क्या आप जानते हैं कि रात को सोने से पहले पढ़ी जाने वाली एक खास सूरह “ surah mulk hindi” आपको कब्र और आखिरत में हिफ़ाज़त का वादा देती है? जी हां, हम बात कर रहे हैं *सूरह अल-मुल्क* की। इस ब्लॉग में हम सूरह मुल्क के हिंदी तर्जुमा, इसके फ़ज़ीलत और इसके फायदे पर गहराई से नज़र डालेंगे। आइए जानें कि यह सूरह क्यों है इतनी खास और कैसे हमें अल्लाह की रहमत के करीब लाती है
सूरह अल-मुल्क का तर्जुमा: आयत 1 से 10 तक: surah mulk hindi
बिस्मिल्लाह हिर-रहमानिर-रहीम। surah mulk hindi image
तर्जुमा: अल्लाह के नाम से, जो बहुत ही मेहरबान, रहम वाला है।”
1. तबारकल-लज़ी बियदिहिल-मुल्कु व हूवा अला कुल्लि शैयिन क़दीर।
तर्जुमा: बहुत बरकत वाला है वह, जिसके हाथ में बादशाही है और वह हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है।
2. अल्लज़ी खलकल-मौत वल-हयात लियबलुवकुम अय्युकुम अह्सनु अमला। व हूवल अज़ीजुल-ग़फूर।
तर्जुमा: जिसने मौत और जिंदगी को पैदा किया ताकि तुम लोगों की आज़माइश कर सके कि तुम में कौन अच्छे अमल करता है। और वह बड़ा ज़बरदस्त, बड़ा माफ़ करने वाला है।
3. अल्लज़ी खलका सबआ समावातिन तिबाक़ा। मा तारा फी खल्किर-रहमानि मिन तफावुत। फरजिअिल बसरा हल तारा मिन फ़ुतूर।
तर्जुमा: जिसने सात आसमानों को एक के ऊपर एक बनाया। तुम रहमान (अल्लाह) की बनावट में कोई खामी नहीं पाओगे। एक बार फिर नज़र दौड़ाओ, क्या तुम्हें कोई खामी नज़र आती है? सूरह कौसर हिंदी में
4. सुम्मारजिअिल बसरा कर्रतैनि यनक़लिब इलैकल बसरु ख़ासिअव-व हुवा हसीर।
तर्जुमा: “फिर बार-बार नज़र दौड़ाओ, तुम्हारी नज़र थक हार कर तुम्हारे पास लौट आएगी और वह मायूस और बेबस होगी।
5. व ल-क़द ज़य्यन्नस-समा-अद-दुन्या बि-मसाबिह व ज-आल्नाहा रजूमल-लिश्शयातीन व अ-अतद्ना लहुम अज़ाबस-सईर।
(और हमने सबसे निचले आसमान को चिरागों से सजाया और उन्हें शैतानों के लिए पत्थर बनाया और उनके लिए भड़कती हुई आग का अज़ाब तय किया।)
6. व लिल्लज़ीना कफ़रू बि-रब्बिहिम अज़ाबु जहन्नम व बि’सल मसीर।
(और जिन लोगों ने अपने रब से इनकार किया, उनके लिए जहन्नम का अज़ाब है और वह कितनी बुरी जगह है।)
7. इज़ा उल्कू फीहा सामिऊ लहा शहीकव-व हिया तफूर।
(जब उन्हें इसमें फेंका जाएगा, तो वे इसकी भयानक आवाज़ सुनेंगे, और वह उबल रही होगी।)
8. तकादु तमैय्यज़ु मिनल-ग़ैज़ि। कुल्लमा उल्किय फीहा फ़ौजुन स-अलहुम ख़ज़नतुहा अलम यअतिकुम नज़ीर।**
(लगता है कि गुस्से से फट पड़ेगी। जब भी इसमें कोई दल फेंका जाएगा, तो इसके दरोगा उनसे पूछेंगे, “क्या तुम्हारे पास कोई डराने वाला नहीं आया था?”)
9. कालू बला क़द जा-अना नज़ीरुन फ-कज़्ज़ब्ना व कुल्ना मा नज़्जलल्लाहु मिन शैय इन अंन्तुम इल्ला फी दलालिन कबीर।
(वे कहेंगे, ‘हमें सच बताने वाला जरूर आया था, लेकिन हमने उसे झूठा ठहराया और कहा कि अल्लाह ने कुछ भी नहीं उतारा। दरअसल, तुम तो एक बड़ी गुमराही में थे।’)
10. व कालू लौ कुन्ना नस्मअ’उ अव नक़िलु मा कुन्ना फी अस्हाबिस्सईर।
(और वे कहेंगे, “अगर हम सही मायने में सुनते या अक्ल से काम लेते, तो आज इस जलती हुई आग का हिस्सा न होते।”) surah mulk hindi
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सूरह अल-मुल्क का तर्जुमा: आयत 11 से 20 तक: surah mulk hindi
11. फ़अ’तरफू बि-ज़नबिहिम फ-सुह्कन लि-अस्हाबिस्सईर।
(तो उन्होंने अपने गुनाह का इकरार कर लिया, सो भड़कती आग वालों के लिए बर्बादी है।)
12. इन्नल-लज़ीना यख्शौना रब्बहुम बि-ल-ग़ैबि लहुम मग़फ़िरतु व अज्रुन कबीर।
(निश्चित ही जो लोग अपने रब से ग़ायब में डरते हैं, उनके लिए माफ़ी और बड़ा इनाम है।)
13. व असिर्रू क़ौलकुम अविज्हरू बि-हि इन्नहू अलीम बि-ज़ातिस्सुदूर।
(और तुम अपनी बात छुपाओ या ज़ाहिर करो, निश्चित ही वह दिलों की बातों को जानता है।)
14. अल-यअलमू मन खलक़ा व हुवल-लतीफुल-ख़बीर।
(क्या वह जो पैदा करने वाला है, नहीं जानता? और वह बहुत बारीक और ख़बरदार है।)
16. हुवल-लज़ी ज-अ’ल ल-कुमुल-अर्दा ज़लूलन फम्शू फी मनाकिबिहा व कुलू मि-रिज्किहि व इलैहिन-नशूर।
(वह है जिसने तुम्हारे लिए धरती को आसान बनाया, तो उसके पथों पर चलो और उसके रिज़्क़ में से खाओ, और उसी के पास तुम्हें लौट कर जाना है।) surah mulk hindi
17. अ-अमिन्तुम मं फिस्समाइ अ-य्यख्सिफ़ बिकुमुल अर्द फ-इज़ा हिया त-मूर।
(क्या तुम निश्चिन्त हो गए हो उससे जो आसमान में है कि वह तुमको ज़मीन में धंसा दे, तो अचानक वह हिलने लगे?)
सूरह अल-मुल्क की शेष आयतें हिंदी में नीचे प्रस्तुत हैं:
18. अम अमिन्तुम मं फिस्समाइ अ-युर्सिला अ’लैकुम हासिबा फ-स-तअ’लमू-न कैफा नज़ीर।
(या तुम निश्चिन्त हो गए हो उससे जो आसमान में है कि वह तुम पर पत्थरों की वर्षा कर दे? फिर तुम जान जाओगे कि मेरा डराना कैसा था!)
19. व-ल-क़द कज़्ज़बल्लज़ी-न मिन क़ब्लिहिम फ़कैफ़ कान नकीर।
(और उन लोगों ने भी झुठलाया जो उनके पहले थे, तो देखो कि मेरा इंकार कैसा था!) surah mulk hindi
20. अ-व-लम य-रव इ-लत्त-यि-र फ-औकहुम साफ़्फ़ातिं-व-यक़बिज़्न। मा युम्सिकुहुनَّ इल्ला-र्रह्मानु इन्न-हू बि-कुल्लि शै-इन बसीर।
(क्या उन्होंने अपने ऊपर पक्षियों को नहीं देखा कि वे अपने पंख फैलाए हुए हैं और उन्हें सिकोड़े लेते हैं? उन्हें रहमान के सिवा कोई नहीं थामता। वास्तव में, वह हर चीज़ को देखता है।)
सूरह अल-मुल्क का तर्जुमा: आयत 21 से 30 तक: surah mulk hindi
21. अ-मं हाज़ल-लज़ी हुवा जुन्दुल-ल-कुम यन्सुरुकुम मिन्न-दूनिर-रह्मान। इन्निल-काफिरू-न इल्ला फी ग़ुरूर।
(क्या वह कौन है जो रहमान के सिवा तुम्हारी सेना बन सकता है? वास्तव में, इनकार करने वाले धोखे में हैं।)
22. अ-मं हाज़ल-लज़ी य-रज़ुकुकुम इ-न अम्सक रज़्कह। बल लज्जू फी-उ’तुविं-व-नुफूर।
(या वह कौन है जो तुम्हें रोज़ी दे सकता है अगर वह अपनी रोज़ी रोक ले? बल्कि ये सरकशी और नफरत में डूबे हुए हैं।)
23. अफ़-मन यंशी मुकिब्बं अ’ला वज्हिहि अह्दा अ-मं यंशी सवियं अ’ला सिरातिम-मुस्तक़ीम।
(तो क्या जो व्यक्ति औंधे मुँह चलता है, वह अधिक सीधा मार्ग पाने वाला है या जो सीधा चलता है एक सीधी राह पर?)
24. कुल हु-वल्लज़ी अं-शअ-कुम व ज-आल ल-कुमुस-सम-अ वल-अबस़ार वल-अफ्इदह। क़लीलम्मा तश-करून।
(कह दो कि वही है जिसने तुम्हें पैदा किया और तुम्हारे लिए सुनने, देखने और समझने की शक्ति बनाई। तुम बहुत ही कम शुक्र करते हो।)
25. कुल हु-वल्लज़ी ज़-रअ-कुम फ़िल-अर्दि व-इलैहि तुह्शरून।
(कह दो कि वही है जिसने तुम्हें ज़मीन में फैलाया और उसी की ओर तुम इकट्ठे किए जाओगे।)
26. व-यक़ूलू-न म-ता हाज़ल-व-अ’दु इन् कुं तुम सादिक़ीन।
(और वे कहते हैं, “यह वादा कब पूरा होगा अगर तुम सच्चे हो?”) surah mulk hindi
27. कुल इन्नमल-इ’ल्मु अिन्दल्लाहि व-इन्न-मा अ-ना नज़ीरुम-मुबीन।
(कह दो कि इसका ज्ञान केवल अल्लाह के पास है और मैं तो केवल स्पष्ट रूप से डराने वाला हूँ।)
28. फ-लम्मा र-अवहु ज़ुल्फतन सियअत वुजूहुल्लज़ी-न क-फ़रू व-क़ील हाज़ल-लज़ी कुंतुम बि-हि त-दअ’-ऊन।
(तो जब वे उसे निकट देखेंगे, तो उन लोगों के चेहरे बुरे हो जाएँगे जिन्होंने इनकार किया और उनसे कहा जाएगा, “यह वही है जिसे तुम माँग रहे थे।”)
29. कुल अर-अय-तम इन अह्लक-नियल्लाहु व-मं म-अ-या अ-व र-हिमना फ-मं यु-जीरुल-काफ़िरीन मिन अज़ाबिं-अलीम।
(कह दो कि क्या तुमने देखा कि यदि अल्लाह मुझे और मेरे साथियों को नष्ट कर दे या हम पर दया करे, तो कौन है जो इनकार करने वालों को दर्दनाक अज़ाब से बचा सके?)
30. कुल हु-र्रह्मानु आ-मन्ना बि-हि व-अलैहि तवक्कलना फ-स-तअ’लमू-न म-न हुवा फी दलालिं-मुबीन।
(कह दो कि वही रहमान है, हम उस पर ईमान लाए हैं और उसी पर भरोसा किया है, तो तुम जान जाओगे कि कौन खुली गुमराही में है।)
31. कुल अर-अय-तुम इन अस्बह माऊ-कुम ग़ौरं फ-मं य-तिकुम बि-म-आइं-म-ईन।
(कह दो, “तुमने देखा, यदि तुम्हारा पानी धरती के नीचे चला जाए, तो कौन है जो तुम्हारे पास साफ पानी लाएगा?”)
4 FAQs: सूरह अल-मुल्क
सूरह अल-मुल्क कब नाज़िल हुई?
सूरह अल-मुल्क मक्का मुकद्दस में नाज़िल हुई। यह मक्की सूरह है और कुरआन की 67वीं सूरह है, जिसमें कुल 30 आयतें हैं।
सूरह अल-मुल्क की फज़ीलत क्या है?
सूरह अल-मुल्क क़ब्र के अज़ाब से बचाती है।
नबी (ﷺ) ने फरमाया, “यह सूरह अपने पढ़ने वाले के लिए सिफारिश करेगी और उसे जहन्नम से निजात दिलाएगी।”
इसे हर रात पढ़ने से इंसान जहन्नम के अज़ाब से महफूज़ रहता है।
सूरह अल-मुल्क का क्या मकसद है?
इस सूरह में अल्लाह की ताकत, उसकी बनाई कायनात और इंसान की आज़माइश का जिक्र किया गया है। यह इंसान को अल्लाह की कुदरत पर गौर करने और उसे पहचानने का दर्स देती है।
सूरह अल-मुल्क को कब पढ़ना चाहिए?
सूरह अल-मुल्क को हर रात सोने से पहले पढ़ने की ताकीद की गई है। यह न सिर्फ सुकून देती है, बल्कि क़ब्र और आख़िरत के अज़ाब से बचाने का भी ज़रिया है।
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