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6 signs that you are on hidayat | 6 निशानियाँ कि आप हिदायत पर हैं

1. दिल का सुकून (Itmi’nan-e-Qalb)

क़ुरआन फरमाता है:
“Alaa bi zikrillahi tatma’innul quloob” (सूरह अर-रअद 13:28)
यानी “सुन लो! अल्लाह के ज़िक्र से ही दिलों को इत्मिनान मिलता है।”
अगर आपका दिल ज़िक्र-ए-इलाही से मुतमइन हो जाता है और दुनियावी परेशानी के बावजूद अंदरूनी सुकून महसूस होता है, तो यह हिदायत की निशानी है।

🎤 Speech: 6 निशानियाँ और दिल का सुकून

भाइयो और बहनो,
क़ुरआन हमें बताता है कि अल्लाह जिसको हिदायत देता है, उसकी ज़िन्दगी में कुछ अलामात यानी निशानियाँ साफ नज़र आती हैं। उनमें से सबसे बड़ी निशानी है – दिल का सुकून (Itmi’nan-e-Qalb)। 6 signs that you are on hidayat

आज इंसान हर तरफ़ भाग रहा है – कोई दौलत ढूंढ रहा है, कोई शोहरत, कोई आराम और सुख-सुविधाएँ। लेकिन एक सच्चाई है – इन सब चीज़ों के मिल जाने के बाद भी दिल खाली रहता है। अंदर बेचैनी रहती है। क्यों?
क्योंकि असली इत्मिनान, असली सुकून सिर्फ़ अल्लाह के ज़िक्र में है।

क़ुरआन फरमाता है:
“Alaa bi zikrillahi tatma’innul quloob” (सूरह अर-रअद 13:28)
“सुन लो! अल्लाह के ज़िक्र से ही दिलों को इत्मिनान मिलता है।”

सोचिए, वो शख़्स जो रात के सन्नाटे में सज्दे में गिरता है, अल्लाह को याद करता है, उसकी आँखों से आँसू बहते हैं और ज़बान से सिर्फ़ “या अल्लाह” निकलता है… उस पल का सुकून किसी दौलत, किसी शोहरत से नहीं खरीदा जा सकता।

भाइयो, अगर आप महसूस करते हैं कि अल्लाह का ज़िक्र करने से आपका दिल हल्का हो जाता है, नमाज़ में रूह को चैन मिलता है – तो यह अल्लाह की दी हुई हिदायत की सबसे बड़ी निशानी है।

इसलिए याद रखिए – 6 signs that you are on hidayat
हिदायत का पहला और सबसे क़ीमती तोहफ़ा है दिल का सुकून।
और यह सुकून कहीं और नहीं, सिर्फ़ अल्लाह की याद में है।


2. नमाज़ से मोहब्बत (Muhabbat-e-Salah)

🎤 Speech: नमाज़ से मोहब्बत (Muhabbat-e-Salah)

भाइयो और बहनो,
हिदायत की दूसरी बड़ी निशानी है – नमाज़ से मोहब्बत।

सोचिए, इंसान अपने सबसे प्यारे इंसान से मिलने के लिए कितना बेताब होता है। जब मुलाक़ात का वक़्त आता है तो दिल धड़कने लगता है, चेहरे पर ख़ुशी आ जाती है। ठीक उसी तरह, जब किसी मोमिन को नमाज़ का वक़्त आता है, उसका दिल खुश हो जाता है। क्योंकि वो जानता है कि अब वो अपने रब से मुलाक़ात करने जा रहा है।

रसूलुल्लाह ﷺ फरमाते हैं:
“नमाज़ मेरी आँखों की ठंडक है।”
यानी नमाज़ में वो सुकून, वो सुकून मिलता है जो कहीं और नहीं।

भाइयो, अगर आपको नमाज़ बोझ लगती है, तो समझ लीजिए दिल बीमार है। लेकिन अगर आपको नमाज़ से मोहब्बत है, नमाज़ का इंतज़ार रहता है, और सज्दे में गिरकर दिल हल्का हो जाता है – तो यह हिदायत की सबसे प्यारी निशानी है।

याद रखिए – 6 signs that you are on hidayat
नमाज़ सिर्फ़ फ़र्ज़ नहीं, बल्कि रूह की ग़िज़ा है।
नमाज़ सिर्फ़ इबादत नहीं, बल्कि अल्लाह से मुलाक़ात है।

अगर आपके दिल में नमाज़ की मोहब्बत है – तो यक़ीन जान लीजिए, आप सीरत-ए-मुस्तक़ीम पर हैं।


3. गुनाह से नफरत (Nafrat-e-Ma’siyat)

🎤 Speech: गुनाह से नफरत (Nafrat-e-Ma’siyat)

भाइयो और बहनो,
हिदायत की तीसरी बड़ी निशानी यह है कि इंसान के दिल में गुनाह से नफरत पैदा हो जाती है।

सोचिए, जैसे कोई इंसान गंदे नाले के पास खड़ा नहीं रह सकता, उसकी बदबू बर्दाश्त नहीं कर सकता – ठीक उसी तरह, जिस दिल को अल्लाह ने हिदायत दी हो, वो गुनाह की बदबू बर्दाश्त नहीं कर सकता।

क़ुरआन करीम में अल्लाह फरमाता है: 6 signs that you are on hidayat
“Wallazina la yashhaduna az-zoor” (सूरह फ़ुरक़ान 25:72)
“हिदायत पर चलने वाले लोग झूठ और गुनाह की महफ़िलों में शामिल नहीं होते।”

भाइयो, यह ज़रूरी नहीं कि मोमिन गुनाह में कभी गिरता ही नहीं। इंसान होने के नाते हमसे ग़लती हो सकती है। लेकिन फ़र्क यह है कि हिदायत वाला इंसान गुनाह करने के बाद बेचैन हो जाता है, उसका दिल कांपने लगता है, और वो तुरंत तौबा करता है।

अगर आप महसूस करते हैं कि गुनाह करने के बाद नींद उड़ जाती है, दिल भारी हो जाता है, और आँखों से आँसू निकल आते हैं – तो यक़ीन मानिए, यह अल्लाह की बहुत बड़ी नेमत है। क्योंकि यह दिल का ज़िंदा होना है।

याद रखिए –
गुनाह से नफरत, और तौबा से मोहब्बत – यही हिदायत की निशानी है।


4. क़ुरआन से लगाव (Lagaav-e-Quran)

🎤 Speech: क़ुरआन से लगाव (Lagaav-e-Quran)

भाइयो और बहनो,
हिदायत की चौथी बड़ी निशानी यह है कि इंसान के दिल में क़ुरआन से लगाव पैदा हो जाता है।

क़ुरआन कोई आम किताब नहीं है। यह अल्लाह का कलाम है। इसमें हर लफ़्ज़ में नूर है, हर आयत में हिदायत है।
अल्लाह तआला फरमाता है:
“Inna hadhal Qur’ana yahdee lillatee hiya aqwam” (सूरह इस्रा 17:9)
“बेशक यह क़ुरआन उस रास्ते की हिदायत करता है जो सबसे सीधा है।”

भाइयो, सोचिए! यह वही किताब है जो हमारे अंधेरे दिलों को रोशनी देती है। जब इंसान ग़म में डूबा हो और क़ुरआन पढ़े, तो दिल को चैन मिलता है। जब इंसान राह भटक जाए और क़ुरआन की आयत सुन ले, तो उसका दिल सीधा रास्ता पकड़ लेता है।

हिदायत की निशानी यह है कि इंसान का दिल क़ुरआन सुनने को तरसता है, उसे पढ़ने में लुत्फ़ आता है, और उसकी तिलावत सुनकर आँखों से आँसू बहने लगते हैं।

याद रखिए –
अगर आपका दिल क़ुरआन की तरफ खिंचता है, आप उसमें अपना सुकून ढूंढते हैं और उस पर अमल करने की कोशिश करते हैं – तो समझ लीजिए कि अल्लाह ने आपको हिदायत का सबसे बड़ा तोहफ़ा दिया है।

क़ुरआन से लगाव – हिदायत का रास्ता और रूह का सहारा है।


5. अख़लाक़ में नर्मी (Narmi-e-Ikhlaaq)

🎤 Speech: अख़लाक़ में नर्मी (Narmi-e-Ikhlaaq)

भाइयो और बहनो,
हिदायत की पाँचवीं निशानी है – इंसान के अख़लाक़ में नर्मी।

रसूलुल्लाह ﷺ के बारे में क़ुरआन फरमाता है:
“Wa innaka la’ala khuluqin azeem” (सूरह क़लम 68:4)
“और बेशक आप बहुत ही अज़ीम अख़लाक़ पर हैं।”

सोचिए! नबी ﷺ की ज़िन्दगी का सबसे बड़ा करिश्मा क्या था? सिर्फ़ मोजिज़ात नहीं… बल्कि आपका अख़लाक़। दुश्मन भी आपकी सच्चाई, आपकी रहमदिली, और आपकी नर्मी को देखकर पिघल जाते थे।

भाइयो, हिदायत की निशानी यह है कि इंसान का दिल सख़्त न रहे। वह दूसरों के ग़ुस्से को माफ़ कर दे, ग़रीबों पर रहम करे, और ज़ालिम के सामने हक़ की बात भी नर्मी और हिकमत से करे।

याद रखिए –
असली ताक़त ग़ुस्सा करने में नहीं, बल्कि ग़ुस्से को रोकने में है।
असली बहादुरी बदला लेने में नहीं, बल्कि माफ़ कर देने में है।

अगर आप देख रहे हैं कि आपके दिल में नर्मी आ गई है, आप दूसरों के लिए आसानी पैदा करने लगे हैं, और आप इंसानों से मोहब्बत करने लगे हैं – तो यक़ीन जान लीजिए कि यह हिदायत की सबसे रोशन निशानी है।

अख़लाक़ में नर्मी – दिल को रोशन करती है, और दूसरों के दिलों तक हिदायत पहुँचाती है।


6. आख़िरत की फिक्र (Fikr-e-Aakhirat)

🎤 Speech: आख़िरत की फिक्र (Fikr-e-Aakhirat)

भाइयो और बहनो,
हिदायत की छठी और सबसे अहम निशानी है – आख़िरत की फिक्र।

क़ुरआन फरमाता है: 6 signs that you are on hidayat
“Wallazina hum li rabbihim raa’oon” (सूरह मआरिज 70:23)
“जो अपने रब की निगरानी को महसूस करते हैं।”

सोचिए! अगर इंसान को यक़ीन हो जाए कि कल उसे अपने रब के सामने खड़ा होना है, हर लफ़्ज़, हर नज़र, हर अमल का हिसाब देना है – तो उसकी ज़िन्दगी बदल जाएगी। वो झूठ नहीं बोलेगा, ज़ुल्म नहीं करेगा, और गुनाह में डूबेगा नहीं।

भाइयो, हिदायत की निशानी यह है कि इंसान का दिल हर वक़्त आख़िरत को याद करता है। कब्र की तंगी, मयदान-ए-हश्र का खौफ़, और जन्नत की उम्मीद – ये सब बातें उसके दिल को ज़िंदा रखती हैं।

याद रखिए –
दुनिया का हर मज़ा फानी है, हर शोहरत मिट जाएगी, हर दौलत छिन जाएगी। लेकिन आख़िरत की ज़िन्दगी हमेशा की है।
असली कामयाबी वो नहीं जो दुनिया में नज़र आए, असली कामयाबी वो है जब अल्लाह कहे – “आज मैं तुझसे राज़ी हूँ।”

भाइयो और बहनो, अगर आपके दिल में यह फिक्र मौजूद है कि “मैं जो कर रहा हूँ, क्या अल्लाह को पसंद आएगा?” – तो यक़ीन जान लीजिए, यह हिदायत की सबसे बड़ी और सबसे प्यारी निशानी है।

आख़िरत की फिक्र – इंसान को गुनाह से रोकती है और जन्नत का रास्ता आसान करती है।


✨ नतीजा

अगर ये 6 अलामात आपके अंदर पाई जाती हैं – 6 signs that you are on hidayat

  1. दिल का सुकून,
  2. नमाज़ से मोहब्बत,
  3. गुनाह से नफरत,
  4. क़ुरआन से लगाव,
  5. अख़लाक़ में नर्मी,
  6. आख़िरत की फिक्र –

तो समझ लीजिए कि अल्लाह ने आपको सीरत-ए-मुस्तक़ीम पर डाल दिया है।


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