जो ला इलाहा इलल्लाह कहेगा, जन्नत उसका मुक़ाम होगा। How to Go to Jannah by Saying La Ilaha Illallah
Assalamu Alaikum wa Rahmatullahi wa Barakatuh! 🌸
क्या आपको पता है कि सिर्फ “ला इलाहा इलल्लाह” कहने से जन्नत के दरवाजे खुल सकते हैं? लेकिन याद रखिए, सिर्फ कहने से नहीं, दिल से मानने और अमल करने से ही ये सफर मुकम्मल होता है। 💫
आज के इस वीडियो में हम आपको ऐसी हदीसों और इस्लामी हुक्मात से रूबरू कराएंगे, जो ना सिर्फ आपकी रोज़मर्रा की जिंदगी को रोशन करेंगे, बल्कि आपको जन्नत का रास्ता भी दिखाएंगे। ✨
तो देर किस बात की? आइए, शुरू करते हैं और चलें इस्लाम की रहमतों से भरपूर सफर पर! 🚀
La Ilaha Illallah का मतलब और जन्नत में जाने का वादा – How to Go to Jannah by Saying La Ilaha Illallah”
- La Ilaha Illallah का मतलब (a common query about the meaning of the phrase)
- जन्नत में जाने का वादा (popular for questions about entering Jannah)
- How to Go to Jannah La Ilaha Illallah (a relevant English phrase for broader reach)
जो अल्लाह से नहीं मांगता, अल्लाह उस पर नाराज हो जाता है।
सोचिए, हमारा रब, जो हमारी हर दुआ सुनता है, हमसे सिर्फ ये चाहता है कि हम उससे मांगें, उससे जुड़े रहें। जो अल्लाह से नहीं मांगता, वह उसकी रहमतों से दूर होता जाता है। इसलिए, दुआ करें, हर चीज़ के लिए – छोटा हो या बड़ा।
पाकी आधा ईमान है।
हमारी पाकी (साफ-सफाई) ना सिर्फ हमारी शारीरिक बल्कि रूहानी सफाई का भी हिस्सा है। एक मोमिन का आधा ईमान उसकी पाकी में है। इसका मतलब साफ है कि हमे हर समय अपने तन-मन को पाक और साफ रखना चाहिए।
अच्छी बात कहना सदका है।
जुबान से निकली हुई अच्छी बात, एक सवाब का काम है। मुस्कुराना, अच्छे शब्द कहना – ये सदका है। जब भी बात करें, वो ऐसी हो जो लोगों के दिलों में बस जाए और उन्हें सुकून दे। How to Go to Jannah La Ilaha Illallah
मुसलमान मुसलमान का भाई है।
मुसलमान एक-दूसरे के भाई हैं। एक-दूसरे की मदद करना, उनका ख्याल रखना – यही हमारे इस्लाम का पैगाम है। अगर हर मुसलमान, अपने भाई की मदद करेगा, तो हमारी उम्मत मजबूत होगी।
दुआ इबादत का मग्ज़ है।
दुआ इबादत का सार है, उसकी रूह है। जब हम दुआ करते हैं, तो हम अपने रब से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। दुआ के बिना इबादत अधूरी है। How to Go to Jannah La Ilaha Illallah
अमल की कबूलियत नियत पर मुनहसर है।
हमारा हर अमल, हमारी नीयत के मुताबिक़ ही अल्लाह के दरबार में कबूल होता है। अगर नीयत सही है, तो छोटा सा काम भी बड़े सवाब का हक़दार होता है।
जो खामोश रहा वह निजात पा गया।
कई बार चुप रहना, बहुत सारे मसलों से निजात दिला सकता है। बेवजह बोलने से बचें और सोच-समझ कर ही बोलें।
हया में भलाई ही भलाई है।
हया एक ऐसी चीज़ है जो इंसान को बुराई से दूर रखती है। हया से भलाई ही पैदा होती है, और ये मोमिन का सबसे प्यारा गहना है। Full Namaz : नमाज़ की अहमियत (Namaz Ka Ahmiyat) सिर्फ नमाज़ी देखें
इंसान का हश्र उसकी मोहब्बत के मुताबिक होगा।
सोचिए, अगर हमारी मोहब्बत दीन से है, तो हमारा हश्र भी नेक लोगों के साथ होगा। अपनी मोहब्बत सही लोगों और सही चीज़ों से करें। जो La Ilaha Illallah कहेगा, जन्नत उसका मुक़ाम होगा।
हर मुस्लिम मर्द और औरत पर इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है।
इल्म हासिल करना हमारे लिए फर्ज है। ये सिर्फ मर्दों पर ही नहीं, बल्कि औरतों पर भी फर्ज है। इल्म से ही हमारी दुनिया और आखिरत संवरती है।
1. चुगली करने वाला जन्नत में दाखिल नहीं होगा
चुगली यानी दूसरों की बुराई करना न केवल रिश्तों को खराब करता है, बल्कि अल्लाह की नाराजगी भी मोल लेता है। हदीस के मुताबिक, ऐसे लोग जन्नत में दाखिल नहीं हो पाएंगे।
2. यह दुनिया मोमिन के लिए एक कैद है, जबकि काफिरों के लिए यह एक जन्नत की तरह है।
यह दुनिया मोमिन के लिए इम्तिहान है, जबकि काफ़िरों के लिए ये सबकुछ है। असली इनाम और सुकून मोमिन के लिए जन्नत में है। जो La Ilaha Illallah कहेगा, जन्नत उसका मुक़ाम होगा।
3. हर भलाई सदका है
हर नेक काम, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, सदका माना जाता है। सिर्फ किसी की मदद करना या अच्छे बोल बोलना भी सदका है।
4. बाप जन्नत के दरवाजों में से बीच का दरवाजा है
बाप की इज्जत और खिदमत से इंसान के लिए जन्नत का रास्ता आसान हो जाता है। बाप की दुआएं जन्नत की कुंजी हैं।
5. जिहाद कयामत तक जारी रहेगा
जिहाद, यानी अल्लाह के रास्ते में मेहनत और संघर्ष, कयामत तक कायम रहेगा। यह केवल तलवार से नहीं, बल्कि नफ्स से भी हो सकता है। जो La Ilaha Illallah कहेगा, जन्नत उसका मुक़ाम होगा।
6. जो रहम नहीं करता उस पर रहम नहीं किया जाता
रहमत और दया इंसानियत की बुनियाद हैं। अगर आप दूसरों पर रहम नहीं करेंगे, तो अल्लाह भी आप पर रहम नहीं करेगा।
7. जो बड़ो की इज्जत और छोटो से प्यार नहीं करता वो हम में से नहीं
इस हदीस में नबी ﷺ ने इंसानी रिश्तों की अहमियत को बयां किया है। बड़ों की इज्जत और छोटे बच्चों से मोहब्बत करना हमारी जिम्मेदारी है।
8. अच्छे काम की तरफ रहनुमाई करने वाला उसको करने वाले की तरह है
अगर आप किसी को अच्छे काम के लिए प्रेरित करते हैं, तो आपको भी उतना ही सवाब मिलता है जितना उस काम को करने वाले को।
9. तुम में से बेहतर शख्स हुआ है जिसके अखलाक अच्छे हैं
इस्लाम में अच्छे अखलाक (आचरण) की बहुत अहमियत है। सबसे बेहतर इंसान वह है जिसका व्यवहार सबसे अच्छा हो।
10. जो मुसलमान को धोखा दे वह हम में से नहीं
धोखा देना इस्लाम में हराम है। अगर कोई किसी मुसलमान को धोखा देता है, तो वह इस्लाम के दायरे से बाहर माना जाता है।
11. खुश-अखलाकी आधा दीन है
खुश-अखलाकी यानी अच्छे व्यवहार और विनम्रता को इस्लाम ने आधे दीन के बराबर माना है।
12. जो लोगों का शुक्रिया अदा नहीं करता वो अल्लाह का भी शुक्र बजा नहीं लाता
लोगों का आभार व्यक्त करना इस बात का प्रतीक है कि आप अल्लाह का भी शुक्र अदा करते हैं।
13. गाना दिल में निफाक़ पैदा करता है
गाने और संगीत से दिल में फितूर पैदा होता है, जो इंसान को अल्लाह की याद से दूर कर देता है।
14. जो अल्लाह ताआला के वास्ते आजिजी ईख्तियार करता है, अल्लाह ताआला उसको बुलंद करता है
जो इंसान अल्लाह के लिए विनम्र रहता है, अल्लाह उसे दुनिया और आखिरत में बुलंद मकाम अता करता है।
15. नेक आदमी वह है जो दूसरों से इबरत हासिल करें
नेक इंसान वो है जो दूसरों की गलतियों और गलत राहों से सबक ले और खुद को सही रास्ते पर रखे।
16. आपस के झगड़े से बचो क्योंकि आपस का झगड़ा दीन को मूंढ देने वाले हैं
आपसी झगड़े दीन और ईमान को कमजोर करते हैं। इसलिए आपस में सुलह करना और मोहब्बत से रहना जरूरी है।
17. आदमी और कुफ्र के दरमियान सिर्फ नमाज छोड़ देने का फर्क है
नमाज छोड़ना इंसान को कुफ्र की तरफ ले जाता है। नमाज ईमान का अहम हिस्सा है।
18. बहादुर वह नहीं जो दूसरे को भी छोड़ दे बल्कि बहादुर वह है जो गुस्से के वक्त अपने ऊपर काबू कर ले
असल बहादुरी गुस्से को काबू करने में है, ना कि किसी पर ताकत दिखाने में।
19. आग से बचो चाहे खजूर का एक टुकड़ा ही खैरात करके क्यों ना हो
छोटी से छोटी नेकी, जैसे एक खजूर का टुकड़ा भी, जहन्नम से बचा सकता है।
20. गुनाह से तौबा करने वाला ऐसा है जैसे कि उसने गुनाह किया ही नहीं
जो इंसान दिल से तौबा करता है, अल्लाह उसकी गुनाहों को माफ कर देता है, जैसे उसने कभी गुनाह किए ही नहीं।
21. जो आखिरत के दिन पर यकीन रखता है उसको चाहिए कि वह अच्छी बात कहे या फिर खामोश रहे
जो इंसान आखिरत पर यकीन रखता है, उसे चाहिए कि या तो भलाई की बात कहे, या फिर खामोश रहे।
22. फरिश्ते उस घर में दाखिल नहीं होते जिस घर में कुत्ता या तस्वीर हो
ऐसे घरों में फरिश्ते दाखिल नहीं होते, जहां कुत्ते या जानदारों की तस्वीरें मौजूद हों।
23. वादा फर्ज के बराबर है
वादा करना और उसे पूरा करना फर्ज़ के बराबर है। वादे का पालन न करना अल्लाह की नाराजगी का कारण बन सकता है।
24. जहन्नम ख्वाहिशात से घेर दी गई है और जन्नत नापसंदीदा चीजों से घेर दी गई है
जहन्नम इंसानी इच्छाओं और शौक़ात से भरी है, जबकि जन्नत तक पहुंचने के लिए इंसान को कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है।
25. ब़खील लोग जन्नत में दाखिल न होंगे
कंजूस और बख़ील लोग जन्नत में नहीं जा पाएंगे, क्योंकि उनकी हरकतें अल्लाह की रहमत से दूर होती हैं।
26. कपड़े का वह हिस्सा जो टखनों से जितना नीचे होगा उतना हिस्सा जहन्नम में होगा
जो इंसान टखनों से नीचे कपड़े पहनता है, उसका वो हिस्सा जहन्नम में जाएगा।
27. हसद से बचो क्योंकि हसद ने क्यों को इस तरह बर्बाद कर देता है जिस तरह आग लकड़ी को जलाकर बर्बाद कर देती है
हसद इंसान के ईमान को नष्ट कर देता है, जैसे आग लकड़ी को जलाकर राख कर देती है।
28. वह शख्स जन्नत में नहीं जाएगा जिसकी शरारतों से उसके पड़ोसी महफूज ना हो
पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार इस्लाम में बहुत अहम है। वो शख्स जन्नत में नहीं जाएगा जिससे उसके पड़ोसी तकलीफ में हों।
29. आदमी और कुफ्र के दरमियान सिर्फ नमाज़ छोड़ देने का फर्क है
नमाज़ इस्लाम का सबसे अहम रुक्न (स्तंभ) है, जो मुसलमान और गैर-मुसलमान के बीच का फर्क है। नमाज़ छोड़ने से इंसान कुफ्र की तरफ बढ़ जाता है, इसलिए इसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
30. बहादुर वह नहीं जो दूसरे को हरा दे, बल्कि बहादुर वह है जो गुस्से के वक्त अपने ऊपर काबू कर ले
इस हदीस में सच्ची बहादुरी का जिक्र है। जो इंसान अपने गुस्से पर काबू पाता है, वह सबसे बड़ा बहादुर है। दूसरों पर काबू पाने से ज्यादा अहमियत खुद को काबू करने की है। जो La Ilaha Illallah कहेगा, जन्नत उसका मुक़ाम होगा।
31. आग से बचो, चाहे खजूर का एक टुकड़ा ही खैरात करके क्यों ना हो
यह हदीस खैरात की अहमियत को बताती है। थोड़ा सा भी दान करना, चाहे वह खजूर का टुकड़ा ही क्यों न हो, इंसान को जहन्नम की आग से बचा सकता है।
32. गुनाह से तौबा करने वाला ऐसा है जैसे उसने गुनाह किया ही नहीं
अगर कोई इंसान दिल से तौबा कर लेता है, तो अल्लाह उसकी माफी को कुबूल करता है, और वह इंसान ऐसा हो जाता है जैसे उसने कभी गुनाह किया ही नहीं। अल्लाह की रहमत बहुत बड़ी है।
33. जो आखिरत के दिन पर यकीन रखता है, उसे चाहिए कि वह अच्छी बात कहे या फिर खामोश रहे
आखिरत के दिन का यकीन रखने वाले इंसान को हमेशा सोच-समझकर बोलना चाहिए। अगर कोई बात फायदेमंद नहीं है, तो खामोश रहना ही बेहतर है, क्योंकि हर शब्द का हिसाब होगा।
34. जिस घर में कुत्ता या तस्वीर होती है, वहां फरिश्ते प्रवेश नहीं करते।
यह हदीस इस्लाम में तस्वीर और कुत्तों से परहेज करने की शिक्षा देती है। जिस घर में ये दोनों चीजें हों, वहाँ रहमत के फरिश्ते दाखिल नहीं होते। जो La Ilaha Illallah कहेगा, जन्नत उसका मुक़ाम होगा।
35. वादा फर्ज के बराबर है
वादा पूरा करना इस्लाम में बहुत अहमियत रखता है। वादे को निभाना एक फर्ज की तरह है, और जो इसे तोड़ता है वह गुनहगार है।
36. जहन्नम ख्वाहिशात से घेर दी गई है और जन्नत ना पसंदीदा चीजों से घेर दी गई है
इस हदीस में बताया गया है कि जहन्नम के रास्ते में इंसान की ख्वाहिशात (नफ्स) आड़े आती हैं, जबकि जन्नत का रास्ता कठिन और नापसंद चीज़ों से भरा होता है। सही रास्ता चुनना कठिन है, मगर यही रास्ता जन्नत की ओर ले जाता है।
37. ब़खील लोग जन्नत में दाखिल ना होंगे
ब़खील (कंजूस) लोग, जो अल्लाह की दी हुई दौलत को दूसरों के साथ नहीं बांटते, जन्नत में दाखिल नहीं होंगे। यह हदीस हमें दानशीलता और खुले दिल से मदद करने की सीख देती है।
38. कपड़े का वह हिस्सा जो टखनों से जितना नीचे होगा, उतना हिस्सा जहन्नम में होगा
इस हदीस में इस्लामी शालीनता और पहनावे का जिक्र है। वह हिस्सा जो टखनों से नीचे हो, खासतौर पर घमंड के साथ पहना गया हो, जहन्नम का हकदार होगा।
39. हसद से बचो, क्योंकि हसद (ईर्ष्या) ने क़ौमों को इस तरह बर्बाद कर दिया है जिस तरह आग लकड़ी को जलाकर बर्बाद कर देती है
हसद (ईर्ष्या) इंसान को अंदर से खा जाती है। यह हदीस हमें हसद से दूर रहने और दूसरों की खुशियों में खुश रहने की सीख देती है। हसद सिर्फ बर्बादी लाती है, इसलिए इससे बचना जरूरी है।
40. वह शख्स जन्नत में नहीं जाएगा जिसकी शरारतों से उसके पड़ोसी महफूज़ ना हो
इस हदीस में पड़ोसियों के अधिकार की अहमियत बताई गई है। जो शख्स अपने पड़ोसियों को परेशान करता है या उनसे बुरा सुलूक करता है, वह जन्नत में दाखिल नहीं होगा। अच्छा पड़ोसी बनना इस्लाम में बहुत बड़ा फर्ज है।
तो दोस्तों, ये थीं कुछ हदीसें जो हमें जिंदगी को सही तरीके से जीने की सीख देती हैं। ये नसीहतें हमारी जिंदगी को बेहतर बना सकती हैं और हमें अल्लाह के करीब कर सकती हैं। आइए, इन पर अमल करें और दूसरों तक भी पहुंचाएं।
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