जानें नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें? और नमाज़ के आखिरी हिस्से का सही तरीका। तशह्हुद, दुरूद शरीफ, और अन्य महत्वपूर्ण दुआओं की जानकारी यहां पाएं। नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें
नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें? हर चरण का सही तरीका और दुआएं
नमाज़ में क़’अदा वह हिस्सा है जहाँ हम अल्लाह के सामने पूरे आदर और विनम्रता से बैठकर उससे दुआएं करते हैं। यह नमाज़ का आखिरी चरण है, जिसमें तशह्हुद, दुरूद शरीफ, और अन्य दुआओं का पाठ किया जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि क़’अदा में क्या पढ़ा जाता है और इसे सही तरीके से कैसे किया जाए। नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें?
सजदा कैसे करें – सही तरीका और हदीस से हिदायतें
सजदा का सही तरीका: नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें?
- घुटने पहले रखें: सजदे में जाते वक्त सबसे पहले अपने घुटने जमीन पर रखें। यह तरीका सुनन अबू दाऊद की हदीस नंबर 838 के अनुसार बताया गया है। इसमें कहा गया है कि जब रसूल अल्लाह (ﷺ) सजदा करते थे, तो पहले घुटने, फिर हाथ, और फिर माथा जमीन पर रखते थे।
- हाथ रखें: इसके बाद दोनों हाथों को घुटनों के आगे जमीन पर रखें, और अपनी उंगलियां सीधी रखें ताकि अल्लाह के सामने विनम्रता का इज़हार हो।
- नाक और माथा रखें: हाथों के बाद नाक और माथा जमीन पर टिकाएं। रसूल अल्लाह (ﷺ) का यही तरीका था, जो विनम्रता का प्रतीक है। नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें
- नजरें कहाँ होनी चाहिए: सजदा करते वक्त नजरें जमीन पर रखें और अल्लाह की इज्जत महसूस करें। सजदे में ध्यान अल्लाह की ओर होनी चाहिए, जो आपकी नमाज़ में खशूअ (अल्लाह के प्रति दिल की नर्मी) का इज़हार करता है।
सजदा में पढ़ी जाने वाली दुआ: नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें
सजदे में तीन बार पढ़ें: नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें
“सुब्हाना रब्बियल अअला”
अर्थ: यकीनन, मेरे परवरदिगार की शान सबसे बुलंद और बेहतरीन है।
यह दुआ रसूल अल्लाह (ﷺ) से साबित है, जो हमारे सजदे को मुकम्मल बनाती है।
आम गलतियां जो सजदा में होती हैं:
- घुटनों से पहले हाथ रखना: यह सही तरीका नहीं है। हदीस के अनुसार, पहले घुटने रखें और फिर हाथ।
- उंगलियों को बंद करना: सजदे में उंगलियों को खुला और सीधा रखें ताकि सजदे में अदब नजर आए।
- जल्दी करना: सजदा को आराम से करें, ताकि खशूअ और खज़ूअ, दोनों का एहसास हो।
क़’अदा अख़ीरा का सही तरीका और हदीस का संदर्भ
क़’अदा अख़ीरा नमाज़ का आखिरी हिस्सा होता है, जिसमें इबादत को मुकम्मल करने का तरीका बताया गया है।
क़’अदा अख़ीरा में बैठने का तरीका:
- पैरों की स्थिति: दायां पैर खड़ा रखें और बायां पैर मोड़कर उस पर बैठें। हदीस के अनुसार, सही बुखारी में आता है कि रसूल अल्लाह (ﷺ) इसी तरह आखिरी क़’अदा में बैठते थे।
2. नजरें कहाँ होनी चाहिए: क़’अदा अख़ीरा में बैठते वक्त नजरें गोद पर रखें। इससे ध्यान भटकता नहीं और खशूअ में इज़ाफा होता है।
तशह्हुद (तहियात) पढ़ना:
क़’अदा अख़ीरा में सबसे पहले तशह्हुद पढ़ें, जो रसूल अल्लाह (ﷺ) ने बताया है:
अत्तहियातु लिल्लाहि ——- इबादिल्लाहिस-सालिहीन ——— अशहदु अल्ला इलाहा ——— अब्दुहु व रसूलुह
अर्थ: सारी प्रशंसा, इबादतें, और हर पाक चीज़ सिर्फ अल्लाह के लिए है। ऐ प्यारे नबी, आप पर सलामती, अल्लाह की रहमत और अनगिनत बरकतें हों। हम पर और अल्लाह के तमाम नेक बंदों पर भी सलाम हो।
दुरूद शरीफ पढ़ना:
तशह्हुद के बाद दुरूद शरीफ पढ़ें:
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मद —– इन्नक हमीदुम मजीद — अल्लाहुम्मा बारिक ——– हमीदुम मजीद
अर्थ: ऐ अल्लाह, अपने नबी मुहम्मद (ﷺ) और उनके अहल-ए-बैत पर वैसी ही रहमतें और बरकतें अता फरमा, जैसी तूने इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) और उनके घराने पर नाज़िल की थीं। बेशक तू ही हर तारीफ का हक़दार और बुलंद मक़ाम रखने वाला है।”
नमाज़ को मुकम्मल करने के लिए सलाम फेरना:
अब अल्लाह से दुआ करने के बाद नमाज़ खत्म करने के लिए दाएं कंधे की तरफ देखें और कहें:
“अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह”
फिर बाएं कंधे की तरफ देखें और दोबारा कहें:
“अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह”
हदीस के अनुसार:
रसूल अल्लाह (ﷺ) ने इसी तरीके से नमाज़ को खत्म करने की तालीम दी है, जिसमें दोनों कंधों की तरफ सलाम फेरते हुए नमाज़ को मुकम्मल किया जाता है। यह तरीका सही बुखारी और सही मुस्लिम में बयान किया गया है।
निष्कर्ष
नमाज़ में सही तरीका अपनाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह अल्लाह से हमारी इबादत को मुकम्मल करता है। सजदे और क़’अदा अख़ीरा का सही तरीका हमें हदीस से सिखाया गया है, जो न केवल हमारी नमाज़ को मुकम्मल बनाता है बल्कि अल्लाह के करीब भी लाता है। उम्मत को चाहिए कि नमाज़ के हर पहलू पर सही तरीके से अमल करें, ताकि अल्लाह की रहमतें और बरकतें हासिल हों।
अगर यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद रही, तो इसे दूसरों तक भी पहुँचाएं ताकि हर कोई नमाज़ में खशूअ और खज़ूअ का सही मतलब समझ सके।
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8 FAQs: नमाज़ के क़’अदा में क्या पढ़ें?
क़’अदा क्या है और यह नमाज़ में कब आता है?
क़’अदा वह स्थिति है जब नमाज़ी सज्दा के बाद दो घुटनों पर बैठता है। यह हर नमाज़ के अंत में (आखिरी रकअत में) होता है, और इसमें तशह्हुद (अत्तहियात) पढ़ा जाता है।
क़’अदा में कौन-कौन सी दुआएं पढ़ी जाती हैं?
क़’अदा में मुख्य रूप से निम्न दुआएं पढ़ी जाती हैं:
अत्तहियात
दुरूदे-इब्राहीम
कोई भी मसनून दुआ जैसे, “रब्बिज़्जल्नी मोक़ीमस्सलाति…”
क्या क़’अदा में दुआ पढ़ना जरूरी है?
हाँ, क़’अदा में कम से कम अत्तहियात पढ़ना फर्ज़ है। इसके बाद दुरूद और दुआ पढ़ना सुन्नत है।
क़’अदा में हाथ कहां रखें?
क़’अदा में दोनों हाथ घुटनों पर रखें और उंगलियां अपनी सामान्य स्थिति में रहें।
क़’अदा में कौन-सी दुआ सबसे ज्यादा फायदेमंद है?
दुरूदे-इब्राहीम के बाद यह दुआ पढ़ी जा सकती है:
**”रब्बना अतिना——–व क़िना अज़ाबन्नार।
क्या क़’अदा में अरबी के अलावा अन्य भाषा में दुआ कर सकते हैं?
नमाज़ के दौरान सिर्फ अरबी में ही दुआ करनी चाहिए, क्योंकि नमाज़ की यह सुन्नत तरीका है।
क़’अदा के दौरान गलती हो जाए तो क्या करें?
अगर क़’अदा में गलती हो जाए, तो सज्दा-सहव (भूल-सज्दा) करके नमाज़ पूरी कर सकते हैं।
क्या आखिरी क़’अदा में अतिरिक्त दुआ पढ़ सकते हैं?
हाँ, आखिरी क़’अदा में मसनून दुआओं के अलावा अपनी व्यक्तिगत दुआ भी अरबी में पढ़ सकते हैं।
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