनका काम केवल स्पष्ट रूप से अल्लाह का संदेश पहुँचाना है, और वे इसे पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ कर रहे हैं।
आयत 18:
हिंदी में तर्जुमा:
उन्होंने कहा, “हम तुम्हें अपने लिए अपशकुन मानते हैं। अगर तुम अपनी बातों से बाज़ नहीं आए, तो हम तुम्हें पत्थर मारकर सख्त सज़ा देंगे।”
तफ़सीर:
नगरवासियों ने रसूलों को अपशकुन मानते हुए धमकी दी कि यदि वे अपने संदेश को पहुँचाना बंद नहीं करेंगे, तो उन्हें पत्थरवाह किया जाएगा और उन्हें दर्दनाक यातना दी जाएगी।
आयत 19:
हिंदी में तर्जुमा:
उन्होंने कहा, “तुम्हारी परेशानी का कारण खुद तुम हो। क्या ये सिर्फ इसलिए है कि तुम्हें सचेत किया गया है? नहीं, बल्कि तुम लोग नाफरमान हो।
तफ़सीर:
रसूलों ने जवाब दिया कि उनका अपशकुन स्वयं उनके कर्मों के कारण है। चेतावनी देने से वे अपशकुन नहीं हो सकते। उन्होंने नगरवासियों को अपशिष्टकारी (ज्यादती करने वाले) बताया।
आयत 20:
हिंदी में तर्जुमा:
और शहर के एक दूरदराज इलाके से एक आदमी दौड़ते हुए आया। उसने कहा, ‘ओ मेरी क़ौम, पैग़म्बरों का अनुसरण करो।
तफ़सीर:
इस आयत में बताया गया है कि नगर के दूर के हिस्से से एक आदमी दौड़ता हुआ आया और उसने अपने लोगों को रसूलों का अनुसरण करने का सुझाव दिया।
आयत 21:
हिंदी में तर्जुमा:
“उनकी इत्तेबाअ करो जो तुमसे कुछ भी नहीं चाहते और वे सच्चे रास्ते पर हैं।”
तफ़सीर:
उस आदमी ने लोगों से कहा कि वे उन रसूलों का अनुसरण करें जो उनसे कोई बदला या इनाम नहीं मांगते और जो सीधे मार्ग पर हैं।
आयत 22:
हिंदी में तर्जुमा:
“मुझे क्या है कि मैं उसकी इबादत न करूं जिसने मुझे पैदा किया और जिसकी ओर तुम लौटाए जाओगे।”
तफ़सीर:
उस आदमी ने बताया कि उसके लिए यह क्यों उचित नहीं है कि वह उस अल्लाह की इबादत न करे जिसने उसे पैदा किया और जिसकी ओर सबको लौटना है।
आयत 23:
हिंदी में तर्जुमा:
“क्या मैं उसके सिवा दूसरे पूज्य बनाऊं? अगर रहमान मुझे कोई नुकसान पहुंचाना चाहे, तो उनकी सिफारिश मुझे कोई लाभ नहीं दे सकती और न ही वे मुझे बचा सकते हैं।”
तफ़सीर:
उस आदमी ने यह भी बताया कि अगर वह अल्लाह के अलावा अन्य पूज्यों को अपनाए और अल्लाह उसे कोई नुकसान पहुंचाना चाहे, तो वे पूज्य उसे बचा नहीं सकते। उनकी सिफारिश बेकार है।
आयत 24:
हिंदी में तर्जुमा:
“तब तो मैं खुली गुमराही में पड़ जाऊंगा।”
तफ़सीर:
उस आदमी ने स्पष्ट किया कि अगर वह अल्लाह के अलावा अन्य पूज्यों की इबादत करे, तो वह स्पष्ट गुमराही में होगा।
आयत 25:
हिंदी में तर्जुमा:
“मैं पूरी सच्चाई के साथ तुम्हारे रब पर विश्वास करता हूं, इसलिए मेरी बात पर गौर करो।”
तफ़सीर:
उस आदमी ने लोगों को बताया कि उसने अल्लाह पर ईमान लाया है और उनसे उसकी बात सुनने की अपील की।
आयत 26:
हिंदी में तर्जुमा:
उसे कहा गया, “जन्नत में दाखिल हो जाओ।” उसने जवाब दिया, ‘काश! मेरी क़ौम को भी यह पता चल जाता।
जाति जानती।'”
तफ़सीर:
जब उस आदमी की मृत्यु हो गई, तो उसे कहा गया कि वह जन्नत में प्रवेश करे। उसने इच्छा जाहिर की कि काश उसकी जाति भी जानती कि उसे जन्नत में प्रवेश मिला है।
आयत 27:
हिंदी में तर्जुमा:
कि मेरे पालनहार ने मुझे क्षमा कर दिया और मुझे सम्मानित लोगों में शामिल कर दिया।
तफ़सीर:
उस आदमी ने यह भी इच्छा जाहिर की कि काश उसकी जाति जानती कि उसके रब ने उसे क्षमा कर दिया है और उसे सम्मानित लोगों में शामिल किया है।
आयत 28:
हिंदी में तर्जुमा:
तथा हमने उसके पश्चात् उसकी जाति पर आकाश से कोई सेना नहीं उतारी और न हम उतारने वाले थे।
तफ़सीर:
अल्लाह ने बताया कि उस आदमी की मृत्यु के बाद उसकी जाति पर आसमान से कोई सेना नहीं भेजी गई। अल्लाह को इसकी आवश्यकता नहीं थी।
आयत 29:
हिंदी में तर्जुमा:
“बस एक ही जोर की आवाज हुई, और वे सब के सब बुझ गए।”
तफ़सीर:
अल्लाह ने उनकी जाति को बस एक जोर की आवाज से नष्ट कर दिया, और वे सभी खत्म हो गए।
आयत 30:
हिंदी में तर्जुमा:
“हाय अफसोस, इन बंदों पर! जब भी उनके पास कोई रसूल आता है, वे उसका मजाक उड़ाते हैं।”
तफ़सीर:
इस आयत में अल्लाह अफसोस जताता है कि जब भी उसने अपने बंदों के पास कोई रसूल भेजा, तो उन्होंने उसका मजाक उड़ाया और उसकी बातों को नहीं माना।
आयत 31:
हिंदी में तर्जुमा:
“क्या उन्होंने यह नहीं देखा कि हमने उनसे पहले कई जातियों को तबाह कर दिया है, और वे कभी लौटकर नहीं आएँगी?”
तफ़सीर:
अल्लाह लोगों को चेतावनी देता है कि उन्होंने नहीं देखा कि उसने उनसे पहले कितनी जातियों को उनके कुकर्मों के कारण नष्ट कर दिया। वे जातियाँ अब वापस नहीं आतीं।
आयत 32:
हिंदी में तर्जुमा:
आखिरकार, हर किसी को हमारे सामने हाज़िर किया जाएगा।
तफ़सीर:
अल्लाह बताता है कि अंततः सभी लोग उसकी अदालत में हाज़िर होंगे। यह न्याय के दिन का उल्लेख है, जब सबका हिसाब होगा।
आयत 33-50: अल्लाह की शक्ति और एकेश्वरवाद
इस खंड में, प्रकृति के विभिन्न पहलुओं और अल्लाह की महानता पर ध्यान आकर्षित किया गया है। इसमें जमीन, पानी, पेड़-पौधे, दिन और रात का उल्लेख करके यह बताया गया है कि ये सभी चीजें अल्लाह की शक्ति और एकेश्वरवाद की निशानियां हैं। यह लोगों को ईश्वर की महानता को पहचानने और उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने की ओर प्रेरित करता है।
सूरह यासीन, आयत 36:33-50 का तफ़सीर
आयत 33:
हिंदी में तर्जुमा:
“और उनके लिए एक निशानी मरी हुई ज़मीन है, जिसे हमने ज़िंदा किया और उसमें से अनाज निकाला, जिससे वे खाते हैं।”
तफ़सीर:
यह आयत अल्लाह की कुदरत का बयान करती है। इसमें बताया गया है कि कैसे अल्लाह तआला मरी हुई ज़मीन को ज़िंदा करता है और उससे अनाज पैदा करता है, जिससे इंसान अपनी ज़रूरतें पूरी करते हैं। यह अल्लाह की शक्ति और एकेश्वरवाद की निशानी है, कि वह किस तरह निर्जीव चीजों में भी जान डाल सकता है।
आयत 34:
हिंदी में तर्जुमा:
हमने उसमें खजूरों और अंगूरों के बहुत से बाग लगाए और उन बागों में कई जलधाराएँ बहा दीं।
तफ़सीर:
इस आयत में अल्लाह की कृपा का जिक्र है, कि उसने ज़मीन पर खजूर और अंगूर के बाग़ बनाए, जो इंसान के लिए फल प्रदान करते हैं। साथ ही, उसने ज़मीन में से पानी के चश्मे बहाए, जो सिंचाई के लिए आवश्यक हैं। यह सब अल्लाह की मेहरबानी और उसके द्वारा प्रदत्त जीवन के साधन हैं।
आयत 35:
हिंदी में तर्जुमा:
ताकि वे उसके फल का आनंद लें, जबकि इसे उनके हाथों ने नहीं बनाया। तो क्या वे कृतज्ञता नहीं दिखाते?
तफ़सीर:
अल्लाह तआला ने यह सब इंसान के भरण-पोषण के लिए किया है। इस आयत में इंसान को उसकी मेहनत के फल की याद दिलाई गई है और उनसे पूछा गया है कि क्या वे अल्लाह का शुक्र नहीं अदा करेंगे? यह इंसान को उसकी कर्तव्यबोध की तरफ इशारा करता है।
आयत 36:
हिंदी में तर्जुमा:
“पाक है वह, जिसने सब प्रकार के जोड़े बनाए, जो ज़मीन उगाती है और खुद उनमें से और वे जिनको वे नहीं जानते।”
तफ़सीर:
इस आयत में अल्लाह की पवित्रता का बयान है, जिसने हर चीज़ के जोड़े बनाए हैं, चाहे वह ज़मीन से उगाई जाने वाली चीज़ें हों या खुद इंसान हों। यह अल्लाह की व्यापक शक्ति का प्रतीक है कि वह हर चीज़ का सृजनकर्ता है, और उसकी जानकारी हर चीज़ पर है।
आयत 37:
हिंदी में तर्जुमा:
तथा एक निशानी उनके लिए रात है। जिससे हम दिन को खींच लेते हैं, तो एकाएक वे अंधेरे में हो जाते हैं।
तफ़सीर:
यह आयत रात और दिन के परिवर्तन को अल्लाह की निशानी बताती है। रात और दिन का यह क्रमबद्ध परिवर्तन अल्लाह की शक्ति और उसकी योजना का हिस्सा है। इंसान के जीवन में यह बदलाव उनकी गतिविधियों और आराम के लिए आवश्यक है।
आयत 38:
हिंदी में तर्जुमा:
तथा सूर्य अपने नियत ठिकाने की ओर चला जा रहा है। यह प्रभुत्वशाली, सब कुछ जानने वाले (अल्लाह) का निर्धारित किया हुआ है।
तफ़सीर:
इस आयत में सूरज के चलने का जिक्र है, जो एक निश्चित मार्ग पर चलता है। यह अल्लाह की शक्ति और उसकी महानता का प्रमाण है कि उसने हर चीज़ को एक निश्चित समय और मार्ग दिया है। सूरज का यह मार्ग भी अल्लाह की योजना और उसकी जानकारी का हिस्सा है।
आयत 39:
हिंदी में तर्जुमा:
तथा चाँद की हमने मंज़िलें निर्धारित कर दी हैं। यहाँ तक कि वह फिर खजूर की पुरानी सूखी टेढ़ी टहनी के समान हो जाता है।
तफ़सीर:
इस आयत में चाँद के विभिन्न चरणों का जिक्र है, जो एक नए चाँद से शुरू होकर बढ़ता है और फिर धीरे-धीरे घटता है, यहां तक कि वह पुरानी खजूर की शाखा की तरह पतला हो जाता है। यह अल्लाह की निशानी है, जो समय और उसके चक्र को नियंत्रित करता है।
आयत 40:
हिंदी में तर्जुमा:
“न तो सूर्य को यह शोभा देता है कि वह चाँद को पकड़ ले और न रात दिन से पहले आ सकती है। और सब अपने-अपने कक्ष में तैर रहे हैं।”
तफ़सीर:
यह आयत बताती है कि सूर्य और चाँद दोनों अपने-अपने मार्ग पर चलते हैं और किसी का रास्ता दूसरे से नहीं टकराता। रात और दिन भी अपने निर्धारित समय पर आते हैं। यह सब अल्लाह के बनाए हुए कानून और उसकी योजना का हिस्सा है।
आयत 41:
हिंदी में तर्जुमा:
तथा उनके लिए एक निशानी (यह भी) है कि हमने उनकी नस्ल को भरी हुई नाव में सवार किया।
तफ़सीर:
इस आयत में नूह (अलैहिस्सलाम) के समय की याद दिलाई गई है, जब अल्लाह ने अपनी कुदरत से लोगों को नाव में बचाया। यह नाव भरकर चलने और लोगों को सुरक्षित पार कराने की घटना अल्लाह की शक्ति और उसकी दया की निशानी है।
आयत 42:
हिंदी में तर्जुमा:
“और हमने उनके लिए उसी जैसी और चीज़ें बनाई हैं, जिन पर वे सवार होते हैं।”
तफ़सीर:
इस आयत में उन साधनों का जिक्र है, जिन्हें अल्लाह ने इंसान के सफर और यातायात के लिए बनाया है। यह अल्लाह की दया और उसकी योजना का हिस्सा है कि उसने इंसान के लिए विभिन्न सवारी के साधन उपलब्ध कराए हैं।
आयत 43:
हिंदी में तर्जुमा:
और अगर हम चाहें, तो उन्हें डूबो दें, फिर न कोई उनकी आवाज़ सुने और न ही वे बच सकें।”
तफ़सीर:
इस आयत में अल्लाह की शक्ति और उसकी इच्छा का जिक्र है कि अगर वह चाहे तो इंसान को पानी में डुबो सकता है और कोई भी उन्हें बचा नहीं सकता। यह इंसान को उसकी निर्भरता और अल्लाह की महानता का एहसास दिलाता है।
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आयत 44:
हिंदी में तर्जुमा:
लेकिन हमारी रहमत से और एक निश्चित समय तक के लिए उन्हें लाभ उठाने दिया जाता है।
तफ़सीर:
इस आयत में अल्लाह की रहमत का जिक्र है कि उसकी दया के कारण ही इंसान सुरक्षित रहते हैं और एक निश्चित समय तक जीवन का लाभ उठाते हैं। यह अल्लाह की कृपा और दया का प्रमाण है।
आयत 45:
हिंदी में तर्जुमा:
“और जब उनसे कहा जाता है कि अपने आगे और पीछे के (अज़ाब) से डरो, ताकि तुम पर रहम किया जाए।”
तफ़सीर:
इस आयत में इंसानों को सचेत किया गया है कि वे अपने कार्यों और अंजाम से डरें और सुधारें, ताकि अल्लाह की रहमत उन पर हो। यह एक चेतावनी है कि अपनी गलतियों से बचें और तौबा करें।
आयत 46:
हिंदी में तर्जुमा:
“जब भी उनके रब की कोई निशानी आती है, वे उससे अनदेखा कर देते हैं।”
तफ़सीर:
इस आयत में उन लोगों की निंदा की गई है जो अल्लाह की निशानियों को देखकर भी उसे नकारते हैं और उससे मुँह मोड़ लेते हैं। यह उनकी हठधर्मिता और अल्लाह की आज्ञाओं से विमुखता का प्रमाण है।
आयत 47:
हिंदी में तर्जुमा:
“और जब उनसे कहा जाता है कि अल्लाह ने जो तुम्हें दिया है उसमें से खर्च करो, तो जो लोग इनकार करते हैं, वे ईमान लाने वालों से कहते हैं, ‘क्या हम उन्हें खिलाएँ जिन्हें अल्लाह चाहता तो खुद खिला देता? तुम केवल स्पष्ट गुमराही में हो।'”
तफ़सीर:
इस आयत में काफिरों की सोच और उनके तर्क का जिक्र है। जब उनसे अल्लाह की दी हुई नेमतों में से गरीबों और ज़रूरतमंदों पर खर्च करने को कहा जाता है, तो वे यह कहकर इंकार करते हैं कि अगर अल्लाह चाहता तो खुद उन्हें खिला देता। यह उनका कुप्रचार और अल्लाह के आदेशों की अवहेलना का प्रमाण है।
आयत 48:
हिंदी में तर्जुमा:
और वे पूछते हैं, ‘अगर तुम सच कह रहे हो, तो यह वादा कब पूरा होगा?’
तफ़सीर:
इस आयत में उन लोगों की चुनौती का जिक्र है जो क़ियामत के दिन और अल्लाह की सजा का मजाक उड़ाते हैं। वे यह पूछते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो बताओ कि यह वादा कब पूरा होगा? यह उनकी हठधर्मिता और अल्लाह के संदेशों को न मानने का संकेत है।
आयत 49:
हिंदी में तर्जुमा:
“वे केवल एक ही चीख का इंतज़ार कर रहे हैं, जो उन्हें पकड़ लेगी जबकि वे झगड़ा कर रहे होंगे।”
तफ़सीर:
इस आयत में बताया गया है कि क़ियामत का दिन अचानक और अप्रत्याशित रूप से आएगा। एक जोरदार आवाज उन्हें घेर लेगी जब वे अपने झगड़ों में लगे होंगे। यह उनकी गफलत और अल्लाह के आदेशों की अवहेलना का नतीजा होगा।
आयत 50:
हिंदी में तर्जुमा:
“तो न वे कोई वसीयत कर सकेंगे और न अपने घरवालों के पास लौट सकेंगे।”
तफ़सीर:
इस आयत में क़ियामत के दिन की भयावहता का जिक्र है। जब वह दिन आएगा, तो लोगों के पास कोई समय नहीं होगा कि वे कोई वसीयत कर सकें या अपने परिवार के पास लौट सकें। यह उनकी अचानक आने वाली सजा और उनकी गफलत का परिणाम होगा।
निष्कर्ष
सूरह यासीन की आयत 33-50 में अल्लाह की कुदरत, एकेश्वरवाद, और इंसान की जिम्मेदारियों का बयान है। ये आयतें अल्लाह की शक्ति और उसकी योजनाओं का प्रमाण हैं, जो इंसान को उसकी निर्भरता और कर्तव्यों का एहसास दिलाती हैं।
आयत 51-68: पुनरुत्थान और न्याय दिवस
यहाँ पुनरुत्थान और न्याय दिवस का वर्णन है, जब सभी लोग अल्लाह के सामने अपने कर्मों का हिसाब देने के लिए उपस्थित होंगे। इसमें उन लोगों की स्थिति का वर्णन किया गया है जो अल्लाह के मार्ग पर चलते हैं और उन लोगों की स्थिति का जो इसे अस्वीकार करते हैं। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सभी को उनके कर्मों का परिणाम भुगतना पड़ेगा।
सूरह यासीन, आयत 36:51-68 का तफ़सीर
आयत 51:
हिंदी में तर्जुमा:
“और जब सूर (फूँक) में फूँका जाएगा, तो वे अचानक अपनी कब्रों से निकलकर अपने रब की ओर दौड़ पड़ेंगे।”
तफ़सीर:
इस आयत में क़ियामत के दिन का जिक्र है, जब दूसरी बार सूर में फूँका जाएगा। इस फूँक के साथ ही सभी मरे हुए लोग अपनी कब्रों से उठ खड़े होंगे और अपने रब के सामने हाज़िर होने के लिए तेजी से चल पड़ेंगे। यह पुनरुत्थान का समय होगा, जब सभी को उनके कर्मों का हिसाब देने के लिए बुलाया जाएगा।
आयत 52:
हिंदी में तर्जुमा:
“वे कहेंगे, ‘हाय हमारी बर्बादी! हमें हमारी कब्रों से किसने उठाया?’ यह वही है जिसका वादा रहमान ने किया था और रसूलों ने सच्च कहा था।”
तफ़सीर:
जब लोग अपनी कब्रों से उठेंगे तो आश्चर्य और भय में कहेंगे, “हाय हमारी बर्बादी! हमें हमारी कब्रों से किसने उठाया?” तब उन्हें एहसास होगा कि यह वही दिन है जिसका वादा अल्लाह ने अपने रसूलों के माध्यम से किया था। रसूलों की बात सच साबित होगी।
आयत 53:
हिंदी में तर्जुमा:
“वह तो बस एक ही चीख होगी और वे सब के सब हमारे सामने उपस्थित कर दिए जाएँगे।”
तफ़सीर:
इस आयत में बताया गया है कि पुनरुत्थान का समय बहुत तेज़ी से आएगा। एक जोरदार चीख के साथ ही सभी मरे हुए लोग तुरंत अल्लाह के सामने हाज़िर हो जाएंगे। यह अल्लाह की शक्ति और उसकी योजना का हिस्सा है।
आयत 54:
हिंदी में तर्जुमा:
“आज किसी पर अत्याचार नहीं होगा, और तुम्हें वही मिलेगा जो तुमने किया है।”
तफ़सीर:
क़ियामत के दिन किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। हर व्यक्ति को उसके कर्मों का सही-सही हिसाब दिया जाएगा। जो अच्छा किया है, उसे अच्छा मिलेगा और जो बुरा किया है, उसे उसकी सजा मिलेगी। यह न्याय का दिन होगा।
आयत 55:
हिंदी में तर्जुमा:
“निश्चित रूप से आज जन्नत वाले आनंद और मस्ती में मशगूल होंगे।”
तफ़सीर:
यह आयत जन्नत वालों की स्थिति का वर्णन करती है। वे लोग जिन्होंने दुनिया में अच्छे कर्म किए होंगे, वे जन्नत में होंगे और विभिन्न प्रकार के आनंद और सुख में व्यस्त होंगे। यह उनके अच्छे कर्मों का प्रतिफल होगा।
आयत 56:
हिंदी में तर्जुमा:
“वे और उनकी पत्नियाँ छायाओं में तख्तों पर लेटे हुए होंगे।”
तफ़सीर:
जन्नत में न केवल मर्द बल्कि उनकी पत्नियाँ भी उनके साथ होंगी। वे सभी जन्नत की छायादार जगहों में आराम से तख्तों पर लेटे हुए होंगे। यह उनका सुख और आराम का स्थान होगा, जहाँ उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
आयत 57:
हिंदी में तर्जुमा:
“उनके लिए वहाँ फल होंगे और जो कुछ वे चाहेंगे, उनके लिए होगा।”
तफ़सीर:
जन्नत में उन्हें हर प्रकार का फल मिलेगा और वे जो कुछ भी चाहेंगे, वह उन्हें मिल जाएगा। यह अल्लाह की नेमतों और कृपा का प्रमाण है, जो उसने अपने नेक बंदों के लिए जन्नत में तैयार किया है।
आयत 58:
हिंदी में तर्जुमा:
“उनके लिए रहमान रब की ओर से सलाम होगा।”
तफ़सीर:
यह आयत बताती है कि जन्नत में प्रवेश करने वाले लोगों को अल्लाह की ओर से सलाम मिलेगा। यह सलाम उनकी शांति, संतोष और अल्लाह की विशेष कृपा का प्रतीक होगा।
आयत 59:
हिंदी में तर्जुमा:
“और (कहा जाएगा) ‘आज ऐ अपराधियों, अलग हो जाओ।'”
तफ़सीर:
इस आयत में अपराधियों को चेतावनी दी गई है कि क़ियामत के दिन उन्हें अलग कर दिया जाएगा। यह उनकी सजा का समय होगा, जब उन्हें उनके बुरे कर्मों का हिसाब देना होगा।
आयत 60:
हिंदी में तर्जुमा:
“क्या मैंने तुमसे, ऐ आदम की संतान, यह वादा नहीं लिया था कि शैतान की बंदगी न करना, वह तुम्हारा खुला दुश्मन है।”
तफ़सीर:
अल्लाह इंसानों को याद दिलाता है कि उसने उनसे यह वादा लिया था कि वे शैतान की पूजा न करें, क्योंकि शैतान उनका स्पष्ट दुश्मन है। यह इंसानों को उनकी ज़िम्मेदारी और वफादारी की याद दिलाता है।
आयत 61:
हिंदी में तर्जुमा:
“और मेरी इबादत करना, यही सही मार्ग है।”
तफ़सीर:
अल्लाह ने इंसानों से यह भी वादा लिया था कि वे केवल उसकी पूजा करें, क्योंकि यही सही और सीधा रास्ता है। यह इंसानों को उनकी मूल ज़िम्मेदारी की ओर ध्यान दिलाता है कि वे अल्लाह की पूजा करें और उसके आदेशों का पालन करें।
आयत 62:
हिंदी में तर्जुमा:
“और उसने तुममें से कई समूहों को भटका दिया। क्या तुम समझे नहीं?”
तफ़सीर:
यह आयत शैतान की गुमराही की ताकत का जिक्र करती है, जिसने बहुत से इंसानों को गुमराह कर दिया। अल्लाह इंसानों को उनकी समझ और बुद्धि का इस्तेमाल करने की सलाह देता है, ताकि वे शैतान की चालों से बच सकें।
आयत 63:
हिंदी में तर्जुमा:
“यह वही अग्नि है जिसका तुम्हारे लिए संजीवनी वादा किया गया था।”
तफ़सीर:
अल्लाह अपराधियों को जहन्नम की याद दिलाता है कि यह वही सजा का स्थान है जिसका उनसे वादा किया गया था। यह उनके बुरे कर्मों का अंजाम है।
आयत 64:
हिंदी में तर्जुमा:
“आज उसमें प्रवेश करो, क्योंकि तुम इनकार करते थे।”
तफ़सीर:
अल्लाह अपराधियों को आदेश देता है कि वे जहन्नम में प्रवेश करें, क्योंकि उन्होंने दुनिया में अल्लाह और उसके रसूलों के आदेशों का इनकार किया था। यह उनकी सजा का समय है।
आयत 65:
हिंदी में तर्जुमा:
“आज हम उनके मुँह को बंद कर देंगे, और उनके हाथ खुद उनकी गवाही देंगे, जबकि उनके पाँव उनके किए गए कार्यों की सच्चाई उजागर करेंगे।”
तफ़सीर:
क़ियामत के दिन अल्लाह अपराधियों के मुँह पर मुहर लगा देगा और उनके हाथ और पाँव उनकी करनी का बयान करेंगे। यह उनकी सच्चाई और उनके कर्मों का साक्षात्कार होगा, जो वे दुनिया में करते थे।
आयत 66:
हिंदी में तर्जुमा:
“और अगर हम चाहते, तो उनकी आँखों को हटा देते, फिर वे रास्ते पर दौड़ते, तो कैसे देख पाते?”
तफ़सीर:
अल्लाह अपनी शक्ति का वर्णन करता है कि अगर वह चाहता, तो वह इंसानों की आँखों को मिटा सकता था और वे रास्ते नहीं देख पाते। यह उनकी निर्भरता और अल्लाह की शक्ति का एहसास दिलाता है।
आयत 67:
हिंदी में तर्जुमा:
“और अगर हम चाहें, तो उन्हें उनकी स्थिति से हटा देते, फिर न वे आगे बढ़ सकते और न ही वापस लौट सकते।”
तफ़सीर:
अल्लाह अपनी ताकत का बयान करता है कि अगर वह चाहता, तो वह इंसानों को उनकी जगह पर ही बदल सकता था, जिससे वे न आगे बढ़ सकते और न पीछे लौट सकते। यह उनकी निर्भरता और अल्लाह की महानता का सबूत है।
आयत 68:
हिंदी में तर्जुमा:
“और जिसे हम लंबा जीवन देते हैं, उसे हम रचनात्मकता में बदल देते हैं। क्या वे इस पर ध्यान नहीं देते?”
तफ़सीर:
यह आयत इंसानों की जीवन प्रक्रिया का वर्णन करती है कि जब अल्लाह किसी को लम्बी उम्र देता है, तो उसकी शारीरिक शक्तियाँ कम हो जाती हैं और वह कमजोर हो जाता है। अल्लाह इंसानों को यह समझाने की कोशिश करता है कि वे इस प्रक्रिया को समझें और अपनी ताकत और जीवन की सीमाओं को जानें।
आयत 69-83: पैगंबर का कार्य और ईश्वर की महिमा
सुरह के अंतिम भाग में, यह स्पष्ट किया गया है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का कार्य केवल संदेश पहुंचाना है और वे कवि या पागल नहीं हैं। अंत में, अल्लाह की महानता और उसकी अद्वितीयता का वर्णन किया गया है, जो समस्त सृष्टि का मालिक है।
सूरह यासीन, आयत 36:69-83 का तफ़सीर
आयत 69:
हिंदी में तर्जुमा:
“और हमने उसे काव्य की शिक्षा नहीं दी, और न ही यह इसके लिए सही है। यह केवल एक चेतावनी और स्पष्ट क़ुरआन है।”
तफ़सीर:
इस आयत में बताया गया है कि नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को शायरी नहीं सिखाई गई थी, और यह उनके लिए उचित भी नहीं था। क़ुरआन अल्लाह का स्पष्ट संदेश और अनुस्मरण है, जिसे नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपने अनुयायियों तक पहुँचाया।
आयत 70:
हिंदी में तर्जुमा:
“ताकि वह जीवित लोगों को चेतावनी दे सके और इनकार करने वालों पर यह सच्चाई स्थापित हो सके।”
तफ़सीर:
क़ुरआन का उद्देश्य उन लोगों को चेतावनी देना है जो आत्मिक रूप से जीवित हैं, अर्थात जिनके दिल और दिमाग सही दिशा में हैं। साथ ही, यह उन इनकार करने वालों पर अल्लाह की बात को साबित करने का भी माध्यम है, जो अल्लाह के आदेशों को नहीं मानते।
1. Ayatul Kursi Hindi Me: Fazilat aur Faide (आयतुल कुर्सी हिंदी में: फजीलत और फायदा)
आयत 71:
हिंदी में तर्जुमा:
“क्या उन्होंने यह नहीं देखा कि हमने अपनी सृष्टि से उनके लिए जानवर बनाए हैं, और वे उनके मालिक हैं?”
तफ़सीर:
इस आयत में अल्लाह अपनी शक्ति और कृपा का उल्लेख करता है कि उसने इंसानों के लिए जानवर बनाए हैं, जिनसे वे लाभ उठाते हैं और उनके मालिक बनते हैं। यह अल्लाह की नेमत और उसकी सृष्टि की प्रबंधन क्षमता का प्रमाण है।
आयत 72:
हिंदी में तर्जुमा:
“और हमने उन्हें उनके नियंत्रण में कर दिया, इसलिए कुछ जानवर उनकी सवारी के काम आते हैं और कुछ वे खाते हैं।”
तफ़सीर:
अल्लाह ने इन जानवरों को इंसानों के लिए वशीभूत कर दिया है ताकि वे उनकी सवारी कर सकें और उनका मांस खा सकें। यह अल्लाह की कृपा और उसकी सृष्टि की व्याख्या है, जिसमें इंसानों के लिए उपयोगी संसाधनों की व्यवस्था की गई है।
आयत 73:
हिंदी में तर्जुमा:
“और उनके लिए उनमें और भी बहुत सारे लाभ हैं, साथ ही वे पीने की चीजें भी प्राप्त करते हैं। फिर क्या वे आभार नहीं दिखाते?”
तफ़सीर:
इन जानवरों से इंसानों को कई अन्य लाभ भी मिलते हैं, जैसे कि दूध और अन्य पीने की चीजें। अल्लाह इस आयत के माध्यम से इंसानों को यह याद दिलाता है कि उन्हें इन नेमतों के लिए आभार मानना चाहिए।
आयत 74:
हिंदी में तर्जुमा:
“और उन्होंने अल्लाह को छोड़कर अन्य देवताओं को अपना लिया, ताकि वे उनकी मदद करें।”
तफ़सीर:
इस आयत में अल्लाह उन लोगों की निंदा करता है जो उसे छोड़कर दूसरे देवताओं की पूजा करते हैं, इस उम्मीद में कि वे उनकी मदद करेंगे। यह उनकी मूर्खता और भ्रम का संकेत है।
आयत 75:
हिंदी में तर्जुमा:
“वे उनकी मदद नहीं कर सकते, जबकि वे खुद एक फौज के रूप में पेश किए जाएंगे।”
तफ़सीर:
अल्लाह स्पष्ट करता है कि वे झूठे देवता उनकी मदद करने में असमर्थ हैं। इसके विपरीत, वे लोग जो इन देवताओं की पूजा करते हैं, खुद ही उनकी सहायता के लिए सेना के रूप में खड़े किए जाएँगे। यह उनके भ्रम और मूर्खता को दर्शाता है।
आयत 76:
हिंदी में तर्जुमा:
“तो उनके कहने से आपको दुःखी न होना चाहिए। निस्संदेह, हम जानते हैं जो वे छुपाते हैं और जो वे प्रकट करते हैं।”
तफ़सीर:
अल्लाह नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को सांत्वना देता है कि वे काफिरों के शब्दों से दुःखी न हों। अल्लाह जानता है जो वे अपने दिल में छुपाते हैं और जो वे खुलकर कहते हैं।
आयत 77:
हिंदी में तर्जुमा:
“क्या इंसान ने यह नहीं देखा कि हमने उसे एक छोटी सी बूँद से बनाया, फिर भी वह खुलकर झगड़ालू हो गया?”
तफ़सीर:
इस आयत में अल्लाह इंसान को उसकी उत्पत्ति की याद दिलाता है कि उसे एक तुच्छ बूँद (नुत्फा) से बनाया गया था। इसके बावजूद, वह अल्लाह के साथ बहस और झगड़ा करता है। यह इंसान की अहंकारिता और कृतघ्नता का संकेत है।
आयत 78:
हिंदी में तर्जुमा:
“और उसने हमारे लिए एक मिसाल दी और अपनी उत्पत्ति को भुला दिया। उसने पूछा, ‘जब ये हड्डियाँ सड़ चुकी होंगी, तो कौन इन्हें जीवित करेगा?'”
तफ़सीर:
काफिरों का अल्लाह की शक्ति पर सवाल उठाना और पुनरुत्थान को असंभव मानना बताया गया है। वे भूल जाते हैं कि अल्लाह ने उन्हें कैसे बनाया था और अब वे उसकी शक्ति पर सवाल उठाते हैं।
आयत 79:
हिंदी में तर्जुमा:
कह दो, ‘उन्हें वही ज़िन्दा करेगा जिसने उन्हें पहली बार बनाया था।’ और वह हर प्रकार की रचना का पूर्ण ज्ञान रखता है।'”
तफ़सीर:
अल्लाह नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को आदेश देता है कि वे काफिरों को जवाब दें कि जिसने उन्हें पहली बार बनाया था, वही उन्हें पुनर्जीवित करेगा। अल्लाह हर प्रकार की रचना का ज्ञान रखता है। “surah yaseen in hindi “
आयत 80:
हिंदी में तर्जुमा:
“जिसने तुम्हारे लिए हरे पेड़ से आग बनाई, जिससे तुम जलाते हो।”
तफ़सीर:
अल्लाह अपनी शक्ति और कृपा का उदाहरण देता है कि कैसे उसने हरे पेड़ों से आग पैदा की, जिसे इंसान
जलाकर उपयोग करते हैं। यह उसकी असीम शक्ति और रचनात्मकता का प्रमाण है।
आयत 81:
हिंदी में तर्जुमा:
“क्या जिसने आकाशों और पृथ्वी को सृजित किया है, वह उनके जैसे और नहीं बना सकता? हाँ, और वह सब कुछ बनाने वाला, सब कुछ जानने वाला है।”
तफ़सीर:
अल्लाह अपनी शक्ति का प्रमाण देता है कि जिसने आसमानों और जमीन को बनाया है, वह पुनर्जीवित करने में सक्षम है। अल्लाह की रचनात्मकता और ज्ञान का कोई मुकाबला नहीं है।
आयत 82:
हिंदी में तर्जुमा:
“उसका हुक्म इतना सीधा है कि जब वह किसी चीज़ की इच्छा करता है, तो बस ‘हो जा’ कहता है, और वह तुरंत हो जाती है।”
तफ़सीर:
अल्लाह की शक्ति का वर्णन करते हुए बताया गया है कि जब वह किसी चीज़ का इरादा करता है, तो बस ‘हो जा’ कहने से वह चीज़ हो जाती है। यह उसकी असीम शक्ति और इच्छा का प्रमाण है।
आयत 83:
हिंदी में तर्जुमा:
“तो महिमा है उस (अल्लाह) के लिए जिसके हाथ में हर चीज़ का राज्य है, और उसी की ओर तुम लौटाए जाओगे।”
तफ़सीर:
इस अंतिम आयत में अल्लाह की महिमा का बयान है कि सब कुछ उसके हाथ में है और अंततः सबको उसकी ओर लौटना है। यह अल्लाह की सर्वव्यापकता और अंतिम सत्य का प्रमाण है।“surah yaseen in hindi “
सुरह यासीन का सारांश:
“surah yaseen in hindi “ सुरह यासीन में ईश्वर की महानता, पुनरुत्थान, और न्याय दिवस का वर्णन किया गया है। इसमें पिछले क़ौमों के उदाहरण दिए गए हैं और चेतावनी दी गई है कि अल्लाह के मार्गदर्शन को न मानने वालों के लिए दंड निश्चित है। यह सुरह लोगों को ईश्वर की ओर लौटने, उसके आदेशों का पालन करने, और एकेश्वरवाद को मानने की प्रेरणा देती है।
- 40 Motivational Verses from the Quran:Motivational क़ुरानी आयतें & तफ़सीर
- मिट्टी देने की दुआ। Mitti Dene Ki Dua
- Dua E Qunoot Hindi Mein: अर्थ, महत्व और नमाज़ में पढ़ने का तरीका
सुरह यासीन को कैसे पढ़ें:
- नियत साफ रखें: इसे पढ़ते समय हमारी नियत साफ और शुद्ध होनी चाहिए।
- सुकून से बैठें: इसे आराम से और ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- समझकर पढ़ें: इसका अर्थ समझते हुए पढ़ें ताकि इसका सही प्रभाव हो।
निष्कर्ष:
“surah yaseen in hindi “ सुरह यासीन हमारे जीवन में अनेक सकारात्मक बदलाव ला सकती है। इसे पढ़ने और समझने से हमारी आत्मा को शांति और सुकून मिलता है। इसे अपने रोजमर्रा के जीवन में शामिल करना चाहिए।
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